हमारी चेतना का जागृत रूप ही मां दुर्गा हैं

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भोपाल।श्रीमद् देवी भागवत के सप्तम दिवस में माता की शक्ति पूजा और बीज मंत्रों की व्याख्या करते हुए विद्वान आचार्य डॉ निलिम्प त्रिपाठी ने बताया की हमारे अंतर्मन में बहते हुए भाव को दैवीय शक्ति ही पल्लवित, पोषित और पुष्पित करती है। संसार सागर से पार लगाने वाली दुखों को दूर करने वाली और कल मास को मिटाने वाली मां दुर्गा भक्तों का अकाल दूर कर देती है इसलिए उन्हें कालरात्रि कहते हैं।महर्षि सांस्कृतिक केंद्र के वातानुकूलित सभागार में अत्यंत मन मोहिनी कथा हो रही है। नगर के विभिन्न में गणमान्य विद्वान तथा महर्षि संस्थान के आचार्य इस में बढ़ चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं।आचार्य त्रिपाठी ने बताया कि पंचायतन पूजा पंचतत्व की उपासना ही है जिसमें गणेश जी पृथ्वी तत्व को, शिवजी जल तत्व को, सूर्य देव तेज को, मां दुर्गा गगन को और विष्णु जी वायु तत्व को प्रेरित करते हैं। यह देवता इन तत्वों के अधिष्ठान हैं। देवी भागवत के अनेक गूढ़ रहस्य का उद्घाटन करते हुए आचार्य जी ने जन रंजक कथाएं भी सुनाई।कथा व्यास विशेष रूप से गुफा मंदिर लालघाटी के श्री महंत  रामप्रवेश दास जी तथा मंशापूर्ण हनुमान मंदिर के महंत श्री भी अपने शिष्य मंडल सहित उपस्थित रहे। सहकारिता विभाग के अधिकारी  विमल श्रीवास्तव , विनय दीवान, बांगड़ परिवार तथा आचार्य त्रिपाठी का शिष्य मंडल पूरे भारतवर्ष से सम्मिलित रहा। महर्षि संस्थान द्वारा समापन दिवस के अवसर पर पूर्ण फल प्राप्ति हेतु समस्त जन समुदाय से आगमन का अनुरोध किया गया है।

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