आत्मिक प्रसन्नता, साधना का परिणाम है

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भोपाल।प्रत्येक जीव जो कर्म करता है उसका फल ही उसे प्राप्त होता है। नवरात्रि के इस पुनीतकाल में हम जो भी जप, तप, यज्ञ, होम तथा दान करेंगे वह अनंतगुना विकसित होकर हमें और हमारी संतति परंपरा को सहज रूप से प्राप्त हो जाएगा।श्री देवी भागवत कथा के षष्टम दिवस पर मां भगवती कात्यायनी के स्वरूप का चित्रण करते हुए आचार्य डॉ निलिम्प त्रिपाठी ने यह बताया। कात्यायन ऋषि पर मां भगवती की कृपा हुई और उन्हें कात्यायनी रूपी पुत्री प्राप्त हुईं। जो भी साधना करता है उसे दैवीय कृपा अवश्य ही प्राप्त होती है।यह आत्मा के जागरण का काल है और इस अवधि में सभी को सत्कर्म करना चाहिए। वेद विद्या मार्तंड ब्रह्मचारी डॉ गिरीश जी के मार्गदर्शन में श्रीमद् देवी भागवत पुराण का वाचन महर्षि वैदिक संस्कृति केंद्र, अरेरा कॉलोनी में संपन्न हो रहा है। इसमें बहुसंख्यक लोग पुण्य लाभ ले रहे हैं।कार्यक्रम में आज पूर्व उच्च शिक्षा मंत्री पंडित मुकेश नायक जी ने भी आध्यात्मिक प्रबोधन दिया। जनमानस ने बहुत सराहना की। कार्यक्रम में  वी आर खरे, राम सेवक मिश्र,  संजय दीक्षित, श्रीमती नीता बांगड़, श्रीमति निधि, श्रीमती नीरू, श्रीमती गंगा एवं महर्षि संस्थान के अनेक गणमान्य सदस्य उपस्थित थे।

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