…तो विधानसभा में शहडोल कलेक्टर ने दी थी झूठी जानकारी 7 सालों में 7 इंच भी नहीं बढ़ी 248 की फाईल

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बुढ़ार। तहसील अंतर्गत ग्राम धनपुरी की आराजी खसरा नंबर 76 का भू-खण्ड जो पूर्व के कई दशकों से 1994-95 तक मध्यप्रदेश शासन के रूप में राजस्व रिकार्डाे में दर्ज रही, यह भूमि अचानक 95-96 के दौरान श्रवण कुमार चौधरी पिता बिहारी लाल चौधरी के नाम पर दर्ज हो गई, करोड़ों की यह भूमि वर्ष 2000 और उसके बाद में तत्कालीन शहडोल डीपीसी मदन त्रिपाठी की पत्नी और भाईयों के नाम पर दर्ज हो गई, वर्तमान में उक्त शासकीय भूमि पर त्रिपाठी बंधुओं की आलीशान कोठियां बनी हुई हैं। करोड़ों की शासकीय भूमि के खुर्द-बुर्द करने के षड्यंत्र के संदर्भ में वर्ष 2016 में मध्यप्रदेश विधानसभा में भाजपा विधायक गिरीश गौतम ने प्रश्न उठाया था, जिसके बाद जो जानकारी शहडोल कलेक्टर मुकेश शुक्ला के माध्यम से विधानसभा भेजी गई, वह पूरी तरह से कोरी व काल्पनिक प्रतीत होती है। जिस जांच और कार्यवाही शीघ्र पूरी होने का उल्लेख मुकेश शुक्ला ने भेजे गये उत्तर में उल्लेखित किया था, उसे 7 साल से भी अधिक का समय बीत चुका है, कार्यवाही तो दूर बुढ़ार तहसील कार्यालय में उक्त प्रकरण क्रमांक की फाईल तक खोजे नहीं मिल रही है।
खुर्द-बुर्द को माना था कलेक्टर ने
वर्ष 2016 में भाजपा विधायक ने सोहागपुर से पूर्व विधायक रहे छोटे लाल सरावगी के द्वारा पूर्व राजस्व सचिव मध्यप्रदेश शासन के साथ ही शहडोल कलेक्टर व कमिश्नर को दी गई शिकायत के संदर्भ में हुई कार्यवाही को लेकर प्रश्न खड़े किये थे, यह जानकारी मांगी गई थी कि 3 साल पहले नियम विरूद्ध तरीके से नजूल की भूमि का नामांतरण श्रवण कुमार व मदन त्रिपाठी के परिजनों के नाम पर की गई थी, जिसकी जांच के उपरांत यह प्रमाणित हो चुका है कि पूरा मामला मदन त्रिपाठी के प्रभाव के कारण गलत तरीके से किया गया है, इस मामले में शहडोल कलेक्टर ने 17 मार्च 2016 को शहडोल से भेजी गई जानकारी में यह उल्लेख किया कि आराजी खसरा नंबर 76 की भूमि श्रवण कुमार के नाम पर वर्तमान में दर्ज है, जो पूर्व में मध्यप्रदेश शासन के नाम पर दर्ज रही है, इसी मे से मदन त्रिपाठी की पत्नी के नाम पर भू-खण्ड का हिस्सा विक्रय किया गया है, विद्या देवी पत्नी मदन त्रिपाठी के नाम पर खसरे में ना.प. क्र. 35 आदेश दिनांक 30.09.2002 तथा इसी भू-खण्ड का एक हिस्सा महेन्द्र त्रिपाठी पिता मोतीलाल त्रिपाठी के नाम पर विक्रय किया गया।

शीघ्र कार्यवाही का था उल्लेख

विधानसभा को भेजी गई जानकारी में तत्कालीन कलेक्टर मुकेश शुक्ला ने यह भी उल्लेख किया था कि खसरे में जिस प्रकरण द्वारा नजूल भूमि का नामांतरण किया गया है, वर्तमान में उक्त प्रकरण उपलब्ध नहीं है। इस संदर्भ में शोध कार्य जारी है, किन्तु इसी दौरान इन तथ्यों को संज्ञान में लेकर तहसीलदार बुढ़ार के न्यायालय में धारा 248, सहपठित धारा 115, मध्यप्रदेश भू-राजस्व संहिता 1959 के अंतर्गत राजस्व प्रकरण क्रमांक 27-अ-6-अ-2015-16 ग्राम धनपुरी की भूमि दर्ज कर लिया गया है, शीघ्र ही शासन हित में आदेश पारित किया जायेगा, इसकी सूचना 19 मई 2014 को शिकायतकर्ता छोटे लाल सरावगी को दी जा चुकी है।

न प्रकरण, न कार्यवाही, बस लूटम-लूट

17 मार्च 2016 को शहडोल कलेक्टर के द्वारा भाजपा विधायक गिरीश गौतम के विधानसभा में उठाये गये प्रश्न के संदर्भ में दिये गये लिखित उत्तर आज धरातल पर कहीं भी नजर नहीं आ रहे है, शिकायतकर्ता छोटेलाल सरावगी कहते हैं कि दिया गया प्रकरण क्रमांक बुढ़ार तहसील में कहीं भी दर्ज नहीं है, जिस कार्यवाही और शोध का उल्लेख प्रश्नकाल के दौरान पूछे गये सवाल के जवाब में 7 साल पहले दिया गया था, जब वह दर्ज ही नहीं हुआ तो, उसकी जांच और शासन हित में सरकारी भूमि पर बनाई गई अवैध कोठियों को अतिक्रमण मुक्त करने की कार्यवाही सिर्फ कागजी कोरम तक सीमित रह गई है। श्री सरावगी कहते हैं कि सिर्फ धनपुरी हलके की उक्त भूमि ही नहीं पटवारी हलका बुढ़ार, नगर पंचायत बुढ़ार को आवंटित शासकीय भूमि, खसरा क्रमांक 187, कुल रकवा 2.69 एकड़ भी इसी तरह नजूल के रिकार्ड से मदन त्रिपाठी एण्ड कंपनी ने अपने नामों पर खुर्द-बुर्द करा ली। उक्त मामले मे भी सब साफ और कार्यवाही शीघ्र करने का जवाब विधानसभा को 7 साल पहले भेजा गया था, लेकिन जमीनी स्तर पर भेजे गये जवाब कोर-कल्पित प्रतीत होते हैं।

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