उपेक्षा के खिलाफ आवाज़: जिला पंचायत सदस्य सड़क पर, बैठको का किया बहिष्कार

प्रशासन सुनता नहीं, बैठकों का नहीं नियमों से संचालन
धरने पर बैठे जिला पंचायत सदस्यों ने साफ कहा कि तीन वर्षों से कार्यकाल बीत चुका है लेकिन आज तक एक भी बड़ा प्रस्ताव धरातल पर नहीं उतर पाया।
अध्यक्ष प्रभा मिश्रा, उपाध्यक्ष फूलवती सिंह, पुष्पा नंदू शर्मा और सहित अन्य सदस्यों ने कहा कि बैठकें नियमित नहीं होतीं और जब होती हैं, तो एजेंडे को नजरअंदाज कर दिया जाता है।
भाजपा नेता जगन्नाथ शर्मा ने कहा, “बैठकों में ग्रामीण क्षेत्र की समस्याएं रखी गईं, लेकिन प्रशासन ने आज तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की।”
धरने में उठे जमीनी मुद्दे: जल, सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य
धरने में शामिल कांग्रेस नेता पुष्पेंद्र पटेल ने कहा, “हमने बार-बार बुनियादी सुविधाओं पर ध्यान देने की मांग की — जल, सड़क, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे मुद्दों को हर बैठक में उठाया, लेकिन प्रशासन केवल कागजी खानापूर्ति करता है।” भाजपा के दुर्गेश तिवारी ने चेतावनी दी कि अब अगर प्रशासन जनप्रतिनिधियों की अनदेखी करता रहा, तो यह लोकतंत्र का अपमान होगा और विरोध और तेज़ होगा।
पारदर्शिता और सूचना का संकट भी मुद्दा बना
धरना दे रहे सदस्यों ने यह भी कहा कि उन्हें कई बार बैठकों की सूचना समय पर नहीं दी जाती, जिससे सदस्यों की भागीदारी और पारदर्शिता दोनों प्रभावित होती हैं।
अध्यक्ष प्रभा मिश्रा ने कहा, “मैंने कई बार जिला पंचायत सीईओ को पत्र लिखकर समस्याएं भेजीं, लेकिन या तो जवाब नहीं मिला या अमल नहीं हुआ। यह जनप्रतिनिधियों के साथ विश्वासघात है।”
क्या अब प्रशासन जागेगा?
अब सवाल यह है कि क्या जिला प्रशासन इस लोकतांत्रिक विरोध को एक चेतावनी के रूप में लेगा?
क्या स्थानीय विकास के लिए सुनवाई, जवाबदेही और स्थायित्व की दिशा में ठोस कदम उठाए जाएंगे या यह विरोध भी फाइलों की धूल बनकर रह जाएगा?
ये प्रमुख सदस्य रहे शामिल
प्रदर्शन में शामिल सदस्यों में प्रभा मिश्रा, दुर्गेश तिवारी, पुष्पेंद्र पटेल, पुष्पा नंदू शर्मा, गुर्जरत सिंह, अंजू गौतम रैदास, फूलवती सिंह, अमरावती सिंह, मनमोहन चौधरी, मुन्नी सिंह, रेखा पासी, जगन्नाथ शर्मा, दीपक कोल और ललन सिंह शामिल थे। सभी ने प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि यदि चुने गए प्रतिनिधियों की बात ही नहीं सुनी जाएगी, तो यह स्थानीय शासन की विफलता है।