आज बुढ़ार, जयसिंहनगर, 14 को शहडोल में चुनाव, मातृशक्तियों को मिलेगा बराबर का हक

शहडोल। संभागीय मुख्यालय की शहडोल नगर पालिका के प्रथम और द्वितीय नागरिक के आगामी 14 अक्टूबर को चुने गये 39 वार्डाे के पार्षद आपस में ही इनका चुनाव करेंगे। वहीं इससे एक दिन पहले आज नगर परिषद बुढ़ार और जयसिंहनगर के लिए यह प्रक्रिया अपनाई जायेगी, जयसिंहनगर को छोड़ शेष दोनों निकायों में भाजपा के पार्षदों की संख्या कांग्रेस की तुलना में अधिक है, लेकिन इन दोनों निकायों में भाजपा की आपसी फूट ने बहुमत के बाद भी भाजपा के लिए यहां नगर की सत्ता आसान नजर नहीं आ रही है। जबकि जयसिंहनगर में कांग्रेस बढ़त के बाद भी सत्ता के लिए छटपटाती नजर आ रही है। दोनों नगर परिषदों में अध्यक्ष की कुर्सी महिलाओं के लिए आरक्षित है। यहीं कारण हैं कि कांग्रेस ने मंगलवार को तीनों निकायों के अध्यक्ष प्रत्याशियों के नाम जारी करते हुए यह स्पष्ट कर दिया कि जिन निकायों में आरक्षण के तहत महिला अध्यक्ष बनेगी, वहां उपाध्यक्ष का पद पुरूषों के लिए रिक्त रहेंगे।
नगर पालिका शहडोल का चुनाव कल अर्थात 14 अक्टूबर को होना है, इस बीच यह सवाल भी उठने लगे हैं कि बीते पंच वर्षीय में शहडोल नगर पालिका अध्यक्ष की कुर्सी महिला के लिए आरक्षित थी, संभवत: अगले पंचवर्षीय में फिर रोस्टर प्रक्रिया के तहत यह कुर्सी फिर महिला के लिए आरक्षित हो जाये, इस लिहाज से इन चुनावों में कांग्रेस की तरह भाजपा भी अध्यक्ष कुर्सी के लिए किसी पुरूष को ही अपना प्रत्याशी बनायेगी।
…तो शहडोल में बनेगी महिला उपाध्यक्ष
बुढ़ार नगर परिषद में भारतीय जनता पार्टी के निर्वाचित 7 पार्षदों में से सातों महिलाएं हैं, जिस कारण यहां अध्यक्ष और उपाध्यक्ष दोनों ही पद यदि भाजपा चुनाव में बाजी मारती है तो, महिलाएं ही इस कुर्सी पर बैठेंगी, लेकिन शहडोल में भाजपा और कांग्रेस के पास दोनों विकल्प है। कांग्रेस ने तो अपने पत्ते खोलते हुए घनश्याम जायसवाल को अध्यक्ष पद के लिए प्रत्याशी बना भी दिया है, लेकिन भाजपा ने अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं। यह माना जा रहा है कि शहडोल में भारतीय जनता पार्टी प्रकाश सोनी, शक्ति लक्ष्कार, राकेश सोनी, अनमोल सोनी मे से किसी एक के नाम पर अंतिम मोहर लगा सकती है। हालाकि प्रभारी मंत्री रामखेलावन पटेल के करीबी माने जाने वाले श्रीमती सुभद्रा सिंह और उनका परिवार भी अध्यक्ष पद की रेस में है, लेकिन पुरूषों का बहुतायत तथा आरक्षण में हर पंचवर्षीय बदलाव होने के मद्देनजर इस बार शहडोल के अध्यक्ष की कुर्सी पुरूष और उपाध्यक्ष की कुर्सी पर महिला प्रत्याशी का बैठना जन मानस में चर्चा का विषय बना हुआ है।