शत् प्रतिशत उपस्थिति के बाद भी शिक्षक भर्ती की सत्यापन प्रक्रिया स्थगित
(Amit Dubey-8818814739)
शहडोल। म.प्र. शिक्षक संघ ने सोमवार को मुख्यमंत्री के नाम कलेक्टर को ज्ञापन सौंपते हुए मांग की है कि म. प्र. शिक्षक भर्ती परीक्षा 2018 में प्रारंभ हुई थी, जिसके अंतर्गत उच्च माध्यमिक व माध्यमिक शिक्षकों की परीक्षा 2019 में आयोजित की गयी थी और परीक्षा परिणाम घोषित हुए भी एक अरसा बीत चुका है। कई दिनों के बाद प्रदेश भाजपा सरकार द्वारा चयनित एवं प्रतिक्षारत अभ्यार्थियों बहुत के सत्यापन की प्रक्रिया 1 जुलाई से शुरू ही हुई थी, लेकिन अचानक 4 जुलाई को लोक शिक्षण संचनालय द्वारा एक आदेश जारी किया गया कि कोरोना महामारी के कारण आवागमन में असुविधा के कारण अन्य राज्यों के चयनित अभ्यर्थी सत्यापन केन्द्र में नहीं पहुंच पा रहे है, जबकि ऐसा कतई नहीं है।
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2 वर्षाे से लटकी भर्ती
3 जुलाई के बीच जिन जिलों में सत्यापन रहा, वहाँ शत -प्रतिशत अभ्यर्थी पहुंचे हैं, अन्य राज्यों के अभ्यर्थियों का हवाला देकर प्रक्रिया को स्थगित किया गया, लेकिन सच तो यह है कि अन्य राज्यों से आने वाले अभ्यार्थी भले ही अभ्यर्थी 2-3 दिन पहले ही आ गये थे और आगामी तिथि में उनका सत्यापन भी करवा लिया गया, लोक शिक्षण संचनालय के अचानक आए, रोक के आदेश व इस फैसले से वे सभी असमंजस की स्थिति में हैं कि वे सत्यापन के लिए रूकें अथवा अपने राज्य वापस चले जाए। 2 वर्षों से लटकी हुई यह भर्ती कछुए चाल से आगे बढ़ ही रही थी कि कुछ ऐसे अभ्यर्थी जिन अभ्यर्थियों की पात्रता निरस्त कर दी गयी थी, उन्हीं के द्वारा षणयंत्र रचकर लोक शिक्षण संचनालय में झूठी शिकायतें भेजी गई और सत्यापन रोकने के लिए आवागमन असुविधा का बहाना बनाया गया है, इसके सबूत के रूप कई व्हाट्सप चैट वायरल हुए है, जो लोग भर्ती रोकने के लिए ऐड़ी चोटी का जोर लगा चुके है और काफी हद तक उन्हें सफलता भी प्राप्त हुयी है।
10 वर्षाे से रूका सत्यापन
शिक्षक संघ ने मांग की है कि उक्त मामले में जांच की जाए और उक्त भर्ती प्रक्रिया में व्यवधान पैदा करने वाले लोगों के खिलाफ कठोरतम दण्डात्मक कार्यवाही की जाए। पिछले कुछ वर्षों में मध्यप्रदेश में जितनी भी रिक्तियां घोषित हुई थी सभी पदों पर नियुक्तियाँ एक साल के अंदर हो गयी थी, लेकिन शिक्षक भर्ती की सन् 2011 के बाद 2018 में वैकेन्सी घोषित हुई थी लगभग इस भर्ती को 10 वर्ष का समय हो रहा है और कुछ तत्वों के कारण अब दस्तावेजों का सत्यापन रूक गया है। वर्तमान समय में उच्च माध्यमिक एवं माध्यमिक शिक्षक भर्ती परीक्षा में सफल हुए अभ्यर्थी अत्याधिक मानसिक पीड़ा एवं आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं।
आर्थिक गतिविधियों में मिल चुकी छूट
परीक्षा को पास करने के बाद भी उन्हें केवल दस्तावेजों के सत्यापन के लिए जूझना पड़ रहा है और शिक्षकों को मानसिक वेदना सहनी पड़ रही है। वर्ष 2018 में आयी हुई भर्ती की प्रक्रिया वर्ष 2020 के 6 महीने निकल जाने पर भी पूर्ण न हो पाना अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है, इस समय जब सरकार द्वारा ऑनलॉक- 2 की घोषणा कर दी गई है, बाजार खोले जा चुके हैं तथा लगभग सभी प्रकार की आर्थिक गतिविधियों को छूट दी जा चुकी है, ऐसे में दस्तावेजों के सत्यापन में रोक लगाना अभ्यर्थियों की समझ से परे है दस्तावेजों के सत्यापन में सत्यापनकर्ता और अभ्यर्थी दोनों पढ़े लिखे होने के साथ समझदार भी हैं जो सोशल डिस्टेंशिन, सेनेटाइजर एवं मास्क का प्रयोग करके कोरोना रखने में समर्थ हैं। शिक्षक संघ ने शीघ्र कार्यवाही करने के साथ ही अभ्यार्थियों की नियुक्ति की जाये।
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