वर्दीधारी ने कोतवाली के अंदर युवक को पीटा

पुलिस अधीक्षक ने किया निलंबित
शहडोल। अक्सर झगड़ा होने पर लोगों को खाकी की याद आती है, लेकिन झगड़ा सुलटाने वाले वर्दीधारी ही जब कोतवाली में आए लोगों से मारपीट करने पर उतारू हो जाये तो, आमजनता न्याय की आस किससे लगायेगी। बीते दिनों कोतवाली में पदस्थ वर्दीधारी ने युवक को कोतवाली के अंदर ही वर्दी की ताकत का एहसास करा दिया, जबकि कोतवाली के अंदर सीसीटीवी कैमरा लगा है, बावजूद इसके वर्दी की गर्मी के चलते पुलिस वाले ने फरियादी को ही अपमानित करते हुए पीट दिया। हालाकि पूरा मामला कप्तान के संज्ञान में आने के बाद कथित वर्दीधारी को तत्काल ही पुलिस अधीक्षक कुमार प्रतीक ने निलंबित कर दिया।
यह है मामला
पुलिस अधीक्षक को शिकायत देते हुए आशुतोष ने सीएम हेल्पलाईन में शिकायत की थी, जिस संबंध में कोतवाली प्रभारी द्वारा फोन कर बुलाया गया, जहां पहुंचने पर थाना प्रभारी उपलब्ध नहीं थे, उनसे फोन में बात होने पर मुझे परस्ते जी से मिलने को कहा गया, मैं परस्ते जी पूछते हुए जब उन तक पहुंचा, उनके पास थाना प्रभारी का फोन आ चुका था, वह बात कर रहे थे तो, मैं वहीं बगल में रखी कुर्सी पर बैठ गया, जिस पर आरक्षक रौनक पवार ने बताया कि यह कुर्सी उसकी है। यहां कैसे बैठ गये, मैनें बोला मुझे मालूम नहीं था सर और मैं वही पास खड़े होकर परस्ते जी का फ्री होने का इंतजार करने लगा, जितने में आरक्षक रौनक ने आकर मेरा हाथ पकड़ के पहले खींचा और फिर देने लगा, बोला एक बार मैं बता दिया समझ में नहीं आ रहा है।
ठीक से समझा दूंगा
फरियादी ने शिकायत में उल्लेख किया कि अपशब्दो का प्रयोग करते हुए कहा कि ठीक से समझा दूंगा, मैंने जब बोला कि आप मुझसे ऐसे बात नहीं कर सकते तो, बोला अभी तो सिर्फ बात कर रहा हूं, निकल यहां से वरना बहुत कुछ कर दूंगा, तब मैनें थाना प्रभारी को फोन लगा कर घटना की जानकारी दी कि मेरे साथ अभद्रता किया जा रहा है तो, सर ने पूछा कौन है, उस दौरान आरक्षक वर्दी में नहीं था, इस कारण नाम नहीं पता चल पाया।
अभी निकाल दूंगा नेतागिरी
पीडि़त ने शिकायत में उल्लेख किया कि मैने मोबाइल का कैमरा चालू कर उनकी फोटो लेने का प्रयास किया, ताकि साहब को दिखा सकूं, जिस पर वह आक्रोषित होकर मेरा मोबाइल हाथ से झपट लिए और मुझे खींचते हुए थाना ्रप्रभारी के चैम्बर के अंदर ले जाकर मेरे साथ मारपीट करने लगे और गला भी दबा दिया, बोला अभी सारी नेतागिरी निकाल दूंगा, साथ गालियां भी दी गई, पीडि़त ने पुलिस अधीक्षक से जांच कर निलंबन करने की मांग की थी। जिस पर पुलिस अधीक्षक ने तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया एवं निलंबन अवधि में मुख्यालय रक्षित केन्द्र शहडोल में रहेगा। जहां पर ली जाने वाली गणनाओं में उपस्थित रहने पर इन्हें जीवन निर्वहन भत्ता देय होगा। हालाकि चर्चा है कि कथित आरक्षक द्वारा शिकायतकर्ता पर दबाव बनाकर शिकायत वापस लेने को कहा जा रहा है।