प्रशासन की नाक तले चल रही अवैध प्लाटिंग, अमला उदासीन

कार्रवाई करने की बजाय अफसर दे रहे गुप्त रूप से सहयोग
शहडोल। कृषि योग्य भूमियों की बिना डायवर्सन अवैध प्लाटिंग का सिलसिला बदस्तूर जारी है। जिला प्रशासन ने गत वर्ष अवैध प्लाटिंग व कालोनाइजिंग के खिलाफ कार्रवाई करने का अभियान चलाकर कुल करीब 19 सौ मामले पकड़े थे। लेकिन यह कार्रवाई प्रशासन की महज एक पाखण्ड साबित हुई। इस धरपकड़ के बाद न तो कार्रवाई हुई न सरकारी जमीने फिर से शासन के रिकार्ड में दर्ज की गईं। वर्तमान में भी संभाग मुख्यालय शहडोल नगर के आसपास तेजी से काम चल रहा है। प्लाटिंग कर कालोनी बनाने की तैयारी की जा रही है। समीपी ग्राम विचारपुर में ही देखा जा सकता है, एक रेलवे का कर्मचारी इस अवैध कारस्तानी को अंजाम दे रहा है। लेकिन न तेा पटवारी और न तहसीलदार कार्रवाई करना तो दूर मौका मुआयना करने भी नहीं जाते। जबकि मामला उनके संज्ञान में लाया जा चुका है।
भूमिस्वामियों की रजामंदी से खेल
सोहागपुर तहसील अंतर्गत स्थित ग्राम विचारपुर की खसरा नंबर 19 की करीब 5 एकड़ भूमि पर अवैध प्लाटिंग चल रही है। यह भूमि चंद्रिका प्रसाद पाठक, जयप्रकाश पाठक, वेदप्रकाश पाठक, सरोज पाठक, सोमलता उर्फ रानी संदीप यादव विकास मिश्रा पूनम दुबे सौरभ कुमार गुप्ता सुनील कुमार गुप्ता की बताई गई है। इस भूमि पर संजय पासी और विजय नामदेव द्वारा प्लाटिंग की जा रही है और भूमि स्वामियों की इस पर पूर्ण सहमति है। बिना उनकी सहमति के जमीन के साथ कोई कैसे छेड़छाड़ कर सकता है। ज्ञातव्य है कि संजय पासी रेलवे कर्मचारी है और वह पूर्व में विचारपुर में ही तिवारी बाबा कालोनी बसा चुका है। विचारपुर और कल्याणपुर में कुछ अन्य दलाल भी भूमि के कारोबार में पटवारियों की शह से संलग्र हैं।
जिला प्रशासन की निराशाजनक भूमिका
नगर के आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में गोरतरा, कोटमा, जमुआ, कल्याणपुर,विचारपुर, छतवई आदि में जमकर प्लाटिंग चल रही है। यहां के किसान स्वयं भी अपनी कृषि भूमि का सौदा कर प्लाटिंग करा रहे हैं। जिला प्रशासन की पूरी छूट मिली हुई है। पटवारी आरआई और तहसीलदार से कोई सवाल जवाब नहीं होता और न प्लाटिंग के लिए प्रशासन की ओर से कोई आपत्ति दर्ज करा काम रुकवाया जा रहा है। अवैध प्लाटिंग का काम भारी मशीने लगाकर हफ्ते दस दिन के अंदर समाप्त कर दिया जाता है। तब तक कृषि भूमि का स्वरूप ही बदल जाता है फिर कोई यह नहीं पूछता कि अब धान की बोनी कहां करोगे? इस काम में नगर व ग्रामपंचायतों के कई दलाल लगे हुए हैं। यही नहीं वे जमीनों का सौदा भी कराते हैं साथ ही ग्रामीणों को जमीने बेचने के लिए उकसाते रहते हैं।
माफियाओं को तलब नहीं किया
पूर्व में जब अवैध प्लाटिंग और कालोनाइजिंग के मामले सुर्खियों में आने लगे और प्रशासन पर निशाना साधा जाने लगा तो प्रशासन ने जिले भर से ऐसे मामलों की जांच कराई जिसमें करीब 19 सौ मामले पकड़ में आए थे। तत्कालीन एसडीएम प्रगति वर्मा ने इसकी सुनवाई शुरू की थी। उन्होने बताया था कि पहले नोटिस जारी होगी और फिर तलब कर सुनवाई की जाएगी। लेकिन एक भी आरोपी तलब नहीं हुआ और न किसी पटवारी के विरुद्ध कारण बताओ नोटिस जारी की गई। जबकि आधा दर्जन से भी अधिक पटवारी इन मामलों के लिए जिम्मेदार पाए गए थे। जानकारी तो यहां तक मिली कि बाद में इन्ही पटवारियों ने मध्यस्थ बनकर माफिया से साहबबहादुरों की सेटिंग कराई थी और फिर चुपके से सारे मामले रफ दफा कर दिए गए।
जिला प्रशासन का संकल्प नहीं
सारा खेल तो जिला प्रशासन के अफसरों का है, उनकी शह पर ही सारी जमीने प्लाटिंग पर जा रहीं हैं। इसके लिए उन्हे मोटा कमीशन मिल रहा है। अगर जिला ्रप्रशासन सच्चे मन से ठान ले और कार्रवाई शुरू करा दे तो कई कालोनियों के धराशायी होने की नौबत आ जाएगी। बहुत सी जमीने अवैध प्लाटिंग से मुक्त की जा सकतीं हैं। उन लोगों केा चिन्हित किया जाए जो जानकारियों के बावजूद गैर कानूनी कृत्य कर रहे हैं। अगर उनके विरुद्ध प्रशासन कार्रवाई नहीं कर रहा है तो फिर अधिकारी ही अपराध को बढ़ावा दे रहे हैं, यह माना जा सकता है ।
इनका कहना है
प्लाटिंग की जानकारी नहीं है, अगर कृषि भूमि काटकर प्लाटिंग की जा रही है तो गलत है, मैं कल ही जाकर देखती हूँ।
श्रीमती शांति सिंह मरावी
पटवारी
हल्का पचगांव/दूधी