टेंडर घोटाले की आड़ में गाड़ियों का गोलमाल,इलेक्ट्रिक खराब तो लगा दी डीजल  नियमों की खुली धज्जियां

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शहडोल।कोल इंडिया में टेंडर घोटाले की आड़ में गाड़ियों के गोलमाल का बड़ा खुलासा हुआ है। ठेकेदार द्वारा उपलब्ध कराई गई बैटरी चालित इलेक्ट्रिक गाड़ियां खराब होकर मरम्मत के लिए खड़ी हैं और उनकी जगह पर नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए डीजल गाड़ियां दौड़ाई जा रही हैं। इतना ही नहीं, ये वाहन विभागीय कार्यों तक सीमित न रहकर निजी इस्तेमाल शराब पार्टियों से लेकर अधिकारियों के पारिवारिक कार्यक्रमों तक में धड़ल्ले से उपयोग किए जा रहे हैं।
कोल इंडिया और एनजीटी के आदेश ताक पर
कोल इंडिया और राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण ने स्पष्ट आदेश दिए थे कि ठेकेदार केवल इलेक्ट्रिक गाड़ियां ही देगा और खराब होने की स्थिति में भी उसकी जगह इलेक्ट्रिक वाहन ही लगना चाहिए। लेकिन मुख्यालय में डीजल व पेट्रोल गाड़ियां आराम से चलाई जा रही हैं। यह न केवल उच्चस्तरीय आदेशों का उल्लंघन है, बल्कि पर्यावरणीय नियमों की भी खुली अवहेलना है।
 तस्वीरों में दिख रही इलेक्ट्रिक गाड़ी वाहन क्रमांक CG10BN3988, ग्रीन प्लेट लगी मरम्मत के लिए खड़ी बताई जा रही है। सवाल यह है कि उसकी जगह डीजल गाड़ी किसकी अनुमति से लगाई गई?
चार्जिंग स्टेशन का वायदा अधूरा
इलेक्ट्रिक गाड़ियां मंगाने के साथ ठेकेदार और विभाग को फास्ट चार्जिंग स्टेशन भी लगाने थे, ताकि वाहनों का निर्बाध उपयोग हो सके। मगर वित्त विभाग और वाहन शाखा ने ठेकेदार से मिलीभगत कर चार्जिंग स्टेशन अब तक स्थापित नहीं करवाए। नतीजा यह है कि वाहनों को अधिकारियों के घरों और दफ्तरों में प्लग लगाकर चार्ज किया जा रहा है। इससे सरकारी बिजली का दुरुपयोग हो रहा है और उसका शुल्क भी नहीं लिया जा रहा।
भ्रष्टाचार का नया हथकंडा
सूत्रों का कहना है कि ठेकेदार और अधिकारियों की मिलीभगत से इलेक्ट्रिक गाड़ियों की जगह डीजल गाड़ियां उपलब्ध कराई जाती हैं और उन्हें भी निजी कार्यों में झोंक दिया जाता है। विभागीय अधिकारी इस पूरे मामले पर चुप्पी साधकर “गोपनीय” बताकर पल्ला झाड़ते नज़र आ रहे हैं।
जनता और कर्मचारियों का आक्रोश
इस घोटाले ने कर्मचारियों और स्थानीय जनता में नाराज़गी फैला दी है। लोग पूछ रहे हैं कि जब सरकार प्रदूषण मुक्त और पर्यावरण हितैषी वाहनों के उपयोग पर इतना ज़ोर दे रही है, तो फिर विभागीय अधिकारी नियमों की अनदेखी कैसे कर सकते हैं?
ए एफ एम वित्त, विभाग की भूमिका पर भी सवाल
जानकारों के अनुसार वित्त विभाग का ए एफ एम बिना पैसों के हर फाइल लौटा देता है। ऐसे में जब बिना भुगतान किसी काम को हरी झंडी नहीं मिलती, तो इलेक्ट्रिक वाहनों की जगह डीजल गाड़ियां चलाने और चार्जिंग स्टेशन न लगाने जैसी गड़बड़ियों पर उसकी चुप्पी कई सवाल खड़े कर रही है।

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