अशिक्षित होने के बावजूद भी महिला ने निजी भूमि को विद्यालय निर्माण के लिए दिया दान

संतोष कुमार केवट
डोला-अनूपपुर- जिले के ग्राम पंचायत डोला में शाशकिय जमीन न होने के कारण बच्चों के लिए शासकीय हाई स्कूल भवन नही बन पा रहा था जिसके बावजूद बच्चों को पढ़ने के लिए बिजुरी राजनगर व छत्तीसगढ़ राज्य के मनेन्द्रगढ़ में शिक्षा को ग्रहण किया जा रहा था जिसको देखते हुए ग्राम पंचायत डोला की महिला रूपन बाई ने अपने निजी भूमि को विद्यालय निर्माण के लिए दान में दिया।
*वर्ष 2011 में हुआ था हाई स्कूल का उन्नयन*
प्राप्त जानकारी के अनुसार वर्ष 2011 में मिडिल स्कूल डोला का उन्नयन हाई स्कूल में किया गया था लेकिन शासकीय जमीन ना होने के कारण प्राप्त हुई राशि को विद्यालय निर्माण के लिए थानगांव भेजे जाने वाला था लेकिन जब वर्ष 2013 के जुलाई माह में प्रधानाध्यापक पी एम त्यागी ने डोला विद्यालय में पदभार ग्रहण किया तो उन्होंने डोला विद्यालय के बच्चों को हो रही शिक्षा के अभाव को देखते हुए ग्राम पंचायत डोला के जनप्रतिनिधि समाजसेवियों से प्रयास किया गया कि गांव के ही किसी जनमानस के द्वारा अपने भूमि दी जाए जिससे कि ग्राम पंचायत डोला में ही शासकीय हाई स्कूल भवन का निर्माण किया जा सके जब इसकी जानकारी ग्राम पंचायत डोला की महिला श्रीमती रूपन बाई को लगी तो उन्होंने बेहिचक अपनी जमीन शासकीय विद्यालय निर्माण करने के लिए ग्राम पंचायत डोला के विद्यालय में उपस्थित होकर संपर्क की व जमीन दान देने की बात रखी गई जिस पर विद्यालय प्रधानाध्यापक पी एम त्यागी द्वारा भूस्वामी की सहमति मिलने पर समस्त दस्तावेज तैयार कर उच्च अधिकारियों के संज्ञान में बात को रखा गया वही भवन का लोकार्पण तत्कालीन विधायक माननीय दिलीप जायसवाल के द्वारा किया गया था।
*रूपन बाई क्षेत्र के लोगों के लिए बनी मिसाल*
रूपन बाई ने बताया कि मै खुद आशिक्षित हु लेकिन मेरे ग्राम पंचायत के बच्चे शिक्षा को प्राप्त कर सके इस लिए शासकीय हाई स्कूल भवन निर्माण के लिए रूपन बाई पति कोदू सिंह पाव उम्र 65 वर्ष निवासी डोला द्वारा शिक्षा के महत्व को बखूबी समझा जिसके लिए रूपन बाई ने अपनी पुश्तैनी जमीन से 8 डिसमिल जमीन विद्यालय निर्माण के लिए 2013 दी गई थी।
*हाई स्कूल होने से डोला के बच्चों को मिल रही प्रतिवर्ष पढ़ने के लिए शिक्षा की सुविधा*
डोला के बच्चों को आठवीं पास होने के बाद अपने निकटतम क्षेत्र में आगे की पढ़ाई जारी करने के लिए जाना पड़ता था लेकिन अब डोला में ही शासकीय हाई स्कूल का निर्माण होने से बच्चों को डोला में ही शिक्षा प्राप्त हो रही जिससे कि विद्यालय के बच्चों ने भी महिला को धन्यवाद अर्पित किया है जिन्होंने बच्चों की पढ़ाई के लिए अपनी निजी जमीन दान की जिसमें बच्चों को अच्छी शिक्षा मिल सकें।
*मैं शिक्षित नहीं हो पाई तो क्या क्षेत्र का कोई और ना हो शिक्षा से वंचित*
इस मामले पर रूपन बाई के द्वारा बतलाया गया कि गांव में स्कूल ना होने के कारण वह शिक्षित नहीं हो पाई इसी बात की कसक उनके मन में हमेशा से थी। जिसके बाद यह पता चला कि गांव में स्कूल के लिए जमीन नहीं है इस वजह से विद्यालय भवन नहीं बन पा रहा है । जिस पर अपनी इस मंशा की जानकारी महिला ने अपने परिजनों को देते हुए उनकी सहमति ली । जिसमें सभी ने सहर्ष इस निर्णय को मानते हुए विद्यालय भवन निर्माण के लिए उनके द्वारा लिए इस फैसले पर उसकी सराहना करते हुए विद्यालय को भवन निर्माण के लिए भूमि दान कर दी ।
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