एसडीएफओ और मेसर्स सांईनाथ कंस्ट्रक्शन करते हैं साझे में कारोबार ..??

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लाखों की वसूली व कार्यवाही की फाईल हुई दफन

30 लाख की रिकवरी और 16 लाख के चेक गुमने का मामला

शहडोल। वन विभाग में पदस्थ एसडीएफओ राहुल मिश्रा के ऊपर वर्ष 2017-18 के दौरान उमरिया वन मंडल के पाली उप वन मण्डल अंतर्गत पदस्थापना के दौरान शहडोल स्थित मेसर्स सांईनाथ कंस्ट्रक्शन के साथ मिलकर बिना निर्माण सामग्री सप्लाई हुए व बिना कार्य किए ही, करीब 30 लाख रूपये के भुगतान करने का आरोप है। शहडोल में वन विभाग से जुड़े नौकरशाहों के अलावा अन्य विभागों के भी अधिकारी मेसर्स सांई कंस्ट्रक्शन के मालिक मनोज सिंह व वन विभाग के अधिकारी राहुल मिश्रा की नजदीकियों से अनभिज्ञ नही हैं, दोनों की मित्रता और साझा कारोबार जगजाहिर है, इस मामले में वर्ष 2020 की शुरूआत के दौरान राहुल मिश्रा पर मध्यप्रदेश सिविल सेवा (वर्गीकरण नियत्रण अपील नियम 1966) के अंतर्गत अनुशासनात्मक कार्यवाही करना तय किया गया, लेकिन जांच के दौरान राहुल मिश्रा को आरोपी पाये जाने के बाद भी जब यह फाईल भोपाल स्थित अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक व प्रशासक के कार्यालय तक पहुंची तो वहीं अटक गई।

यह हैं आरोप

मुख्य वन संरक्षक, वन वृत्त शहडोल के माध्यम से राहुल मिश्रा के खिलाफ तय किये गये प्रपत्र पर नजर डाले तो, इसमें इस बात का स्पष्ट उल्लेख है कि 8 मई 2017 से लेकर 4 जनवरी 2020 तक उमरिया वन मण्डल के पाली उप वन मण्डल में श्री मिश्रा पदस्थ रहे। उक्त कालावधि में बाह्य स्थलीय वृक्षारोपण, घुनघुटी परिक्षेत्र में प्रस्तावित किया गया था, जिसमें स्थल कक्ष क्रमांक आर 213 के 150 हेक्टेयर तथा कक्ष क्रमांक 213-214 के रकवा 150 हेक्टेयर क्षेत्र की घेराबंदी के उद्देश्य से मध्यप्रदेश राज्य लघु उद्योग निगम को आरसीसी पोल्स, चैनलिंक जाली तथा वारवेड वॉयर के आदेश दिये गये थे, निगम द्वारा उक्त सामग्री प्रदाय करने के लिए मेसर्स सांईनाथ कंस्ट्रक्शन को आदेश दिये गये। जिसके बाद कथित फर्म के बिल क्रमांक 482 व 483 दिनांक 7 फरवरी 2019 लेकर उक्त फर्म के नाम सीधे प्रति हस्ताक्षर कर भुगतान हेतु जिला लघु वनोपज यूनियन उमरिया में प्रस्तुत कर भुगतान करने की राहुल मिश्रा द्वारा अनुशंसा की गई। जांच के दौरान यह स्पष्ट हुआ कि उक्त सामग्री विभाग को प्राप्त ही नहीं हुई और एसडीएफओ ने प्रति हस्ताक्षर कर अपने पदीय दायित्वों के निवर्हन की उपेक्षा करते हुए स्वेच्छाचारिता एवं अपचारकारित किया।

जुगलबंदी की दर्जनों दास्तानें

एसडीएफओ राहुल मिश्रा वर्तमान में शहडोल में पदस्थ है, इससे पूर्व भी वे लंबे समय तक शहडोल में अपनी सेवाएं दे चुके हैं। मेसर्स सांईनाथ कंस्ट्रक्शन और राहुल मिश्रा के संबंधों और जिस दौरान श्री मिश्रा की पदस्थापना जिस वन परिक्षेत्र में रही है, वहां कथित फर्म के बिलों और उन्हें भुगतान करने की लंबी फेहरिस्त है, यही नहीं वन परिक्षेत्र के भू-खण्डों पर बेजाकब्जों से लेकर जुगाड़ के हर मामले में दोनों वर्ष 2017 से नहीं बल्कि कई वर्षाे से एक ही नाव पर सवार रहे हैं, यह बात विभाग के वन वृत्त शहडोल के अलावा भोपाल कार्यालय तक सभी को खबर है। यह पहला मौका है, जब राहुल मिश्रा और मेसर्स सांईनाथ कंस्ट्रक्शन के खिलाफ विभाग के अधिकारियों ने जांच की हिम्मत जुटाई और शिकायतें अनुशासनात्मक कार्यवाही तक पहुंची, लेकिन कथित फर्म और एसडीएफओ का रसूख एक बार फिर डीएफओ से लेकर सीसीएफ तक के अधिकारियों पर भारी पड़ता नजर आ रहा है।

कटघरे से गढ़ रहे नई कहानी मनोज

इस मामले में जब मेसर्स सांईनाथ कंस्ट्रक्शन के ऑफ रिकार्ड मालिक मनोज सिंह से चर्चा की गई तो, उन्होंने इस मामले में खुद व एसडीएफओ को पाक-साफ बताया, उन्होंने यह भी बताया कि विभाग के अधिकारियों की आपसी खींचातान का उन्हें शिकार बनाया जा रहा है। श्री सिंह ने कहा कि उन्हें भुगतान कर दिया गया था और चेक बैंक में जमा भी हो गया था, लेकिन जब राशि खाते में नहीं आई तो, उसकी पड़ताल के बाद हमने दूसरे चेक के संबंध में चर्चा की, तो नई कहानी हमारे सामने आई। हमें 30 लाख की रिकवरी का पत्र दिया गया है, जबकि हमने सामग्री सप्लाई की है, बहरहाल इस मामले में हम कानूनी लड़ाई लड़ेगें।

इनका कहना है…

पूरा मामला मनगढंत हैं, कोई आधार नहीं है, मेरे उमरिया से शहडोल आने के बाद यह पृष्ठ भूमि तैयार की गई और झूठे आरोप लगाये गये।
राहुल मिश्रा
एसडीएफओ, जैतपुर, शहडोल
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हमनें मामले की शिकायत के बाद जांच करवाई थी, सामग्री सप्लाई नहीं हुई और काम होना तो दूर की बात है, जांच में आरोप सही पाये गये, कार्यवाही के लिए समस्त दस्तावेज सीसीएफ को भेज दिये गये हैं।
आर.एस. शिकरवार
डीएफओ, उमरिया
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मामले की जांच रिपोर्ट कार्यवाही के लिए वरिष्ठ कार्यालय भेजी गई है, अभी वहां से कोई निर्देश नहीं मिले हैं।
पी.के.वर्मा
मुख्य वन संरक्षक
वन वृत शहडोल

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