घर मनाने गई श्रीमती हिमाद्री से नहीं मिले भाजपा सांसद
नरेन्द्र मरावी पर लगाये भितरघात और बीते चुनाव में हराने के आरोप

(अनिल साहू+91 70009 73175)
शहडोल। शहडोल संसदीय क्षेत्र में अजेय नेता के रूप में पहचान बना चुके शहडोल सीट से भाजपा के सांसद व पूर्व मंत्री ज्ञान सिंह ने टिकट न मिलने के कारण अपनी ही पार्टी से खफा हैं, उन्होंने भाजपा के ही खिलाफ निर्दलीय रूप से मैदान में उतरने की घोषणा कर मंगलवार को राजनैतिक गलियारो में हलचल मचा दी। श्री सिंह यहीं नहीं रूके, उन्होंने श्रीमती हिमाद्री से लेकर उनके पति व पूर्व भाजपा प्रत्याशी सहित प्रदेश व केन्द्र में बैठे पार्टी पदाधिकारियों को भी जमकर कोसा, पार्टी के निर्णय को गलत ठहराते हुए श्री सिंह ने कहा कि श्रीमती हिमाद्री सिंह प्लेन से आई हुई प्रत्याशी हैं, वे न तो भाजपा की नीति-रीति से वाकिफ हैं और न हीं पार्टी की विचारधारा से उसे कोई सरोकार है, जिसने बीते चुनावों में पार्टी और प्रदेश से लेकर केन्द्र तक के नेताओं को जमकर कोसा और मर्यादाएं लांघी, मैं उसके लिए किसी भी स्थिति में काम नहीं करूंगा। श्री सिंह ने कहा कि बांधवगढ़, मानपुर सहित पुष्पराजगढ़, अनूपपुर से मेरे पास लगातार फोन आ रहे हैं, कोई भी कार्यकर्ता इस निर्णय से खुश नहीं है। मैं निर्दलीय रूप से चुनाव मैदान में उतरूंगा।
तीन जीतें भी नहीं दिला सकीं 5 साल का कार्यकाल
भाजपा सांसद ने कहा कि पार्टी के आदेश पर मैं सबसे पहले 1996 के आम चुनावों पूर्व केन्द्रीय मंत्री और महाबली कांग्रेस नेता स्व. दलबीर सिंह के खिलाफ चुनाव मैदान में उतारा था, पूरे संसदीय क्षेत्र की जनता व आदिवासी भाईयों ने मुझे प्यार व स्नेह दिया, मैं चुनाव जीतकर संसद तक पहुंचा, लेकिन तात्कालीन सरकार ज्यादा दिन नहीं चल पाई, पुन: दोबारा मुझे 2013 में मौका दिया गया, तब भी मैं पार्टी और मतदाताओं के विश्वास पर खरा उतरा, इसके बाद 2016 में नोटबंदी के दौरान जब पूरा देश मोदी सरकार के खिलाफ चिल्ला-चोट मचा रहा था, मैनें पार्टी हित को देखते हुए कैबिनेट मंत्री पद छोड़ दिया और विपरीत परिस्थितियों में पार्टी को जीत दिलवाई। तीनों कार्यकाल में मैनें 5 साल भी पूरे नहीं किये, लेकिन पार्टी के आदेश को मानता रहा। इस बार जब परिस्थितियां हमारे अनुकूल हैं तो पार्टी के ही चंद नेताओं ने उम्र भर भाजपा के खिलाफ रहे परिवार से हिमाद्री सिंह को हाथ-पांव जोड़कर प्लेन से लाकर प्रत्याशी बना दिया।

नरेन्द्र के भितरघात के साक्ष्य आज भी जिंदा
पूर्व कैबिनेट मंत्री व भाजपा सांसद ज्ञान सिंह ने कहा कि बीते चुनावों के दौरान हिमाद्री सिंह के पति नरेन्द्र मरावी को जब टिकट नहीं मिली तो उसके द्वारा हर मोर्च पर पार्टी के खिलाफ व मुझे हराने के लिए प्रयास किये गये, झूठे पम्पलेट बांटकर व झूठा प्रचार कर मुझे हराने का प्रयास किया गया, जिसके साक्ष्य आज भी मेरे पास हैं। इसे मैं कैसे भूल सकता हंू, पार्टी का यह आदेश मुझे स्वीकार्य नहीं है, मैं हिमाद्री-नरेन्द्र सिंह के लिए कोई काम नहीं करूंगा।

पार्टी के संकटमोचन है ज्ञान सिंह

बीते 3 से अधिक दशकों से भारतीय जनता पार्टी की सक्रिय राजनीति में शामिल रहे, वर्तमान सांसद ज्ञान सिंह को अंचल में अजेय दाऊ के रूप में भी जाना जाता है, मामला संसदीय क्षेत्र का हो या फिर उमरिया या बांधवगढ़ विधानसभा का पार्टी व संगठन जब भी इस पशोपेश में आये कि सीट निकालना मुश्किल है, तो उनके सामने ज्ञान सिंह हमेशा संकटमोचन बनकर खड़े रहे, अंचल के वरिष्ठ कांग्रेस नेता और राजीव गांधी सरकार में केन्द्रीय वित्त राज्यमंत्री रहे स्व. दलबीर सिंह के ग्लैमर और बाहुबल को ज्ञान सिंह ने अपनी सादगी से पटखनी दी थी। यही स्थिति उमरिया के कद्दावर नेता अजय सिंह के साथ भी निर्मित हुई, प्रदेश कांग्रेस सरकार में मंत्री रह चुके उमरिया के कद्दावर कांग्रेसी नेता को सत्ता व सक्रिय राजनीति से बाहर करने का श्रेय भी दाऊ को ही जाता है। दो दशक पहले उमरिया में अजय सिंह की स्थिति और वर्तमान में उनकी स्थिति किसी से छुपी नहीं है, तीन बार सांसद और कई बार विधायक रह चुके ज्ञान सिंह उर्फ अजेय दाऊ इन दिनों खुद संकट के दौर से गुजर रहे हैं।

हिमाद्री को लौटाया बैरंग

मंगलवार को शहडोल संसदीय क्षेत्र के भाजपा प्रत्याशी श्रीमती हिमाद्री सिंह अपने भाई व पति के साथ दोपहर को उमरिया पहुंची, यहां श्रीमती हिमाद्री, ज्ञान सिंह के घर उनसे मिलने व उनकी नाराजगी दूर करने पहुंची, लेकिन दाऊ उनसे नहीं मिले। इस कारण श्रीमती हिमाद्री को बैरंग लौटना पड़ा, हालाकि इस दौरान श्रीमती हिमाद्री ने कहा कि हम दोनों के बीच कोई नाराजगी या मतभेद नहीं है, होली के कारण क्षेत्रीय ग्रामों में आयोजित होने वाले कार्यक्रमों में दाऊ गये हुए हैं, उनसे मुलाकात हो जायेगी, आज उनसे मिलने आने का कारण उनकी नाराजगी दूर करना नहीं बल्कि सामान्य मुलाकात के लिए आई थी।

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