विश्वविद्यालय में प्राकृतिक पौध उत्पादों की कार्यशाला के साथ छात्रों को व्यवसायिक अवसर

सुधीर यादव)(9407070722)
शहडोल – पंडित शंभुनाथ शुक्ला विश्वविद्यालय, नवालपुर कैंपस, शहडोल में वनस्पति विज्ञान विभाग द्वारा “प्राकृतिक पौध उत्पादों” पर एक दिवसीय कार्यशाला और प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। यह कार्यशाला “Earn by Learn and NEP-2022” थीम पर आधारित थी, जिसका उद्देश्य छात्रों को प्राकृतिक संसाधनों के व्यावसायिक उपयोग से परिचित कराना था।
कार्यक्रम में श्री पी. एस. धुर्वे (डिप्टी रेंजर, साउथ डिवीजन, शहडोल) और डॉ. राधा सिंह (सहायक प्राध्यापक, शासकीय महाविद्यालय, अनूपपुर) विश्वविद्यालय प्रभारी कुलपति प्रो प्रमोद पांडेय ,कुलसचिव डॉ आशीष तिवारी ,संकायाध्यक्ष प्रो प्रवीण शर्मा कार्यशाला में उपस्थित थी।
छात्रों की भागीदारी इस कार्यशाला में विश्वविद्यालय के छात्रों, शोधकर्ताओं और फैकल्टी सदस्यों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। प्रदर्शनी में :प्राकृतिक उत्पादों से संबंधित विभिन्न वस्तुओं को प्रदर्शनी में रखा गया, जिससे छात्रों को व्यावहारिक ज्ञान मिला।कार्यक्रम की संयोजन समिति में कार्यक्रम का समन्वय डॉ. उमा सिंह (विभागाध्यक्ष, वनस्पति विज्ञान विभाग) द्वारा किया गया, जबकि आयोजन समिति में डॉ. जी. एस. संडया , डॉ. अजय कुमार सोनवानी, डॉ. हेमंत पाठक और डॉ. स्नेहा सिंह शामिल रहे।
कार्यशाला में श्री पी. एस. धुर्वे (डिप्टी रेंजर, साउथ डिवीजन, शहडोल) ने औषधीय पौधों और उनके उपयोग पर विशेष प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों में गिलोय, अश्वगंधा, तुलसी, एलोवेरा और नीम जैसे औषधीय पौधे महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। साथ ही, उन्होंने इन पौधों के संरक्षण और व्यावसायिक उपयोग की संभावनाओं पर भी चर्चा की।
डॉ. राधा सिंह (सहायक प्राध्यापक, शासकीय महाविद्यालय, अनूपपुर) ने हर्बल औषधीय पौधों और उनके उपयोग पर प्रकाश डालते हुए कहा कि पारंपरिक जड़ी-बूटियों का महत्व आयुर्वेद, यूनानी और होम्योपैथी चिकित्सा पद्धतियों में अत्यधिक महत्वपूर्ण है। उन्होंने बताया कि ये हर्बल औषधियां रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने, तनाव कम करने और विभिन्न बीमारियों के इलाज में कारगर होती हैं।
कार्यशाला के दौरान प्रो. प्रमोद पांडेय ने हड़जोड़ के औषधीय गुणों और उपयोगिता पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने बताया कि हड़जोड़ को आयुर्वेद में हड्डियों को मजबूत बनाने और फ्रैक्चर की तेजी से भरपाई करने के लिए उपयोग किया जाता है।उन्होंने हड़जोड़ के कुछ प्रमुख लाभ बताए हड्डियों के स्वास्थ्य के लिए: हड़जोड़ में मौजूद कैल्शियम और फाइटोएस्ट्रोजन तत्व हड्डियों को मजबूत करने और फ्रैक्चर की रिकवरी में सहायक होते हैं। जोड़ों के दर्द में राहत: गठिया और ऑस्टियोपोरोसिस जैसी बीमारियों में इसका सेवन फायदेमंद होता है। वजन प्रबंधन: यह शरीर में वसा को नियंत्रित कर वजन घटाने में मदद करता है। पाचन तंत्र के लिए उपयोगी: हड़जोड़ का सेवन पाचन क्रिया को बेहतर करता है और गैस्ट्रिक समस्याओं को दूर करता है।
कार्यशाला में कुलसचिव डॉ. आशीष तिवारी ने हर्बल उत्पादों और उनके लाभों पर विशेष चर्चा की। उन्होंने बताया कि हर्बल उत्पादों का उपयोग न केवल स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है, बल्कि यह रसायनों से मुक्त और पर्यावरण के अनुकूल भी होते हैं।
कार्यशाला में रासायनिक रंगों से होने वाले दुष्प्रभावों पर भी चर्चा की गई और प्राकृतिक होली रंगों के उपयोग को बढ़ावा देने पर बल दिया गया।कार्यशाला में मिलेट्स (Millets) की उपयोगिता पर विशेष चर्चा की गई। विशेषज्ञों ने बताया कि मिलेट्स को “श्री अन्न” भी कहा जाता है, जो पोषण से भरपूर होते हैं और हमारे स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभदायक हैं।पोषण से भरपूर: मिलेट्स में फाइबर, आयरन, कैल्शियम, मैग्नीशियम और एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं, जो शरीर को ऊर्जा प्रदान करते हैं।डायबिटीज और हृदय रोग में फायदेमंद: मिलेट्स में ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होता है, जिससे यह ब्लड शुगर लेवल नियंत्रित करने में सहायक होता है। पाचन तंत्र के लिए लाभकारी: फाइबर युक्त होने के कारण यह पाचन क्रिया को सुधारता है और कब्ज जैसी समस्याओं को दूर करता है। ग्लूटेन-फ्री अनाज: जिन लोगों को ग्लूटेन एलर्जी होती है, उनके लिए मिलेट्स एक बेहतरीन विकल्प है। पर्यावरण के अनुकूल: मिलेट्स की खेती कम पानी और उर्वरक में संभव होती है, जिससे यह पर्यावरण के लिए भी लाभकारी होते हैं। इन सभी जैविक भोज्य पदार्थो की प्रदर्शनी और स्टॉल लगाए गए थे।
कार्यक्रम का सञ्चालन डॉ हेमंत पाठक ने किया और कार्यकम में आभार प्रदर्शन डॉ अजय सोनवानी जी ने किया कार्यक्रम में विभागाध्यक्ष ,प्राध्यापक ,सह-प्राध्यापक ,सहायक प्राध्यापक ,विश्वविद्यालय के कर्मचारी ,सैकड़ो की संख्या में छात्र -छात्राएं ,अभिवावक ,गणमान्य नागरिक ,पत्रकार बधुओं की उपस्थिति थी।