पात्रता पर्ची के सर्वे में उलझा अमला, नपा क्षेत्र में जरूरत मंद परेशान

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शहडोल।शहडोल के वार्ड क्रमांक 28/37 अंडर ब्रिज के पीछे बसी बस्ती इन दिनों राशन के लाले पड़े हुये है ।खंती बस्ती नाम से ये मोहल्ले में बसने वाले लगभग 30 से 40 परिवार कही टूटे फूटे मकान में कही किराये से तो कही खुद के मकान में गुजर बसर कर रहे है।

पूर्व में भी सर्वे के नाम पर खानापूर्ति
यहाँ सर्वे के नाम पर कई बार खाना पूर्ति की गई लेकिन ज्यादा तर परिवारो के राशन कार्ड नहीं बन पाय है।ऐसी स्थित में कोरोना की मार इन गरीब व दिहाड़ी कामकाजी महिलाओ के गुजर बसर पर बिजली सी गिर गई है।
अपात्रो को राशन के नाम पर सरकारों की बड़ी बड़ी सेवा सुनी है लेकिन जमीनी हकीकत से इन दिनों रूबरू होता खंती मोहल्ला पार्षद भी हारे सर्वे और निरक्षण से वार्ड पार्षद के पास आये दिन वार्ड वाशियों की तकलीफे और शिकायत आती है कि हमें राशन नहीं मिल रहा है वही पार्षदों ने नगरपालिका को लिस्ट भेज कर कई बार अवगत करा चुके है लेकिन समस्या जस की तस बनी हुई है।


सर्वे में भी की गई मनमानी
पात्रता पर्ची की वास्तविकता जानने  विगत दििनों नपा की टीम महिला बाल विकास  और नपा आरआई सहित आगनबाड़ी कार्यकर्ता और वार्ड प्रभारी के साथ तो इनके सर्वे ने कई घर छोड़ 10 घरो में सर्वे कर रही थी तभी बस्ती के 2 दर्जन से ज्यादा महिला पुरुस ओर युवको ने इसका विरोध किया वही बात न मानने पर मौके पर पार्षद को भी आना पड़ा।पार्षद ने वार्ड वाशियो की बातो को सीएमओ को बताया । लेकिन उधर से भी कोई कारवाही नहीं हुई।कहा गया की चिन्हित लोंगो का ही सर्वे कर राशन वितरित किया जायेगा।


सर्वे और निरीक्षण में उलझा अमला
यहां की जमीनी हकीकत कुछ और ही है।शहडोल के कई ऐसे वार्ड है।जहां सैकड़ों की तदाद में राशन कार्ड बगैर परिवारिक जीवन यापन किया जा रहा है। कोई दिहाड़ी कोई कामकाजी महिला पुरुष इस कागजी खाना पूर्ति से वंचित है।हमारी टीम ने कई महिलाओ को अपनी आप बीती कैमरों में क़ैद किया है। शहर के कई ऐसे वार्ड के वाशिंदे है जिन्होंने कई बार राशन कार्ड के आवेदन अपने वार्ड पार्षदों को मौखिक या लिखित रूप में दिए है।लेकिन आज तक उनके राशन कार्ड बने नहीं है। ऐसे हालात में अपनी आप बीती किस्से कहे।यहाँ कोरोना वायरस के चलते प्रशासन भी निरक्षण और सर्वे में दिन बीता रहा है।जरूरत मंदो तक प्रशासन सीधे कैसे पहोंचे। यह एक सोचनीय विषय है। कागजी निरीक्षण में हर दिन काटना मुश्किल होता नजर आ रहा है।

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