गठिया है पर घटिया नहीं: डॉ. जगबीर नुकसान होने से पहले उचित इलाज ज़रूरी

गठिया है पर घटिया नहीं: डॉ. जगबीर
नुकसान होने से पहले उचित इलाज ज़रूरी
(शंभू यादव)
शहडोल/ बिलासपुर। 1996 से प्रतिवर्ष 12 अक्टूबर विश्व गठिया दिवस के रूप में मनाया जाता है। आम जनता को गठिया-वात और इसकी आधुनिक चिकित्सा पद्धति के बारे में जागरूक करने के उद्देश्य से आर्क एंड पार्क क्लिनिक द्वारा 6 अक्टूबर को सप्ताह भर चलने वाली गतिविधि का प्रारम्भ , होटल जीत कॉन्टिनेंटल बिलासपुर में एक परिचर्चा का अयोजन कर के किया।
गठिया-वात लाइलाज नहीं
परिचर्चा में डॉ. जगबीर सिंह ने बताया कि गठिया-वात लाइलाज नहीं है और इसका इलाज भी उतना ही कारगर हो सकता है, जितना हाई ब्लड प्रेशर या मधुमेह का होता है। आवश्यकता है कि गठिया-वात के प्रारम्भ में ही, उसकी सही पहचान की जा सके और दवाइयों से तेजी से इलाज किया जाय। वात जैसी बीमारी में जोड़ों को सबसे ज़्यादा नुकसान शुरू के कुछ महीनों से लेकर पहले दो वर्षों में ही होता है और सबसे बुरी बात ये है कि नुकसान को रोकना तो आसान है, पर नुकसान को पलटना असंभव है।
उचित इलाज ज़रूरी
उचित इलाज के अभाव में कुछ वर्षों में ही जोड़ खासकर घुटने और कूल्हे इतने खराब हो जाते हैं कि घुटना प्रत्यारोपण जैसा महंगा आपरेशन करवाना पड़ सकता है। इसलिए नुकसान होने से पहले उचित इलाज ज़रूरी है। डॉ. सिंह ने आगे बताया कि गठिया-वात न सिर्फ जोड़ों में सूजन और जकडऩ पैदा कर उनको नुकसान पहुंचाती है, बल्कि इसका असर, फेफड़े, गुर्दे, मस्तिष्क, चमड़ी पर भी पड़ सकता है। कभी कभी वात जैसे बीमारी, रक्त-संचार में गड़बड़ी, खून की कमी और बार बार गर्भपात के रूप में सामने आती है।
जागरूकता की कमी
गठिया-वात 100 से ज़्यादा प्रकार का हो सकता है, जिनमें ज़्यादातर ऑटो-इम्यून होते हैं, जिसमें हमारी रोग प्रतिरोधी प्रणाली हमारे ही शरीर को नुकसान पहुंचाने लगती है। जागरूकता की कमी के कारण कई की पहचान होने में काफी देर हो जाती है। बढती उम्र और कमजोरी से होने वाला गठिया ( ओस्टियो आर्थराइटिस ), कम उम्र में होने वाला वात-जनित गठिया ( रूमाटोइड आर्थराइटिस ), इसके दो मुख्य प्रकार हैं।
बायोलॉजिकल उपचार-पद्धति
कुछ मरीजों में, यूरिक-एसिड से होने वाला गाठिया ( गाउट ), लूपस , स्क्लेरोडर्मा , सोरायसिस वाला गठिया, रीढ़ की हड्डी पर असर करने वाला अंकयलोसिंग स्पोंडिलीटिस और अन्य जटिल गठिया वात भी हो सकता है। परिचर्चा में मरीजों ने गठिया-वात की नवीनतम बायोलॉजिकल उपचार-पद्धति के बारे भी जाना।
पुरुषों से महिलाओं ज्यादा महिलाएं
परिचर्चा में उपस्थित 150 मरीजों में ज़्यादातर महिलाएं थीं, क्योंकि , वात जैसी बीमारी पुरुषों की तुलना में महिलाओं में दोगुनी पाई जाती है। एक महिला ने बताया कि उन्होंने दर्द निवारक और स्टेरॉयड जैसी दवाइयां काफी पहले ही बन्द कर दी हैं, और सिर्फ डीएमएआरडी दवाइयों से आपने गठिया-वात पर जीत हासिल कर काफी संतुष्ट हैं।
ये रहे मौजूद
परिचर्चा में गठिया रोग के उपचार के लिए विख्यात डॉ. जगबीर सिंह के अलावा, वरिष्ठ फि़जिय़ोथेरेपिस्ट डॉ. शिखा सिंह और सभा मे उपस्थित कई मरीज़ों ने अपने विचार रखे। मुख्य अतिथि नगर विधायक शैलेष पांडेय एवं अध्यक्षता राष्ट्रीय करणी सेना के प्रांतीय अध्यक्ष, चित्तू ठाकुर ने की।