सप्त ग्रंथियों को भेदन करने वाली है रामायण: वेदान्ती

शहडोल। मुख्यालय के एफसीआई गोदाम के पास सिंहपुर रोड स्थित आशुतोष त्रिपाठी द्वारा 02 अक्टूबर से 12 अक्टूबर तक श्रीमद् बाल्मीकि रामायण सप्ताह ज्ञान यज्ञ कथा करवाई जा रही थी, पूरे आयोजन में क्षेत्र के लोगों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया और भजन-कीर्तन का पुण्य लाभ प्राप्त किया। कथा का वाचन वेन्दान्ती महराज चित्रकूट धाम द्वारा किया जा रहा था, अश्विन शुल्क पक्ष चतुर्थी बुधवार 2 अक्टूबर को जल यात्रा के साथ का की शुरूआत की गई, वहीं अश्विन शुक्ल पक्ष चतुर्दशी शनिवार 12 अक्टूबर को हवन, आरती एवं भण्डारे का आयोजन किया गया है। श्री त्रिपाठी ने बताया कि की हवन, आरती के बाद दोपहर 1 बजे से भण्डारे का आयोजन किया गया है।
कथा भीड़ जुटाने का साधन नहीं
औद्योगिक क्षेत्र मार्ग एफसीआई के पास, सिंहपुर रोड रोहणी प्रसाद त्रिपाठी एवं संतोष त्रिपाठी के से चल रहे श्रीमद् बाल्मीकि रामायण सप्ताह ज्ञान यज्ञ में विभूषित जगद्गुरू वेदान्ती महाराज चित्रकूट धाम ने कहा कि कथा अर्थात जो कथन श्रवण होने के पश्चात हृदय का अज्ञान अंधकार मिटा दे, जिसे सुनकर जीव की परमात्मा के प्रति आस्था हो जाए अथवा एक भक्त संशय रहित हो जाए और उसकी आस्था प्रभु की ओर बहने लग जाए, जिसे श्रद्धा से भरा भाव कहते हैं। कथा मनोरंजन नहीं होती। कोई भीड़ जुटाने का साधन नहीं कथा, आम साधारण लोगों को रिझाने के लिए नहीं यह तो हनुमान जैसी राम प्यासी भक्तों को घुमाने के लिए होती है। इसलिए सुपात्र बनकर कथारूपी अमृत गृहण करने के लिए कथा में आना चाहिए। केवल कथा के पंडाल में नहीं कथा में बैठना चाहिए। श्रवण भेद के कारण ही भक्तों में एक धुंधकारी को ही विष्णुपार्षद लेने के लिए आए क्योंकि उसका श्रवण दृढ़ था और हृदय की अज्ञान की सप्त ग्रंथियों को भेदन करने वाला था, अन्यथा अदृढ श्रवण तो ज्ञान को भी संशय और भ्रम में बदल जाता है। रामायण राम की भांति राम जी का ग्रंथावतार हैं और हम उसे सुनकर शंका के सागर में गोते खाएं। यह आश्चर्य नहीं तो क्या है।