ऐसी भी क्या जल्दी है….वीआरएस स्वीकृत करने मदन त्रिपाठी/मुन्ना भइया भोपाल रवाना..!!

कोतमा- माननीय न्यायालय से स्थगन समाप्त हो जाने से तिलमिलाए मुन्ना भइया के भोपाल रवाना होने की खबरे इन दिनों चर्चा में है। चर्चा में यह कयास लगाए जा रहे है कि 56 वर्ष से
अधिक उम्र होने के कारण विभाग अब इन्हें डी.पी.सी. नहीं बना सकता..! इसलिए इनके सलाहकारों ने इन्हें एक आसान रास्ता सुझाया है कि जिला शिक्षा अधिकारी पद पर प्रभार का आदेश कराए एवं डी.पी.सी. का प्रभार हडप लें..!! इसके लिए ये भोपाल रवाना भी हो चुके है। कयास ऐ भी लगाया जा रहा है कि ये जब तक शिक्षा विभाग के लिए स्वीकृत डी. एम. एफ. मद के 16 करोड़ रूपयो की खरीदी कर इसकी मलाई न चाट लेंगे पद पर बने रहेगे..!! डी.एम.एफ. की मलाई को तो ये पहले की चट कर चुके होते लेकिन नवम्बर में भोपाल भेजे गए प्रस्ताव की अब तक स्वीकृत नहीं मिलने से सब गडबड हो गया ऊपर से न्यायालय ने ऐन बख्त पर डंडा चला दिया मुन्ना भइया चारो खाने चित हो गए..!! अब पद पर बने रहने के लिए आदिवासी जिले का आदिवासी जिला शिक्षा अधिकारी एक आसान शिकार है, भले ही वो इनसे बरिष्ठ एवं निर्विवाद हो, अच्छे से विभाग चला रहा हो!!
अब देखना यह है कि आदिवासी हितैसी होने का दम भरने वाली सरकार एक अदिवासी जिले के आदिवासी अधिकारी को मुन्ना भइया का शिकार हाने से बचा पाती है कि नहीं। जिले के विधायक एवं सांसद जिले के एक आदिवासी अधिकारी का कितना हित संरक्षण कर पाते हैं..! मुन्ना भइया जैसे लोकस्वक बनाम नेताजी की सम्भावित पदस्थपना को रोकने के लिए क्या प्रयास करते हैं। समय है कि इनके प्रकोप से जिले को बचाने के लिए एक सम्मलित प्रयास किया जाय..!!