कप्तान की मेहनत लाई रंग@पुलिस ने 14 वर्षीय बालिका को किया दस्तयाब

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मानसिक रूप से कमजोर थी नाबालिग
शहडोल। कोतवाली क्षेत्रांतर्गत 14 वर्षीय गुम नाबालिग बालिका के प्रकरण में  पुलिस टीम को 01 वर्ष के लंबे अवधि के बाद बालिका को दस्तयाब करने में सफलता मिली। मानसिक रूप से कमजोर बालिका को खोज निकालना पुलिस टीम के लिए काफी चुनौती पूर्ण रहा, परिजन भी बालिका के पुन: मिलने की उम्मीद भी लगभग खो चुके थे। लेकिन पुलिस अधीक्षक कुमार प्रतीक की संवेदनशीलता के चलते उनके कुशल मागदर्शन में कोतवाली पुलिस ने बालिका को ढूंढक़र कर परिजनों से मिलवाया है।
पुलिस में दर्ज कराई थी शिकायत 
26 अप्रैल 2022 को महिला द्वारा कोतवाली में रिपोर्ट लिखाई कि उसकी 14 वर्षीय नातिन 22 अप्रैल 2022 को बिना किसी को बताये कहीं चली गई है, जिसकी आस-पास रिश्तेदारी मे पता तलाश किये किन्तु पता नहीं चला है। फरियादिया की रिपोर्ट पर कोतवाली में धारा 363 मामला पंजीबद्ध कर विवेचना मे लिया गया। पुलिस द्वारा अपहरण का प्रकरण पंजीबद्ध कर पता-तलाश प्रारंभ की गई। सभी थाना-चौकी प्रभारियों के लिए बालिका के हुलिया के संबंध में जानकारी देने के लिए संदेश प्रसारित किया गया।  विवेचना के दौरान प्रकरण की फरियादिया व साक्षीगण से पूछताछ की गई। फरियादिया के निशादेही पर घटना स्थल का नक्शा तैयार किया गया व आस-पास के दुकानों मे लगे सीसीटीव्ही कैमरे का अवलोकन किया गया, किन्तु अपहृता बालिका के संबंध में कोई सुराग नहीं मिला। सूचनाकर्ता द्वारा व्यक्त किये गए संदेह के आधार पर संदेहियों से गहरी पूछताछ की गई।
30 हजार का था ईनाम 
पुलिस अधीक्षक कुमार प्रतीक ने केस डायरी का अवलोकन किया गया। प्रकरण की गंभीरता को दृष्टिगत रखते हुए अति. पुलिस अधीक्षक के पर्यवेक्षण में उप पुलिस अधीक्षक (मुख्यालय) राघवेन्द्र द्विवेदी के नेतृत्व में 07 सदस्यीय विशेष अनुसंधान दल का गठन किया गया एवं बालिका की त्वरित दस्तयाबी के लिए निर्देश जारी किये गए। नाबालिग बालिका की दस्तयाबी एवं आरोपी की पता-तलाश के लिए पुलिस अधीक्षक द्वारा 10 हजार रूपये की ईनाम उद्घोषणा जारी की गई। पुलिस अधीक्षक की अनुशंसा पर अति. पुलिस महानिदेशक डी. सी. सागर द्वारा ईनाम की राशि बढ़ाकर 30,000 रूपये कर दी गई।
परिजनों ने छोड़ दी थी उम्मीद 
10 माह से ऊपर का लंबा समय व्यतीत हो जाने के बाद बालिका के परिजन बालिका को पुन: प्राप्त करने की उम्मीद लगभग समाप्त मान रहे थे, पुलिस द्वारा बालिका की पता-तलाश के लिए किये जा रहे लगातार प्रयासों के परिणामस्वरूप जानकारी प्राप्त हुई कि बालिका घटना दिनांक को शहडोल रेल्वे स्टेशन से ट्रेन के माध्यम से संबलपुर, उड़ीसा चली गई थी, जिसे रेल्वे स्टेशन से स्थानीय पुलिस द्वारा बाल कल्याण समिति संबलपुर, उड़ीसा के सुपुर्द किया गया था। बालिका अपना नाम-पता सही से नहीं बता पा रही थी जिससे बाल कल्याण समिति, संबलपुर द्वारा बालिका के परिजनों को सूचित नहीं किया जा सका।
इश्तहार ने दिखाया रंग
शहडोल पुलिस द्वारा बालिका की पतासाजी के लिए रेल्वे स्टेशन व बस स्टैण्ड, ट्रेनों-बसों में पम्पलेट इश्तहार लगाये थे। ऐसी ही एक ट्रेन में जिसमें शहडोल पुलिस द्वारा पम्पलेट/इश्तहार लगाया गया था, उसको देखकर बाल कल्याण समिति, संबलपुर को जानकारी मिली, तो उनके द्वारा कोतवाली पुलिस व बाल कल्याण समिति शहडोल में संपर्क किया गया, जिस पर कोतवाली द्वारा बालिका की पहचान वीडियो कॉलिंग के माध्यम से उनके परिवारजनों से कराई गई। अंतत: पुलिस अधीक्षक के निर्देशन में कोतवाली पुलिस की एक टीम संबलपुर, उड़ीसा रवाना की गई, जहॉं से बालिका को दस्तयाब कर परिजनों के सुपुर्द किया गया।
इनकी रही भूमिका
उक्त कार्यवाही में उप पुलिस अधीक्षक (मुख्यालय) राघवेन्द्र द्विवेदी , थाना प्रभारी कोतवाली योगेन्दर सिंह परिहार, उनि.उपेन्द्र त्रिपाठी, सउनि रजनीश तिवारी, राकेश बागरी, कामता पयासी, प्र.आर. दिनेश केवट, द्विवेदी , मृगेन्द्र सिंह, सोनी नामदेव की भूमिका सराहनीय रही।

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