ट्रक ड्राइवर ने कबाड़ से बनाई करोड़ों की संपत्ति …तो साहब अब्दुल के पास है नोट छापने की मशीन!

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                  कार्यवाही के बाद तेज हुआ अवैध कबाड़ का कारोबार

उमरिया। जिला मुख्यालय सहित आस-पास के कस्बाई क्षेत्रों में कबाडिय़ों का धंधा खूब फल-फूल रहा है। अधिकतर
कबाडिय़ों के पास कोई लाइसेंस भी नहीं है। वहीं कबाडिय़ों के चलते चोरी की घटनाएं भी बढ़ रही है। क्योंकि चोर
अपना चोरी का सामान अधिकतर इन्ही कबाडिय़ों के यहां खपाते हैं। 1985 से 1995 के बीच रामपुरी-मोहनपुरी का
युवक आज वर्षाे बाद सुखिर्यों में है। ट्रक ड्राइवरी से अपने जीवन की शुरूआत करने इस युवक ने बीते वर्षाे में कबाड़ के
कारोबार से अकूत संपत्ति अर्जित की। 35 वर्षाे के अपने सफर में भरौली, बांधवगढ़ रोड, महिमार, घंघरी सहित कई
स्थानों पर अपने सहित परिवार के नाम पर जमकर अचल संपत्ति खरीदी की।
ब्यौहारी वाया उमरिया
अब्दुल का जिले में कबाड़ के कारोबार में सिक्का चलता है, पड़ोसी जिले के ब्यौहारी से अब्दुल के ठीहे पर कबाड़ पहुंच
रहा है, बीते माहों में पुलिस द्वारा अब्दुल के ठीहे पर दबिश दी गई, इस दौरान पुलिस को वाहनों के इंजन, मोटर
सायकल के पहिए, हाइव की डिक्स के अलावा अन्य वाहनों के भी कलपुर्जे मिले थे, लेकिन उसके बावजूद वर्षाे से
अवैध कारोबार में अपनी जड़े जमा लेने वाला कथित कबाड़ी इस पूरे मामले से बाहर निकल आया, चर्चा है कि जिले के
कस्बाई सहित ग्रामीण क्षेत्रों से कबाड़ अब्दुल के ठीहे पर खपता है, वहीं पड़ोसी जिले के ब्यौहारी से भी अब्दुल के ठीहे
पर कबाड़ पहुंच रहा है।

कट रहे टैक्स बकाया वाले वाहन
कोयलांचल में छत्तीसगढ़ सहित प्रदेश के अन्य हिस्सो की कई बड़ी कंपनियां करोड़ों रूपये का ठेका लेकर काम कर रही
है, वाहनों का पंजीयन छत्तीसगढ़ सहित प्रदेश के अन्य हिस्सों में कराया जाता है, लेकिन टैक्स और परमिट की राशि
बचाने के लिए अब्दुल नामक कबाड़ी मसीहा बना हुआ है, सूत्रों की माने तो अवैध कबाड़ के काम से जहां अब्दुल लाखों
रूपये पीट रहा है, वहीं व्यवसायियों को भी राजस्व चोरी में साथ दिया जा रहा है, बीते माहों में अब्दुल के यहां पुलिस
की दबिश के बाद अवैध कबाड़ पकड़ाया था, लेकिन सेटिंग से मामले को इतना छोटा कर दिया गया कि अब्दुल के एक
बार फिर अवैध करोबार की चर्चा सरगर्म है।
अब्दुल बना मसीहा
अगर कोई वाहन परिवहन कार्यालय में पंजीकृत है तो, उसे कटवाने के लिए विभाग का पूरा बकाया अदा करने के साथ
आदेश लेना होता है, जिसके बाद ऑन लाईन प्रक्रिया के तहत कम्प्यूटर से एक सीट जनरेट होती है, उसके बाद वाहन
को काटा जा सकता है, जिसकी जानकारी संबंधित थाने में देनी होती है, हालाकि वाहन जिस जगह पंजीकृत होता है,
वहां से इसकी अनुमति लेनी होती है, 15 दिनों के भीतर थाने में इस बात की सूचना देनी होती है, अक्सर बड़े
व्यवासायी एक वाहन की अनुमति लेने के बाद कई वाहनों को कटवा देते हैं, चर्चा है कि बड़े व्यवसायियों को पाक साफ
करने का जिम्मा अब्दुल द्वारा उठा लिया गया है।
खुलेआम संचालित है दो ठीहे
मुख्यालय में खुलेआम अब्दुल नामक कबाड़ी द्वारा 2-2 ठीहे संचालित किये जा रहे है, इस तरह से खुलेआम अवैध
कबाड़ के व्यापार से मिली छूट के कारण चोरों के हौसले बुलंद हो रहे हैं, कालरी सहित रेलवे के लोहे के साथ ही चार
पहिया दोपहिया तथा मालवाहक वाहन मुख्यालय में पलक झपकते ही गैस कटर से काटकर कबाड़ के रूप में तब्दील
कर दिए जाते हैं। इस अवैध काले धंधे में स्थानीय प्रशासन व पुलिस की भी अहम भूमिका रहती है, जिससे दिन रात
मुख्यालय में इस काम ने बड़ा रूप ले लिया है। ऐसा नहीं है कि पूर्व में कालरी से कबाड़ सहित टैक्स बचे हुए वाहनों की
कटने की खबर नहीं आई हो, लेकिन मैनेजमेंट के खेल में माहिर लोगों ने मामले को इतना ठण्डा कर दिया कि वरिष्ठ
अधिकारियों की कार्यशैली आज भी कटघरे में खड़ी है।

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