कमल का कमाल : शहडोल में मुर्दे की भाजपा इकाई में गई नियुक्ति #आँखे मूंद कर बना दी #bjp की जिला इकाई

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मृतक को बना दिया भाजपा कार्यसमिति

का सदस्य

13 महीनों बाद बनाई समिति,उसमें भी

कर ली आंखें बंद

इधर बाल कल्याण समिति के सदस्यों को

भी दे दिए पद

पहली बार जिला कार्यकारिणी में सिंधी

समाज को नहीं मिली तवज्जो

भारतीय जनता पार्टी की जिला इकाई के अध्यक्ष कमल प्रताप सिंह द्वारा अपनी नियुक्ति के लगभग 13 माह बाद जिला कार्यकारिणी की घोषणा की गई, दिगर कार्य में व्यस्त जिला अध्यक्ष ने इतना समय लेने के बाद भी आनन-फानन में घोषणा की इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 18 अप्रैल को जिस भाजपा नेता की शहडोल में ही मौत हो गई थी, उसे कार्यकारिणी सदस्य बनाया गया, यही नहीं शीतल पोद्दार और संतोष मिश्रा जैसे संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों को भी पार्टी में पदाधिकारी बनाया गया, जिससे संगठन के मुखिया की समझ और राजनीति में उनकी पैठ का सहज अंदाजा लगाया जा सकता है।

(सतीश तिवारी)

शहडोल। लंबे इंतजार के बाद 19 जून शनिवार को देश के सबसे बड़े राजनीतिक दल भारतीय जनता पार्टी के जिला इकाई के गठन की विधिवत घोषणा की गई, बीते वर्ष 19 जून 2020 को भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश संगठन ने युवा और तेजतर्रार नेता कमल प्रताप सिंह को जिले की कमान सौंपी थी और उन्हें भारतीय जनता पार्टी का जिला अध्यक्ष बनाया था, तब से लेकर अब तक जिले भर में कमल प्रताप की नई टीम को लेकर लगातार सुगबुगाहट रही और उस टीम में जगह पाने के लिए भारतीय जनता पार्टी से जुड़े नेता और कार्यकर्ता अपनी-अपनी जुगत भिड़ाते नजर आते रहे। लगभग 13 महीने 10 दिन के बाद कमल प्रताप सिंह ने 19 जून को जब अपनी टीम की घोषणा की तो यह अनुमान लगाया जा रहा था कि इतना समय लेने के कारण कम से कम बड़ी सूझबूझ और विचार विमर्श करने के बाद ही कमल प्रताप सिंह ने अपनी टीम बनाई होगी। 45 कार्यसमिति सदस्यों के अलावा जिला इकाई में 29 पदाधिकारियों को शामिल किया गया, इस पूरी टीम में वरिष्ठ नेताओं के साथ ही युवाओं को भी शामिल किया गया और इस बात का भी ख्याल किया गया कि कोई भी वर्ग या गुट इससे अछूता न रहे, इतना सब कुछ सोचने-समझने के बाद भी जब टीम की सूची सामने आई तो कमल प्रताप सिंह के राजनैतिक अनुभव और अब तक उनको लेकर बनी तस्वीर व अनुभव सब के सब ताश के पत्तों के महल की तरह ढह गए। कमल प्रताप सिंह ने अपनी इस नई टीम में जिन 45 व्यक्तियों को जिला कार्य समिति का सदस्य बनाया गया है,उस सूची में 34 में स्थान पर बिंदेश्वरी सिंह चतुर्वेदी को जिला कार्य समिति का सदस्य बनाया गया है, सूची बनाने से पहले या तो कमल प्रताप और उनके खास सलाहकारों ने इस सूची के संदर्भ में कोई जानकारी इखट्टी नहीं की, या फिर अपनों को पद देने के बाद जिन भी नामों के बारे में उन्हें जानकारी थी उन्हें भरकर सूची जारी कर दी गई। बिंदेश्वरी सिंह चतुर्वेदी बीती 18 अप्रैल को कोरोना संक्रमण के कारण काल-कवलित हो चुके हैं, मेडिकल कॉलेज शहडोल में ही 18 अप्रैल की शाम कोरोना संक्रमण से उनकी मौत हुई थी और इसी दिन शहडोल में ही उनका अंतिम संस्कार किया गया था,यही नहीं जिला बाडी में कमल प्रताप सिंह ने शीतल पोद्दार को जिला उपाध्यक्ष और संतोष मिश्रा को कार्यालय मंत्री का पद दिया है। यह दोनों बाल कल्याण समिति के सदस्य हैं, मृतक को भाजपा के बड़े पद से नवाजने के मामले में कमल और उसकी टीम की सूझबूझ वह गंभीरता झलकती ही है, इस नई टीम में एक बात यह भी खास रही कि जिले ही नहीं बल्कि प्रदेश के इतिहास में भारतीय जनता पार्टी के जिला इकाई व प्रदेश कार्यकारिणी में पहली बार सिंधी समाज को बिल्कुल किनारे कर दिया गया।

 

पूर्व जिला उपाध्यक्ष थे स्वर्गीय बिंदेश्वरी

कमल प्रताप सिंह के द्वारा नई कार्यकारिणी में स्वर्गीय बिंदेश्वरी सिंह चतुर्वेदी को 34 वें नंबर पर नाम दर्ज कर जिला कार्य समिति का सदस्य बनाया गया है,वह वर्षों से भारतीय जनता पार्टी के सक्रिय सदस्य और पदाधिकारी रहे हैं, पुरानी टीम में भी वे भारतीय जनता पार्टी के जिला उपाध्यक्ष रहे हैं इतना ही नहीं ग्राम पपौंध के निवासी स्वर्गीय बिंदेश्वरी सिंह चतुर्वेदी स्थानीय पंचायत के सरपंच भी रहे हैं, स्वर्गीय श्री चतुर्वेदी के तीन बेटे हैं जिसमें अभिनव सिंह चतुर्वेदी वर्तमान में पपौन्ध भारतीय जनता पार्टी के मंडल उपाध्यक्ष भी हैं, मूलत काश्तकार रहे विंदेश्वरी सिंह चतुर्वेदी का परिवार काश्तकारी के अलावा वर्षों से सक्रिय राजनीति में भी शामिल रहा है, स्वर्गीय बिंदेश्वरी सिंह चतुर्वेदी के पुत्र अभिनव सिंह चतुर्वेदी ने चर्चा के दौरान बताया कि उनके पिता की तबीयत अप्रैल माह के दूसरे सप्ताह में अचानक खराब हुई थी, पहले उन्हें स्थानीय ब्यौहारी स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में इलाज के लिए ले जाया गया था, लेकिन तबीयत खराब हो जाने के बाद उन्हें यहां से 15 अप्रैल को मेडिकल कॉलेज शहडोल रेफर किया गया था।
जहां इलाज के दौरान 18 अप्रैल की दोपहर उनकी मौत हो गई और उसी दिन देर शाम शहडोल पर ही उनका अंतिम संस्कार किया गया था,19 अप्रैल की सुबह उनकी अस्थियां लेकर परिजन अपने ग्रह ग्राम लौट आए थे, पुत्र ने अभी बताया कि इस दौरान भारतीय जनता पार्टी के जिला अध्यक्ष कमल प्रताप सिंह मेडिकल कॉलेज आए थे और पिताजी का कुशल क्षेम भी पूछा था, हालांकि उनकी मौत के बाद ना तो कमल प्रताप सिंह ने और नहीं भारतीय जनता पार्टी की जिला इकाई के किसी अन्य नेता ने उनका कुशलक्षेम पूछा या फिर उनकी कोई सुध ली, अलबत्ता यह जरूर बताया कि पिता की मौत के बाद स्थानीय विधायक शरद कौल उनके घर आए थे और स्थानीय सांसद ने भी पिता की मौत के संदर्भ में विधायक की तरह शोक जताया था।

 

संवैधानिक पदों पर बैठे

प्रतिष्ठितों को मिली जिला

इकाई में जगह


13 माह बाद जिला इकाई का गठन करने के बाद भी जिला अध्यक्ष कमल प्रताप सिंह का कमाल यही नहीं रुका, यह भी जानकारी सामने आ रही है कि कमल प्रताप सिंह के द्वारा जिला इकाई में दो ऐसे व्यक्तियों को पद राजनीतिक पद दिए गए हैं जो पहले से ही संवैधानिक पदों पर नियुक्त हैं, इसमें शीतल पोद्दार को जिला उपाध्यक्ष बनाया गया है तथा दूसरा नाम संतोष मिश्रा का है जिसे कार्यालय मंत्री के पद की जिम्मेदारी दी गई है, दोनों ही पूर्व से जिला बाल कल्याण समिति के सदस्य हैं गौरतलब है कि जिला बाल कल्याण समिति के सदस्यों की नियुक्ति प्रदेश सरकार द्वारा की जाती है और संवैधानिक पद है,यह भी माना जाता है कि संवैधानिक पद पर रहते हुए उसके साथ ही किसी राजनीतिक पार्टी के कार्यक्रम में शामिल नहीं होना चाहिए, पद की बात तो अलग ही है,यह जानकारी होने के बाद भी आनन-फानन में बनी टीम में संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों को राजनीतिक पद की जिम्मेदारी दे दी गई। जबकि शहडोल मुख्यालय के अलावा तीनों विधानसभा क्षेत्रों के नगरीय एवं ग्रामीण क्षेत्रों में भारतीय जनता पार्टी के दर्जनों ऐसे पदाधिकारी हैं, जो वर्षों से पार्टी के साथ हैं और पद के लिए उपयुक्त भी थे।

पहली बार सिंधी समाज को

किया किनारे

 

भारतीय जनता पार्टी के गठन के साथ से ही अब तक के वर्षों में सिंधी समाज को भारतीय जनता पार्टी का वोट बैंक माना जाता रहा है, समय-समय पर जिले से लेकर प्रदेश व केंद्र तक के नेता इस बात को स्वीकारते रहे हैं, यही कारण रहा है कि शहडोल में अब तक के इतिहास में जितने भी बार जिला इकाइयों का गठन हुआ, उनमें कहीं ना कहीं सिंधी समाज के से जुड़े लोगों को भारतीय जनता पार्टी की जिला इकाई में जगह दी गई। सिंधी समाज का भारतीय जनता पार्टी में कितना स्थान रहता है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि भारतीय जनता पार्टी की अब तक की गठित प्रदेश इकाइयों में भी हर वर्ष समाज के लोगों को कहीं ना कहीं जिम्मेदारी शुरू से ही दी जाती रही है। शहडोल में भी बुढार-धनपुरी- ब्यौहारी के साथ शहडोल मुख्यालय में सिंधी समाज का एक बड़ा वोट बैंक है जो शुरू से लेकर अब तक भारतीय जनता पार्टी का वोट बैंक माना जाता रहा है,यही कारण रहा है कि शहडोल में पूर्व के वर्षों में प्रकाश जगवानी को समाज का एक तरफा सहयोग मिलने के कारण ही भाजपा ने अपनी टिकट दी थी और वह नपा अध्यक्ष बने थे,यही स्थिति बुढार में भी रही है जहां कैलाश विश्नांनी तीसरी बार नगर पंचायत के अध्यक्ष हैं, ऐसा भी नहीं है कि जिले में सिंधी समाज के लोग भारतीय जनता पार्टी के प्रतिष्ठित पदों पर नहीं है, भाजपा की प्रमुख इकाई के साथ ही युवाओं और अन्य संगठनों में भी सिंधी समाज के सैकड़ों व्यक्ति विभिन्न पदों पर लगातार हैं और पूर्व में भी रहे हैं, बावजूद इसके जिला इकाई में समाज के लोगों को न शामिल करने के कारण उनमें इस बात को लेकर नाराजगी बढ़ सकती है।

 

ब्योहारी विधानसभा क्षेत्र की

हुई अनदेखी


विधानसभा क्षेत्र 83 में पाँच मंडल है, जिसमें महज एक मृतक सहित दो लोगो को जिला कार्यकारणी में जगह दी गई है। जिसमें सातिका तिबारी जिला उपाध्यक्ष व पुष्पेन्द्र पटेल को जिला मंत्री बनाया गया है। यहां के बरिष्ठ भाजपाइयों की जिला कार्यकारिणी में नियुक्ति को लेकर अनदेखी करने के आरोप लग रहे है। लोगों का कहना है कि ब्यौहारी विधानसभा अंतर्गत दो नगर पंचायतों के आगामी चुनाव होने हैं। जिसमें इस नियुक्ति में हुई बरिष्ठजनों की अनदेखी का परिणाम भी पार्टी को भुगतना पड़ सकता है। वहीं जिला कार्यकारिणी की जारी हुई सूची में सामिल कुछ अन्य सदस्यों की कार्यशैली पर सबाल उठाये जा रहे है।

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