दुष्कर्म के आरोपी प्रोफेसर को विश्वविद्यालय ने किया निलंबित

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 दुष्कर्म के आरोपी प्रोफेसर को विश्वविद्यालय ने किया निलंबित

खुद को बचाने के लिए परीक्षा के पूर्व दे दिया प्रश्न पत्र

कार्यवाही के नाम पर पुलिस प्रशासन शून्य

अमरकंटक। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजाति विश्वविद्यालय अमरकंटक अपने कारनामों को लेकर निरंतर सुर्खियों में बना ही रहता है एक ओर कोरोना ने अपनी धाक पूरे विश्व में बना कर रखी है इस महामारी के दौरान अमरकंटक विश्वविद्यालय के प्रोफेसर राकेश सिंह के कारनामों की गूंज विश्वविद्यालय से लेकर उच्च न्यायालय तक पहुंच गई है इतिहास विभाग के प्रोफेसर राकेश सिंह ने गुरु शिष्य के रिश्ते को कलंकित करते हुए अपने ही विभाग के शोध छात्रा के साथ जबरन शारीरिक संबंध बनाया और उसे मुंह बंद रखने के लिए पीएचडी के परीक्षा का प्रश्न पत्र परीक्षा के पूर्व ही बता दिया लेकिन छात्र में प्रोफ़ेसर के विरुद्ध महिला थाना शहडोल में शिकायत की जिसको लेकर प्रोफ़ेसर के विरुद्ध अपराध क्रमांक 016/21 के तहत भा.दा.वी. 1860 की धारा 376, 376 (2f), 376 2(n) 506 के अंतर्गत अपराध पंजीबद्ध कराया था मगर अब तक प्रोफेसर पुलिस की चंगुल से फरार है।

और भी मामले

बात कुछ महीने पहले की है जब प्रोफेसर राकेश सिंह ने अपने फेसबुक के अकाउंट में भगवान को जूता मारने जैसी अभद्र टिप्पणी करते हुए हिंदुओं की भावनाओं को ठेस पहुंचाया था उनकी इस पोस्ट ने सोशल मीडिया पर काफी उथल-पुथल मचा रखी थी जिसके उपरांत थाना अमरकंटक में भी मामला दर्ज हुआ था इतना ही नहीं बिजली छात्रों ने प्रोफ़ेसर राकेश सिंह के विरुद्ध शोध कोर्स का परीक्षा प्रश्न पत्र आउट करने की भी शिकायत है विश्वविद्यालय प्रशासन को की थी जब से शहडोल में प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज है तबसे आरोपी फरार है। माननीय उच्च न्यायालय जबलपुर प्रोफ़ेसर को हिरासत मैं करने का अंतरिम आदेश के आने के पहले ही  प्रोफेसर ने अपना कार्यभार कह कर लिया था, परंतु अभी कुछ दिन पहले ही अग्रिम जमानत निरस्त होने पर पुनः फरार हो गया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार शहडोल पुलिस ने तो प्रोफेसर राकेश सिंह को अभी तक गिरफ्तार नहीं किया परंतु विश्वविद्यालय की कार्यपरिषद ने अनुशासनात्मक कार्रवाई करते हुए प्रोफ़ेसर राकेश सिंह को हाल ही में निलंबित कर दिया है मगर पुलिस की हिरासत से फरार है।

आखिर आरोपी क्यों है पुलिस के चंगुल से बाहर

इस पूरे प्रकरण की जानकारी निम्न से लेकर उच्च वर्ग तक के कर्मचारी व अधिकारियों को है और इस मामले में जब से शहडोल में प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज है, तब से आरोपी फरार है माननीय उच्च न्यायालय जबलपुर द्वारा गिरफ्तार  करने का अंतरिम आदेश मिलने पर आरोपी परमेश्वर ने अपना कार्यभार पुनः ग्रहण कर लिया था परंतु कुछ दिन पहले ही अग्रिम जमानत होने पर ही पुनः फरार हो गया।

क्या अवैधानिक और नियम विरुद्ध नियुक्तियों की जांच

संभावना जताई जा रही है कि प्रोफेसर राकेश सिंह की नियम विरुद्ध नियुक्ति की भी जांच होगी सूत्रों के मुताबिक विश्वविद्यालय अनुदान आयोग नियमावली 2010 के अनुसार एसोसिएट प्रोफेसर पद पर नियुक्त के लिए शोध निर्देशक का अनुभव अनिवार्य योग्यता थी परंतु विश्वविद्यालय के गलियारों में चर्चा है कि प्रवीण सर राकेश सिंह ने नियुक्ति से पूर्व किसी भी विद्यार्थी का शोध निर्देशन नहीं किया था।

कब होगी सीबीआई जांच रिपोर्ट पर  कार्यवाही

वर्ष 2011 और 12 में जनजाति विश्वविद्यालय में की गई नियुक्तियों में भ्रष्टाचार के विरुद्ध सीबीआई जांच हुई थी जिसमें प्रोफेसर राकेश सिंह के सहित कई लोगों के दस्तावेज को जप्त कर जांच की गई थी सूत्रों के अनुसार विश्वविद्यालय प्रशासन के पास सीबीआई जांच रिपोर्ट मौजूद होते हुए भी उसके द्वारा किसी भी प्रकार की कार्यवाही अभी तक नहीं किया जाना विश्वविद्यालय के कुलपति की नियति के ऊपर सवाल खड़ा कर रहा है आखिर विश्वविद्यालय प्रशासन सीबीआई रिपोर्ट को लेकर कब तक मोहन रहेगी उसका यू चुप्पी साधना अनेकों सवाल खड़ा करता है।

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