मौतों के हाहाकार से बेजार हैं जनता के प्रतिनिधि
मातमपुरसी की न तो फुर्सत, न दुख से आंखे नम हो रहीं
धनपुरी कोयलांचल में एक साथ हुई सात युवकों की मौत ने पूरे क्षेत्र को भले ही झकझोर कर रख दिया हो, पूरे क्षेत्र में भले ही दुख का पहाड़ टूट पड़ा हो लेकिन सांसद, विधायक जैसे जनप्रतिनिधि क्षेत्र में न तो मातमपुरसी करने पहुंचे न उन्हेाने संवेदना के दो शब्द भी मुंह से निकाले हैं। इसी से पता चलता है कि उनके अंदर क्षेत्र को लेकर कितनी पीड़ा है?
शहडोल। धनपुरी यूजी माइंस में जहरीली गैस से 7 युवकों की मौत के बाद लगातार सोहागपुर कोयलांचल में प्रशासनिक सरगरर्मियां चल रहीं है और पुलिस व प्रशासन तेज गति से कार्रवाई कर रहा है। हालांकि एसईसील प्रबंधतंत्र पर धारा 304 ए जैसी कठोर धारा के तहत प्रकरण दर्ज किया गया है और पुलिस विभाग ने भी आक्रोश को ठण्डा करने व अपनी खाल बचाने के लिए धनपुरी थाना प्रभारी और एएसआई को लाइन अटैच कर दिया है। कबाड़ के ठीहों पर दबिश भी पडऩे लगी है। लेकिन यह जो भी कार्रवाई हुई स्वयमेव प्रक्रियाओं के तहत हुई। इसमें किसी जनप्रतिनिधि को यहां उपस्थित होकर जोर नहीं लगाना पड़ा।
कबाडिय़ों पर दर्ज हुआ मामला
एसपी ने आश्वासन दिया था कि इस बात की जांच की जा रही है कि बंद धनपुरी यूजी माइंस से कबाड़ निकालने घुसे और अपनी जान गवंा बैठे युवक आखिर किसके लिए काम कर रहे थे। पुलिस मुश्तैदी से इस बात का पता लगाए और जिन कबाडिय़ों के लिए काम करते हुए युवकों ने जान गंवाइ उन पर भी मामला दर्ज किया जाए। एसपी के कथनानुसार कबाडिय़ों की पतासाजी कर उनके विरुद्ध मामला दर्ज किया गया है। इसमें धनपुरी निवासी पप्पू टोपी, गुड्डू खान, आरिफ पर धारा 304, 411, 413, 109 आदि के तहत प्रकरण दर्ज किया गया है। साथ ही फरार पप्पू टोपी पर 10 हजार का ईनाम भी घोषित किया गया है।
थाना प्रभारी पर कड़ी कार्रवाई जरूरी
धनपुरी थाना प्रभारी को लाइन अटैच कर देना भर काफी नहीं है उसे कबाड़ चोरी के लिए दोषी मानते हुए उस पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। पूरे क्षेत्र में आज कबाड़ का अवैध कारोबार चल रहा है, जिसकी रोकथाम करना पुलिस की जिम्मेदारी है लेकिन पुलिस ऐसे अपराधों पर अंकुश लगाने की बजाय अपराधपोषक बनी रहती है। बड़ी घटनाएं होने पर पुलिस साफ बच जाती है। उस पर कोई आंच नहीं आती है। इसीलिए पुलिस के हौसले बुलंद रहते हैं।
अन्य खदानों पर भी डालें नजर
सोहागपुर कोयलांचल के अंतर्गत केवल धनपुरी यूजी माइंस ही बंद नहीं पड़ी है बल्कि इसके अलावा भी झगरहा माइंस, अमलाई यूजी माइंस व सुभाष माइंस बंद पड़ी हैं। एहतियात के उपाय इन खदानों के लिए भी किए जांए यहां भी चौकसी बढ़ाई जाए। ताकि इन खदानों में भी कोई घुसने की हिमाकत नहीं कर सके। कालरी प्रबंधतंत्र ने आज तक इन खदानों की न तेा फिलिंग कराई है और न इन खदानो में सिक्योर्टी गार्ड लगाया और न यहां किसी तरह के चेतावनी बोर्ड आदि लगाए हैं। बंद पड़ी खदानों को मौत का कुंआ बताकर उसमें चेतावनी बोर्ड लगाया जाए और वहां सुरक्षा के इंतजाम किए जाएं।
जनप्रतिनिधि करें मॉनीटरिंग
धनपुरी यूजी माइंस में घटना के बाद कालरी प्रबंधतंत्र ने कितना और क्या क्या इंतजाम किया है इसकी मॉनीटरिंग की जानी चाहिए। मॉनीटरिंग करने में प्रशासनिक अमले के साथ जनप्रतिनिधि होने चाहिए। इस पर कोई समझौता नहीं होना चाहिए। इसके लिए कालरी प्रबंधतंत्र को कलेक्टर की ओर से भी चेतावनी देकर एक निर्धारित समयावधि देकर इस काम को प्राथमिकता और जिम्मेदारी से कराया जाना चाहिए। जब तक जनप्रतिनिधि क्षेत्र मेें पहुंच कर घटना से अवगत नहीं होते वे केवल चि_ी लिखने तक ही सीमित रहेंगे। यहां तो जरूरत आमरण अनशन करने की है।
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