सर्वेयर खुद लगवा रहे खनिज विभाग को चूना @ खनिज माफिया के साथ साझे में कारोबार के आरोप

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समय के संरक्षण में फल-फूल रहा अवैध उत्खनन!
विभाग प्रमुख सहित मुखिया को गुमराह कर रहा सर्वेयर
संरक्षण में चल रहा रेत का गोरखधंधा
 (सतीश तिवारी)

शहडोल। यह बात तो आईने की तरह साफ हो गई है कि वर्दीधारियों और प्रशासनिक अधिकारियों के साथ ही खनिज और वन विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों के संरक्षण में पूरे क्षेत्र में रेत का अवैध कारोबार संचालित किया जा रहा है, पूरी चोरी भी इनकी शह पर ही की जा रही है, तहसील स्तर पर पूरा मैनेजमेंट कर रेत का अवैध कारोबार अपनी चरम सीमा पर है, खनिज विभाग ने जिस सर्वेयर को क्षेत्र की जिम्मेदारी सौंपी है, उसने भी कार्यवाही की जगह रेत चोरों, तस्करों और माफियाओं के सामने घुटने टेक दिया। पगार तो सरकार से ले रहे हैं, लेकिन चाकरी माफियाओं की कर रहा है, इतना ही नहीं विभागीय अधिकारियों के अलावा जिले के मुखिया को भी गुमराह करने का काम किया जा रहा है, तहसील क्षेत्र में हो रहे अवैध उत्खनन और परिवहन से न सिर्फ संभाग की छवि खराब हो रही है, बल्कि प्रदेश सरकार की मंशा पर भी पानी फिरता नजर आ रहा है।
मशीन नहीं मिली तो लोटे बैरंग बोड्डिया रेत खदान के मामले में राज एक्सप्रेस ने प्रमुखता से खबर प्रकाशित की, जिसके बाद प्रशासन ने कार्यवाही के लिए खनिज विभाग की ओर से खनिज सर्वेयर समय लाल गुप्ता को भेजा, लेकिन कथित कर्मचारी तो मौके पर पहुंचा, लेकिन सूत्र बताते हैं कि सूचना दे दी गई, खदान का संचालन करने वाले रसूखदार और पंचायत के प्रतिनिधियो ने मशीन को निकाल लिया और वाहन को भी हटवा दिया, लेकिन सिया के द्वारा जारी की गई, पर्यावरण स्वीकृति में दिये गये बिन्दुओं के हुए उल्लंघन की कथित कर्मचारी ने जांच तक करना मुनासिब नहीं समझा और बैरंग लौट आये। मेरे पास नहीं है कोई जानकारी
सीधे तौर पर लग रहे आरोपों के बाद जब खनिज सर्वेयर समय लाल गुप्ता से बात की गई तो उन्होंने बताया कि खदान से संबंधित कोई भी दस्तावेज उनके पास नहीं है, वह कार्यवाही के लिए गये थे,लेकिन मशीन ऊपर खड़ी थी और वाहन भी नदी में नहीं मिले, तो वह लौट आये, इतना ही नहीं उन्होंने कहा कि सिया ने क्या अनुमति जारी की है, इसकी जानकारी भी मुझे नहीं है। इससे अनुमान लगाया जा सकता है कि सब जानने के बाद कथित कर्मचारी या तो झूठ बोल रहा है, या फिर सबकुछ जानने के बाद भी विभाग प्रमुख और जिले के मुखिया को गुमराह कर रहा है। मुझे नहीं सौंपी कोई रिपोर्ट
इस मामले में अनुविभागीय अधिकारी राजस्व पी.के.पाण्डेय का कहना है कि खनिज विभाग के द्वारा उन्हें कोई भी रिपोर्ट नहीं सौंपी गई है और न ही उन्हें कोई कार्यवाही की जानकारी है, इतना जरूर है कि खनिज विभाग के अधिकारी कार्यवाही के लिए बोड्डिया खदान गये थे, लेकिन उनके विभाग के क्या नियम है, वह खनिज विभाग के अधिकारी और कर्मचारी जानेगें। एसडीएम ने भी जानकारी
खनिज अधिकारी सुश्री फरहत जहां ने बताया कि एसडीएम ब्यौहारी के द्वारा ग्राम पंचायत के सरपंच को मशीन न लगाने के लिए पत्र जारी किया गया है, जिसकी सूचना भी उनके कार्यालय में भेजी गई है, वहीं संजय गांधी टाईगर रिजर्व और सोन घडिय़ाल अभ्यारण क्षेत्र के दायरे में खदान की स्वीकृति के लिए उत्तर वन मण्डल के वनमण्डलाधिकारी के द्वारा भेजे गये प्रतिवेदन के आधार पर खदान की अनुमति प्रदान की गई है। इस मामले में यह तो साफ हो गया कि खदान की शुरूआत के दिनों में जो वीडियो और फोटो सामने आये वो खदान के संचालन के दौरान मशीन से उत्खनन और बड़े वाहनों को सीधे नदी में उतार कर खनन और परिवहन के ही है, जिसके बाद ही उक्त पत्र जारी किया गया, सवाल यह खड़ा होता है कि सिया के द्वारा जारी की गई पर्यावरण स्वीकृति में इस बात का स्पष्ट उल्लेख है कि नियमों का उल्लंघन मिलने पर तत्काल प्रभाव से अनुमति निरस्त करने के साथ ही पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा के तहत कार्यवाही के भी प्रावधान है, इतना ही नहीं अगर खनिज विभाग चाहे तो खदान के पोर्टल से इस बात की जांच भी हो सकती है कि बड़े वाहन की ईटीपी इस खदान से जारी हुई की नहीं, लेकिन सबकुछ जानने के बाद भी सभी खामोश हैं…….इनका कहना है…खदानों की स्वीकृति में अगर किसी भी प्रकार की विसंगतियां शहडोल वन वृत्त में हुई है तो उसकी जांच होगी और निश्चित तौर पर समीक्षा के बाद कार्यवाही की जायेगी। डॉ. ए.के. जोशीमुख्य वन संरक्षक वन वृत्त शहडोल

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