उमरिया। बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व फॉरेस्ट एरिया बांधवगढ़ स्थित ताला चौकी के प्रभारी से ताला ही नहीं आसपास के थाना क्षेत्र के बड़े-बड़े सुरमा थर्राते हैं ताज होटल के संचालकों से लेकर राजनीतिक सूरमाओं बड़े-बड़े आईएएस, आईपीएस तक अपनी पहुंच बताने वाले चौकी प्रभारी समय-समय पर अपना जलवा और अपनी पहुंच का एहसास भी आम लोगों को कराने से नहीं चूकते स्थानीय लोगों की माने तो चौकी प्रभारी का यह दवा सिर्फ कोरा ही नहीं है कि एसडीओपी और एसपी तो आते जाते हैं सरकार भी बदल जाती है लेकिन वीरेंद्र सिंह यादव अकेले ऐसे पुलिस अधिकारी और चौकी के प्रभारी है जिनके ऊपर मध्य प्रदेश गृह विभाग के आदेश और वहां के नियम लागू नहीं होते श्री यादव के दावे खोखले भी नहीं है संभवत उमरिया जिले या शहडोल पुलिस जोन ही नहीं बल्कि मध्य प्रदेश में बांधवगढ़ स्थित ताला चौकी ही एक ऐसी पुलिस चौकी है जहां पर प्रभारी बीते एक दशक से अपने स्थान पर बने हुए हैं और इस दौरान उन पर तमाम आरोप भी लगे लेकिन उनके राजनीतिक गलियारों से जुड़े तार कहीं ना कहीं उन्हें छत प्रदान कर ही देते हैं बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व एरिया में बाघ दर्शन के करवाने के कारण बीते वर्षों में श्री यादव ने सुर्खियां बटोरी थी। पर्यटन वर्तमान प्रभारी द्वारा प्रोटोकॉल की व्यवस्था तो प्रोटोकॉल के अंतर्गत कराई जाती है लेकिन देखा जाए तो सामान्य पर्यटक को जहां टिकट नहीं मिलती वहां इनका जलवा मध्य प्रदेश टूरिज्म और बांधवगढ़ रिजर्व फॉरेस्ट एरिया के साथ ही वन विभाग के तमाम आला अधिकारियों को इशारों- इशारों में ही हां कहने पर मजबूर कर देती है जंगल और रिसॉर्ट में चाहे बीते वर्षों में हुए की बात हो या फिर यहां पहुंचने वाले सैलानियों से अभद्र व्यवहार और अन्य तरह के मामले हो सभी को आसानी से निपटाने में माहिर वीरेंद्र सिंह यादव एक बार फिर इस कारण सुर्खियों में है कि बीते 18 सालों के बाद पहली बार भले ही सरकार भारतीय जनता पार्टी की है लेकिन पूरा सिस्टम बदलने की जो कवायत शुरू की गई है उससे यह एहसास होने लगा है कि इस तरह के बरगदों का भी हिलने का समय अब आ गया है हालांकि बीते कुछ वर्षों में दिखावे के लिए वीरेंद्र सिंह का ताला चौकी से बिलासपुर तबादला हुआ था लेकिन वह सिर्फ कागजी कोरम तक ही सीमित था जब उन्हें यहां से स्थानांतरित किया गया था तब भी ऑफ रिकॉर्ड वीरेंद्र सिंह ताला चौकी का काम देखते थे यह भी दावा किया जाता है कि उमरिया में कोई भी पुलिस अधीक्षक आए इससे वीरेंद्र की सेहत पर फर्क नहीं पड़ता उनका सिक्का बांधवगढ़ क्षेत्र में इस तरह चलता है कि उसे छोटा साबित करना या फिर उसकी चुनौती देना बड़े-बड़े नेताओं और पुलिस अधिकारियों तक के बूते से बाहर है बहरहाल एक बार फिर चर्चाएं बटोर रहे वीरेंद्र सिंह यादव को लेकर 18 सालों बदला सिस्टम क्या रख लेता है यह समय ही बताएगा।