एक नंबर का माल है खुलेआम बेचों, हमारी सेटिंग है, नेशनल हाईवे के ढाबों पर खुलेआम छलक रहे जाम
(Ajay Namdev-7610528622)
पैकारे घोल रहे युवा पीढी में नशे का जहर
अनूपपुर। जिले से लेकर गांव-गांव तक अवैध शराब की पैकारी का कारोबार फैला हुआ है। शराब ठेकेदार का साम्राज्य गांव के गलियों तक फैला पसरा हुआ है जो बिना भय व बिना रोक टोक के शराब बेचवाने का काम कर रहे हैं। शराब ठेकेदार हर जगह पर अपने गुर्गों को बैठाकर शराब बेचने का अवैध कारोबार क्षेत्र में धड़ल्ले से चल रहा हैं। जिले से नगर व गांव के गलियों तक चारो तरफ अवैध शराब बिक्री के चलन ने जोर पकडा है। नगर का युवा शराब के लत में मदहोश होकर अपराध की दुनिया में जा रहा, बावजूद इसके स्थानीय पुलिस का अमला व आबकारी पुलिस का मौन रहना इनके कत्र्तव्यपरायण कार्यशैली पर प्रश्न चिन्ह खडा करता।
मुख्यालय बना ठीहा
जिले में पैकारी खुलेआम संचालित है, जो रेलवे स्टेशन समीप मढिया रोड स्थित एक पान ठेले व मंदिर एवं बस्ती रोड में सोनी नामक व्यक्ति के द्वारा संचालित है। जो खुलेआम आसपास के गांव व नगर में भी पैकारी करते हैं। इस तरह की पैकारी की जानकारी कोतवाली को होने के बाद भी कोतवाली निरीक्षक के द्वारा कार्यवाही न करने से इनके हौसले बुलंद है। जब भी इन पर कार्यवाही की बात की जाती है तो जीने दो की बात आती है।
गांव-गांव हो रही पैकारी
शराब ठेेकेदार इसी का फायदा उठाकर मजदूरों व बच्चों को शराब आसानी से मुहैया करा नशे के दलदल में धकेल रहे है। नगर व पंचायतो के मुख्य जगहों पर बकायदा दुकान शराब की संचालित है जहां से परोसने का काम धड़ल्ले से किया जाता है। इन क्षेत्र में शासन के अनुरूप लायसेंसी शराब के देशी व विदेशी दुकाने होने हैं। बावजूद नगर के प्रमुख चौराहों कालोनियों व ग्रामीण क्षेत्रों सहित पंचायतों में शराब ठेकेदार पुलिस व आबकारी के मिलीभगत से दुकाने संचालित करवा रहा है जिससे लोगों को शराब आसानी से मिल जाती है जिसका शिकार नये चेहरे ज्यादातर हो रहे हैं।
नाक के नीचे दर्जन ठीहे
जिले में आधा दर्जन अवैध शराब के ठीहे है, जहां शराब के साथ-साथ पीने की भी वयवस्था दी जाती है। इन ठीहों में देर रात तक जाम छलकता है। जिले में संचालित आधा दर्जन भर ठीहे आखिर देर रात तक खुलेआम किसके दम संचालित हो रहे हैं। लगभग 12 बजे देर रात्रि तक दुकान संचालित रहता है। शाम होते ही नगर में शराब के शौकीनो का मजमा आसानी से शोरगुल गाली-गलौज करते दर्जन भर ठीहों में देखा जा सकता है।
प्रशासन करती है खानापूर्ति
आबकारी विभाग के नुमाइंदे शराब ठेकेदारों के आगे घुटने टेक दिये हैं जिससे वह अनूपपुर समेत आसपास के गावों में छापामार कार्यवाही करने आते तो जरूर हैं, लेकिन आने से पहले शराब ठेकेदार के सूत्र सर्तक हो जाते हैं और वह सभी को सावधान कर देते हैं। जिससे कभी भी पैकारी करने वालो पर कार्यवाही नहीं होती है। क्या पुलिस के बीच में कोई गुप्तचर है जो शराब ठेकेदार के इशारों पर जानकारी देता है या फिर शराब ठेकेदार ने पुलिस पर भी तीसरी आंख लगा र ाी है।
पुलिस और ठेकेदार की सेटिंग
देश भक्ति जन सेवा का नारा लगाने वाली स्थानीय पुलिस व आबकारी विभाग द्वारा आज तक इस शराब पैकारी कारोबार पर अंकुश लगाने में नाकाम साबित रही। कभी कभार शराब पकड़कर कागजी खानापूर्ती कर ली जाती हैं, यदि जिसका एक बार केश बन गया तो वह शराब बेचने वाला व्यक्ति को समझो खुले तौर पर लायसेंस मिल गया हो। फिर उस पर कार्यवाही नहीं की जाती है। इससे साफ पता चलता है कि शराब ठेकेदार व पुलिस के बीच सेटिंग है तभी तो खुलेआम शराब पैकारी हो रही हो और कार्यवाही न हो।
शराब की नशे से परेशान हैं महिलाएं
सबसे ज्यादा दु:खी गृहणी महिलाएं रहती है जो परिवार और प्यार की तलाश में अपने पिता का घर छोड़ पति के घर आती है वो घुट-घुट का जीने को मजबूर है। नगर की महिलायें जिनके पति और जिसके युवा पुत्र को शराब पीने की बुरी लत पकड़ चुकी है यदि उन युवकों के माता-पिता नशे के मनाही के लिए किसी प्रकार की डाट फटकार लगाते है तो वह युवक नशे में क्षुब्ध होकर अपने जान पर आतुर हो जाते हैं। जहां एक तरफ मध्यप्रदेश सरकार नशा मुक्ति राज्य बनाने का सपना देख रही है वही स्थानीय स्तर पर शासन-प्रशासन व जन प्रतिनीधियों के लोग नशे का विरोध करने के बजाए उन्हे संगठित करने हेतु उन नवयुवकों को नशे का सामान आसानी से मुहैया करातें हैैं।
नशे की लत मे डूबी युवा पीढ़ी
इन्जोयमेन्ट के नाम पर नगर के पढने लिखने वाले युवाओं को नशे ने अपराध की ओर ढ़केल दिया है। नगर के अधिकतम युवा शाम होते ही नशा कर लेतें है तथा अपने माता-पिता और परिवार के सपनों को शराब की बोतल में डुबो कर खत्म कर देते है। नेताओं के कहने पर कमीशन पर कम पैसे में शराब मिल जाने से युवाओं का भविष्य गर्त में जा रहा है। अपराध को बढाने में नशा का बहुत बड़ा योगदान होता है। जो किसी भी अंजाम को कर सकने में किसी प्रकार की हिचकीचाहट नही करते हैं। छोटी-छोटी घटनाओं से बड़े घटना का रूप ले लेती हैं जो अधिकांशत: नशे में ही होता है।