‘वोकल फॉर लोकल’ प्रोडक्ट का होगा ब्रांडिंग: प्रोजेक्ट डायरेक्टर
उद्यमों को सफल बनाने के लिए मार्केटिंग का भी दिया जाएगा प्रशिक्षण
ऑनलाइन राष्ट्रीय सेमिनार का हुआ आयोजन, मिलेंगे वित्तीय सहायता
आत्मनिर्भर भारत अभियान’ की ओर जोडने के प्रयास से आईजीएनटीयू में सेमिनार का आयोजन किया गया, जहां प्रोजेक्ट डायरेक्टर डॉ. विकास सिंह द्वारा लोकन के लिए वोकल बनाने का संदेश भी दिये गये, उन्होने कहा कि हमें न सिर्फ लोकल वस्तुओं को खरीदना है, बल्कि उनका प्रचार भी करना है, लोकन से ग्लोबल तक पहुंचने का यह बडा अवसर है, इसलिए लोकन के लिए वोकल रहे।
अनूपपुर। इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय भारत सरकार द्वारा अनुमोदित एवं राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय, अमरकंटक द्वारा क्रियान्वित किए जा रहे प्रोजेक्ट के तहत मध्य-प्रदेश राज्य के युवाओं को निजी लिमिटेड कंपनी के पंजीकरण, औद्योगिक प्रयोजन हेतु औद्योगिक क्षेत्रों की भूमि, भवन-शेड आवंटन हेतु प्रक्रिया के लिए प्रशिक्षण एवं भारत सरकार के योजनाओं स्टैंडअप इंडिया स्कीम, मुद्रा लोन योजना, क्रेडिट गारंटी फण्ड स्कीम, एमएसएमई के अंतर्गत वित्तीय संस्थानों से वित्तीय सहायता दिलाने हेतु ऑनलाइन राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन 23 नवंबर को किया गया है, सेमिनार में डॉ विकास सिंह, मोरध्वज पैकरा, लवकेश जायसवाल, चिन्मय पांडेय, आशीष बनाफर, सुश्री वर्षा कुमरे, रोहित श्रीवास, रूद्र प्रताप, सुनील निरनेजक, राजीव सर, अनिल कुमार, अंजलि, अरुण सिंह पैकरा, बाल्मीकि जयसवाल, रोहित श्रीवास, आरपी ग्लोरियस, साक्षी शुक्ला, संजीत पांडे, सत्यदेव नाग, शैलेंद्र सिंह बघेल, सत्येंद्र कुमार, शशिकांत शर्मा, शिवन्या दुबे, शोभा, श्वेता, रविंद्र कुमार महोबिया, आशीष सिंह बनाफर, राजीव, वर्षा कुमरे, लोकेश जयसवाल, मुस्तांग सहित सैकड़ों युवा साथी उद्यमिता स्थापित करने का संकल्प लिया।
कुलपति के नेतृत्व में होंगे उच्च स्तरीय कार्य
सेमिनार में प्रोजेक्ट के अंतर्गत प्रशिक्षण के सम्बंध में जानकारी देते हुए डॉ विकास सिंह ने बताया कि प्रदेश के युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों, अर्ध-शहरी व शहरी इलाकों के युवाओं को सूक्ष्म, लघु तथा मध्यम आकार के स्टार्टअप/उद्यमिता प्रारम्भ करवाने के लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार करवाया जाएगा साथ ही उस उद्यम को प्रारम्भ करने, वित्तीय संरचना, अधोसंरचना, पोषण, मार्केटिंग सहित उसकी सफलता के सभी कुंजी को भी परिभाषित करवाया जाएगा एवं उसके डॉक्युमेंट भी तैयार करवाए जाएँगे। उनके उद्यमों को सफल बनाने के लिए मार्केटिंग का भी प्रशिक्षण दिया जाएगा, जिससे उनके कम्पनी से बनने वाले प्रोडक्ट का ब्रांडिंग (वोकल फॉर लोकल) वे स्वयं कर सकें। इसके लिए विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी के नेतृत्व में उच्च स्तरीय कार्य जारी है।
वैश्विक बाजार के लिए अंतरराष्ट्रीय लाइसेंस
सेमिनार को सम्बोधित करते हुए मोरध्वज पैकरा ने बताया की इस प्रोजेक्ट का सीधा उद्देश्य उद्यमिता स्थापित करवाना है जिसके अंतर्गत युवाओं को प्राइवेट लिमिटेड कंपनी या एलएलपी या वन पर्सन कंपनी खुलवाने के लिए कंपनी का रजिस्ट्रेशन करवाया जाएगा तथा उस उद्योग को प्रारंभ करने के लिए भूमि की व्यवस्था हेतु प्रपोजल तैयार कराए जाएंगे जिससे वे अपने उद्योग की स्थापना करवाने के लिए सरकार की योजनाओं के माध्यम से औद्योगिक भूमि ले सकेंगे। साथ में एक डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) तथा इंजीनियरिंग प्रोक्योरमेंट कंस्ट्रक्शन (ईपीसी) की रिपोर्ट तैयार कराकर शासकीय योजनाओं के माध्यम से अनेक उद्यम /उद्योग स्थापित करवाया जाएगा। उद्यम /उद्योग के प्रोडक्शन का क्वालिटी कंट्रोल करने के लिए आवश्यक लाइसेंस भारत सरकार से दिलवाया जाएगा एवं यदि आप का प्रोडक्ट वैश्विक बाजार में बेचना है तो अंतरराष्ट्रीय लाइसेंस भी दिलवाया जाएगा तथा ऑनलाइन एवं अन्य बड़ी कंपनियों के साथ भी टाइअप कराया जाएगा जैसे अमेजॉन, बिग बाजार रिलायंस, डी मार्ट जैसे व्यापारिक संस्थानों से टाई अप कराने से जो प्रोडक्ट है बेहतर मार्केटिंग की व्यवस्था कराई जाएगी। इस प्रकार से इस प्रोजेक्ट में कुल 5400 अलग-अलग उद्योग को स्थापित करवाना है और इसका कार्य शुरू हो चुका है और इस शासकीय प्रोजेक्ट में जो भी भाई बंधू उद्यमी या उद्योगपति बनना चाहते हैं इसका लाभ ले सकते हैं।
प्रोजेक्ट पर विभिन्न होंगे कार्य
सेमिनार को सम्बोधित करते हुए लवकेश जायसवाल ने बताया की इस प्रोजेक्ट के माध्यम से सामाजिक सेवा उद्योग, मेडिकल इलेक्ट्रॉनिक्स, रसायन और रासायनिक उत्पाद, कृषि उपकरण और मशीनरी निर्माता, इलेक्ट्रिकल मशीनरी & पार्ट्स, मशीनरी और पार्ट्स इलेक्ट्रिकल सामानों को छोड़कर, एफपीसी एग्रो / हॉर्टिकल्चर सेक्टर, बेसिक मेटल इंडस्ट्रीज, हार्डवेयर, हैंडीक्राफ्ट सेक्टर, ड्रिंक्स एंड बेवरेज सेक्टर, बम्बू वर्क सेक्टर, ग्लास वर्क सेक्टर, पेपर प्रोडक्ट्स और प्रिंटिंग-स्टेशनरी प्रोडक्ट्स, कॉस्मेटिक्स प्रोडक्ट्स, हेल्थकेयर उत्पाद, होजरी और गारमेंट्स – लकड़ी उत्पाद-कपड़ा क्षेत्र, सूती वस्त्र, खेल वस्तुएं, पूजा उत्पाद, परिवहन उपकरण और पार्ट्स-पर्यटन और यात्रा क्षेत्र, रबड़ और प्लास्टिक उत्पाद, आयुष उत्पाद, गैर-धातु खनिज उत्पाद, खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र, मसाले और खाद्य उत्पाद खाने के लिए तैयार, विविध उद्यमिता, अन्य सेवाएँ और उत्पाद, मरम्मत सेवाएँ इत्यादि। स्वदेशी उत्पादों का उत्पादन जिसे स्वदेशी उद्योगों / स्वदेशी उद्यम के माध्यम से मेडिकल इलेक्ट्रॉनिक हेल्थकेयर प्रोडक्ट्स, एग्रो मशीनरी, फूड प्रोसेसिंग से लेकर सोलर एनर्जी तक के स्टार्टअप शुरू करवाए जाएँगे, जिसमें अकेले मध्य प्रदेश राज्य में आठ लाख करोड़ के उद्यमिता /उद्योग के कारोबार शुरू होने की सम्भावना है तथा मध्यप्रदेश में लाखों युवाओं को रोजगार मिलेगा। सेमिनार में रजिस्ट्रेसन की प्रक्रिया को राजीव किस्सी ने विस्तार से समझाया तथा स्टार्टअप मैनेजर आशीष सिंह बनाफर ने कम्पनी फॉर्मेशन की प्रक्रिया के बारे में विस्तार से बताया अंत में सुश्री वर्षा कुमरे ने धन्यवाद ज्ञापित किया।