खबर का असर @ प्रतिनियुक्ति से वापस लौटे कमलभान, कुलपति ने दिखाई तत्परता

शहडोल। पंडित शंभूनाथ शुक्ल विश्वविद्यालय में बीते कई वर्षों से जुगाड़ से जमे लेखापाल कमलभान को आखिरकार कुलपति ने खबर प्रशासन के बाद संज्ञान में लेते हुए तत्काल प्रभाव से मूल पद की वापसी के आदेश जारी करवा दिए हैं।
पंडित शंभू नाथ शुक्ल विश्वविद्यालय से आज संदर्भ में आदेश जारी करते हुए उन्हें पड़ोस के उमरिया जिले में स्थित महाविद्यालय में उनके मूल पद के लिए कार्य मुक्त कर दिया गया है, गौरतलब है कि आज इस मामले को हाल-ए हलचल के द्वारा प्रमुखता से प्रकाशित किया गया था और पंडित शंभू नाथ शुक्ल विश्वविद्यालय कि कुलपति और कुलसचिव आदि को धोखे में रखकर यहां प्रतिनियुक्ति पर डटे कर्मचारी के मामले को संज्ञान में लाया गया था, इस मामले में स्थानीय जिला प्रशासन से लेकर कल होने वाले महामहिम राज्यपाल के दौरे के दौरान भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन के द्वारा आंदोलन एवं मांगपत्र देने की बातें कही गई थी, हालांकि इन सबसे पहले ही पंडित शंभूनाथ शुक्ल विश्वविद्यालय के कुलपति ने इस मामले को संज्ञान में लिया और शासन के निर्देशों को लागू करते हुए कमलभान को कार्य मुक्त करने के आदेश जारी कर दिए गए हैं ।
यह भी बताया गया कि कमलभान ने अपनी यहां नियुक्ति के दौरान पूर्व कुलपति के अलावा वर्तमान कुलपति को भी धोखे में रखकर कई ऐसे कार्य किए थे, जो आज भी जांच का विषय है, यह भी बताया गया की कमलभान और उनके पुत्र विश्वविद्यालय में ठेकेदारी के भी कार्य ऑफ रिकॉर्ड किया करते थे और अपने पुत्र को कमलभान ने अपने रसूक और जुगाड़ के दम पर अतिथि प्रोफेसर के पद पर नियुक्ति दिलवा दी थी, इसके बाद भी विभिन्न ठेके के कार्य किसी अन्य के नाम पर यहां इन दोनों के द्वारा किए जाने की खबर थी, फिलहाल आने वाले दिनों में इस मामले की जांच की बातें कहीं जा रही है। फिलहाल महामहिम के दौरे से पूर्व विश्वविद्यालय प्रबंधन के द्वारा जारी गए किया इस पत्र से महाविद्यालय में अध्यापन कर रहे तथा अन्य विभागों में कार्यरत कर्मचारियों में खास हर्ष देखने को मिल रहा है, सभी कर्मचारियों और अन्य स्टाफ ने कमलभान की प्रतिनियुक्ति समाप्त कर उन्हें मूल पद पर भेजने के लिए विश्वविद्यालय प्रबंधन को साधुवाद दिया है।
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यह हैं पूरा मामला
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शहडोल। शासन के आदेशों को ठोकर मारकर स्वेच्छाचारी आचरण करने के मामले में विश्वविद्यालय के गरिमापूर्ण पदाधिकारी भी किसी से पीछे नहीं हैं।
विश्वविद्यालय की अंदरुनी प्रशासनिक प्रक्रिया में इन्ही का राज चलता है। भले ही शासन के आदेशों की मंशा कुछ और ही हो, लेकिन शासन के आदेश यहां कोई मायने नहीं रखते। पंडित शंभूनाथ शुक्ला विश्वविद्यालय अभी कुछ ही वर्षों पूर्व अस्तित्व में आया है और गैरजिम्मेदाराना क्रिया कलापों के कारण विवादों के घेरे में आने लगा है। इन दिनों भी एक प्रतिनियुक्ति और स्थानांतरण के आदेश को लेकर इसकी काफी चर्चाएं हैं। बताया जाता है कि उच्च विभाग के आदेश को हवा में उड़ाते हुए पंडित एस.एन.शुक्ला विश्वविद्यालय शहडोल के कुलपति राम शंकर एवं रजिस्टर ने सरकार की प्रबंधन व्यवस्था की धज्जियां उड़ा कर रख दी हैं। मामला यह है कि उमरिया महाविद्यालय में पदस्थ लेखापाल कमलभान पिछले कुछ वर्षों से पंडित शंभूनाथ शुक्ला विश्वविद्यालय में प्रतिनियुक्ति पर है, लेकिन शासकीय आदेश के बावजूद इसे उमरिया के लिए रिलीव नहीं किया जा रहा है।
आदेश को दिखाया ठेंगा
एक जानकारी के अनुसारा मध्य प्रदेश शासन उच्च शिक्षा विभाग ने 14 फरवरी 2025 को आरव्हीपीएस पीजी महाविद्यालय उमरिया में पदस्थ लेखापाल कमल भान को उमरिया महाविद्यालय में उसके मूल पद स्थापना पर वापसी के आदेश दिए थे। लेकिन आदेश के 10 दिन बाद भी कमलभान को विश्वविद्यालय के कुलपति ने लेखापाल को रिलीव नहीं किया। कुलपति द्वारा इस मामले में हठधर्मिता व स्वेच्छाचारिता का परिचय दिया जा रहा है। ज्ञातव्य है कि बीते कई वर्षों से पं. एस एन शुक्ल विश्वविद्यालय शहडोल में कमलभान प्रतिनियुक्ति पर आया था और धीरे-धीरे उसने अपने पैर जमा लिए। वह कुलपति का चहेता बन गया, उसके लिए कुलपति ने शासन के आदेश की भी अवज्ञा कर दी है। उच्च शिक्षा विभाग ने एक आदेश के तहत कमलभान की तत्काल प्रतिनियुक्ति समाप्त कर उमरिया महाविद्यालय में उसके मूल पद स्थापना पर वापसी के आदेश दिए थे।
हटाए जाने पर नहीं हटा
गंभीर सवाल यह है कि जहां उमरिया महाविद्यालय में लेखापाल का टोटा है, वही विश्वविद्यालय में एक लेखापाल को का बनाकर विश्वविद्यालय के कुलपति को संदेहो के कटघरे में खड़ा कर रहा है। सूत्रों की माने तो पिछले कुलपति के कार्यकाल में भी कमल भान नामक लेखापाल की कार्य शैली काफी चर्चे में रही। जिसके बाद लेखापाल को विश्वविद्यालय से हटाया भी गया था, लेकिन उस समय भी वर्तमान कुलपति लेखापाल को बचाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाते रहे। बार बार उसका बचाव किए जाने से वह उमरिया अपनी मूलपदस्थापना के लिए वापस नहीं हो सका। शासन का आदेश मानने के लिए कुलपति शायद तैयार नहीं हैं। उनके द्वारा कमलभान का संरक्षण किए जाने से मामला चर्चा का विषय बना हुआ है।
हटाए जाने पर भी नहीं हटा था
महाविद्यालय में लेखापाल की कमी को लेकर बांधवगढ़ विधानसभा क्षेत्र के विधायक व एनएसयूआई ने इस मुद्दे को गंभीरता से ऊपर तक उठाया था। जिसके बाद हरकत में आते हुए उच्च शिक्षा विभाग ने लेखापाल को एकतरफा मुक्त कर दिया था। बावजूद उसके आज तक विश्वविद्यालय द्वारा रिलीव ना किए जाने को लेकर तरह-तरह की बातें खड़ी होने लगी है। सच यह है कि कमलभान के मामले में कुलपति कोई सुनवाई ही नहीं करना चाहते हैं। उसे वे संरक्षण भी प्रदान कर रहे हैं। कमलभान यहां सर्वेसर्वा जैसा बना हुआ है। वह कर्मचारियों व छात्रोंं से अभद्रता भी करता रहता है। जिसकी शिकायत होती है पर विश्वविद्यालय के आका उसके बगलगीर बने हुए हैं। जानकारों की माने तो शातिर लेखापाल की कमियां जब पिछले कुलपति ने पकड़ी और विश्वविद्यालय से हटाने की कार्यवाही की उसी दौरान समय की नजाकत को समझते हुए लेखापाल दूसरा पैतरा खेलते हुए नये कुलपति के शरण में जा पड़ा और एक दूसरे की बुराई कर करके अपनी जगह पक्की कर ली।
वीसी का पहुंच मार्ग बना है
सूत्रों की माने तो विश्वविद्यालय में कोई भी फाइल और वीसी तक पहुंचने के लिए सबसे पहले सुपर वीसी यनि की कमलभान से मिलाना पड़ता है, बिना कमलभान के सहमति और सुकृति के विश्वविद्यालय का एक पत्ता नहीं हिलता है, रजिस्टर समेत प्रोफेसर से नौकरों की तरह बिहेव करने वाले पिए का जलजला देखते ही बनता है। जिसमें इसके द्वारा जमकर मनमानी की जाती है। जो कागज कमलभान चाहता है वही कागज वीसी तक पहुंच पाता है। जिन्हे कमलभान चाहता है वही लोग व्हीसी से मिल पाते हैं, पहले कमलभान को संतुष्ट करना पड़ता है। कुलपति के दाहिने हाथ माने जाने वाले पर्सनल असिस्टेंट के दबंगई के चलते प्रोफेसर समेत छोटे-मोटे कर्मचारी भी जिल्लत की जिंदगी और डरे सहमे नौकरी करने को मजबूर है। कमलभान के आचरण के कारण विश्वविद्यालय का आंतरिक वैचारिक एवं टीम भावना के साथ काम करने वाली ग्रोथ दफन हो कर रह गई है।
राजपाल को सूचित करने की तैयारी
छात्र संघ एनएसयूआई आने वाले 25 फरवरी को राज्यपाल के दीक्षांत समारोह के दौरान विश्वविद्यालय की हठधर्मिता एवं उच्च शिक्षा विभाग के आदेश के बाद भी लेखापाल को कार्य मुक्त न करने के विरोध में राज्यपाल से मिलकर ज्ञापन सौंपने की तैयारी कर रहा है। छात्र संघ के पदाधिकारी के अनुसार यदि समय रहते लेखापाल को तत्काल विश्वविद्यालय द्वारा रिलीव नहीं किया गया तो वह राज्यपाल से मिलकर कुलपति एवं विश्वविद्यालय प्रबंधन के विरुद्ध ज्ञापन सौपेंगे। इसके अलावा छात्र संगठन विश्वविद्यालय के आंतरिक गतिरोधों को भी राज्यपाल के समक्ष प्रस्तुत करेगा। कारण यह है कि विश्विद्यालय दिनोदिन अव्यवस्थाओं की ओर बढ़ता जा रहा है।
इनका कहना है…
14 फरवरी को आदेश जारी हुआ था, बेटे की शादी के कारण मैं उसी दिन से छुट्टी पर हूं, शासन का मुलाजिम हूं, जब रिलीव करेंगे, जहां आदेश होगा, जाकर नौकरी करूंगा, मैं व्यक्ति से नहीं कुर्सी से बंधा हूं।
कमलभान सिंह
लेखापाल
पं. शंभूनाथ विश्वविद्यालय, शहडोल
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प्रतिनियुक्ति समाप्ति और लेखापाल कमलभान कार्य मुक्त करने का आदेश मिला है, लेकिन स्टॉफ की कमी है, व्हीसी सर ने उच्च शिक्षा विभाग को नई नियुक्ति तक लेखापाल को यही रहने की चर्चा की है। इसीलिए अभी तक आदेश के बाद भी कार्य मुक्त नहीं किया।
आशीष तिवारी
रजिस्टार
पं. शंभूनाथ विश्वविद्यालय, शहडोल
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स्टॉफ की काफी कमी है, इसी वजह से अभी रिलीव नहीं किया, बाकी मेरे नाम या पद की आड़ में दुरूपयोग करना गलत जानकारी हैं। शासन को पत्र लिख स्टॉफ मांगा है।
प्रो. राम शंकर
कुलपति
पं. शंभूनाथ विश्वविद्यालय, शहडोल
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इस संदर्भ में हम पत्रों का अवलोकन कर चर्चा करते हैं, यदि ऐसा है तो, शीघ्र अग्रिम कार्यवाही होगी।
अनुपम राजन
अपर मुख्य सचिव
उच्च शिक्षा विभाग, भोपाल
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शासन के आदेशों को ठोकर मारकर स्वेच्छाचारी आचरण करने के मामले में विश्वविद्यालय के गरिमापूर्ण पदाधिकारी भी किसी से पीछे नहीं हैं। https://halehulchal.in/even-the-dignified-officials-of-the-university-are-not-behind-anyone-in-flouting-the-orders-of-the-government-and-behaving-arbitrarily/