ईंट भ_ो पर आखिर क्या कर रहे नाबालिग

चार विभागों से नजर चुराकर काम कर रहा कारोबारी
मौन धारण कर बैठे जिम्मेदार, जांच की नहीं है फुर्सत
शहडोल। जिले की सोहागपुर जनपद की ग्राम पंचायत पंचगांव में ईंट भ_े का संचालन हो रहा है, जहां नाबालिग बच्चे काम कर रहे हैं, लेकिन उनकी प्रशासन सुध नहीं ले रहा है। ईंट भ_ो पर काम करने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों के परिवार सीजन के अनुसार करीब 7 से 8 महीने ईंटें बनाने का काम करते हैं। इन परिवारों को रहने के लिए अस्थाई झोपड़ी की व्यवस्थाएं कथित ईंट माफियाओं द्वारा की जाती है, जिसके बाद उक्त मजदूर दिन-रात यह ईंट भ_ा संचालकों के लिए जुटे रहते हैं। भ_ों पर काम करने वाले परिवारों के बच्चो से भी कथित ईंट कारोबारियों द्वारा काम लिया जाता है, लेकिन कथित कारोबारियों के भय के कारण यह मजदूर कहीं अपनी दास्तां बयां नहीं कर पाते और विभागों ने तो पहले ही इन गरीबों की पीड़ा से मुंह मोड़ा लिया है।
12 से 14 घंटे काम
ईंट के कारोबारियों के चलते अधिकतर बच्चे अपने माता-पिता के साथ बचपन से ही ईंटें बनाने के काम में जुट जाते हैं। मासूम बच्चे भी मिट्टी में बैठकर सांचों में ईंटें बनाने के लिए मिट्टी भरने के खेल खेलते हैं। ठेकेदार के मार्फत कई मजदूर परिवार ईंटों की संख्या के आधार पर अपनी आमदनी बढ़ाने के लिए 12 से 14 घंटे तक काम करते हैं। इनमें न तो गर्भवती महिलाएं अपने स्वास्थ्य का ध्यान रख पाती हैं और बाद में बच्चों को संभाल में भी परेशानी होती हैं। संतुलित भोजन की कमी के चलते मासूम बच्चे कुपोषण का भी शिकार हो रहे हैं।
इन विभागों की है जिम्मेदारी
ईंट-भ_ों को मंजूरी से लेकर श्रमिक, बंधुआ श्रमिक, मिट्टी खनन आदि के लिए चार विभागों पर जिम्मेदारी है। इनमें खनिज विभाग, श्रम विभाग, प्रदूषण मंडल एवं पुलिस प्रशासन की देखरेख में ही इनका संचालन होता है। इसके बावजूद बिना विभागीय स्वीकृतियो के क्षेत्र में इनका संचालन बेरोक टोक हो रहा है। इसके अलावा शिक्षा का अधिकार के तहत इन बच्चों की समुचित शिक्षा की व्यवस्था करना शिक्षा विभाग की जिम्मेदारी है, मगर अयूब द्वारा किये जा रहे इस कृत्य पर सभी विभागों ने अपनी आंखे मूंद रखी है।
उचित जगह में निर्माण नहीं
क्षेत्र में कई जगह ईंट निर्माण का कार्य चल रहा है, जो उचित जगह पर संचालित नहीं हो रहा है। ईंट भ_ा तैयार करने के समय उसमें से उडऩे वाला राखड़ और भूसा के कण लोगों के आंखों में घुसते हैं, जिससे आंख खराब होने की आशंका बनी रहती है। कई बार जिम्मेदार विभागों में शिकायत किए जाने के बाद भी संभवत: ठेकेदारों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। सूत्रों की माने तो अयूब नामक कथित ईंट कारोबारी ने विभागों से अनुमति भी नहीं ली है। जिम्मेदार विभाग के अधिकारी-कर्मचारी संभवत: ईंट भ_ों का कभी निरीक्षण नहीं किया, इसलिए कथित ठेकेदार इसका फायदा उठा रहा है।
नहीं है शौचालय तक की व्यवस्था
ईंट-भ_े में काम करने वाले मजदूरों को कथित ठेकेदार द्वारा शौचालय उपलब्ध नहीं करवाए गए हैं। इस कारण लोग खुले में शौच जाने के लिए मजबूर हैं, इससे आस-पास पर गंदगी फैल रही है। ईंट-भ_ा मालिक ने कैसे ईंट भ_े का संचालन शुरू कर दिया, इसका अधिकारी मौके पर कभी निरीक्षण नहीं किया, अगर कथित ठेकेदार ने अनुमति ली भी है तो, मजदूरों के शौचालय है या नहीं, इसकी जांच सहित अन्य औपचारिकताएं जांचने के बाद ही मंजूरी दी जानी चाहिए थी, लेकिन इसके बाद भी खुद के उपयोग के नाम पर ईंट का कारोबार किया जा रहा है या तो अधिकारी अंजान हैं, या अंजान बनने का नाटक कर रहे हैं।