पी.आर.टी. कॉलेज में शिक्षा के नाम पर आदिवासी छात्रा से धोखाधड़ी, प्रशासन की खामोशी पर उठ रहे सवाल

0

सूरज श्रीवास्तव
8450054400

अनूपपुर: अनूपपुर के पी.आर.टी. कॉलेज में आदिवासी छात्रा अंजली कोल के साथ हुए धोखाधड़ी के मामले ने जिले में आक्रोश की लहर फैला दी है। छात्रा को दाखिला लेते ही गुमराह कर उसकी फीस और दस्तावेज जब्त कर लिए गए। अब कॉलेज प्रशासन उसे दस्तावेज लौटाने के लिए पूरी फीस जमा करने का दबाव बना रहा है, जिससे उसके परिवार पर मानसिक दबाव बढ़ता जा रहा है।

घटना का विस्तार

2021 में बी.एस.सी. नर्सिंग में दाखिला लेने वाली अंजली को छात्रवृत्ति नहीं मिली और न ही उसे परीक्षा में बैठने का अवसर दिया गया। कॉलेज के कर्मचारी उमेश तिवारी ने दस्तावेज़ लौटाने से इनकार कर दिया और पूरी फीस की मांग की। ऐसी स्थिति में छात्रा और उसका परिवार न्याय की उम्मीद में दर-दर भटक रहा है।

शिक्षा के नाम पर भ्रष्टाचार

अंजली का मामला अकेला नहीं है; स्थानीय लोगों का कहना है कि कॉलेज में लंबे समय से छात्रों से अवैध वसूली की जाती है। आदिवासी छात्रा ज्योति कोल को भी परीक्षा में बैठने के लिए रिश्वत मांगी गई थी। इस तरह के मामलों ने पी.आर.टी. कॉलेज को शिक्षा के नाम पर धोखाधड़ी का अड्डा बना दिया है।

प्रशासन की खामोशी और राजनीतिक संरक्षण का शक

इस गंभीर मामले पर प्रशासन की चुप्पी और कार्रवाई न होने से स्थानीय लोग सवाल उठा रहे हैं कि क्या कॉलेज को किसी राजनीतिक संरक्षण का लाभ मिल रहा है? प्रशासन की निष्क्रियता ने यह संदेह पैदा किया है कि कहीं यह भ्रष्टाचार सत्ता से संरक्षित तो नहीं है?

आदिवासी समुदाय का आक्रोश

इस घटना के बाद आदिवासी समुदाय में गहरा गुस्सा है। स्थानीय नेताओं का कहना है कि यह सिर्फ एक छात्रा का मामला नहीं, बल्कि पूरे समुदाय की अस्मिता का प्रश्न है। यदि इस पर कार्रवाई नहीं हुई, तो आने वाली पीढ़ियों के भविष्य पर भी संकट आ सकता है।

क्या मिलेगा इंसाफ या दब जाएगा मामला?

प्रशासन के सामने अब चुनौती है कि इस अन्याय पर सख्त कार्रवाई कर शिक्षा के मंदिर को भ्रष्टाचार से मुक्त करे। क्या दोषियों को सजा मिलेगी या राजनीतिक दबाव में मामला दब जाएगा? यदि प्रशासन ने उचित कदम नहीं उठाए, तो यह घटना शिक्षा के क्षेत्र में एक काले अध्याय के रूप में दर्ज हो जाएगी।

शिक्षा के नाम पर हो रही धोखाधड़ी को रोकने के लिए अब प्रशासन का जागरूक होना जरूरी है। इस मामले को एक उदाहरण बनाते हुए दोषियों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए, ताकि भविष्य में शिक्षा के नाम पर मासूम छात्रों के साथ ऐसा धोखा न हो सके।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may have missed