नैतिकता के आधार पर कुछ करेंगी नगर की प्रथम महिला!

घायल बोलता रहा गंभीर घाव, हत्या का प्रयास, गाड़ी चढ़ाई पर

लगाई औचारिक धाराएं

शहडोल। बीती रात एनएच-43 पर चार बिगडैल नवाबों के द्वारा पहले मारपीट, फिर कार से दौड़ाना, फिर कार चढ़ाने का प्रयास करने के बाद, हथियार व कड़े से सर पर गंभीर चोटे कारित करने के मामले में सोहागपुर पुलिस ने नगर पालिका अध्यक्ष शहडोल उर्मिला कटारे के पुत्र अभिनव कटारे को गिरफ्तार कर लिया है, हालाकि अभिनव की गिरफ्तारी ठीक उसी तर्ज पर हुई, जिस फिल्मी तर्ज पर अभिवन ने पवन सोनी, राजा यादव व मोंटी सिंह के साथ शिवम त्रिपाठी पर हमला किया था।
औपचारिक रहा सबकुछ
जिले की संवेदनशील पुलिस जो कई मामलो में सिर्फ संदेह के आधार पर हत्या जैसे मामले दर्ज कर लेती है, इतिहास गवाह है कि बुढ़ार पुलिस ने दोहरे मर्डर काण्ड में संदेह के आधार पर वृद्ध कारोबारी को सहआरोपी बनाया था और बाद में खुद उसका न्यायालय में खड़े होकर खण्डन किया, इस मामले में पीडि़त और आरोपी दोनों ही आरोपों का खण्डन कर रहे थे, लेकिन आज कई घंटो तक अस्पताल में भर्ती युवक ने मीडिया के समक्ष मारपीट, कार से दौड़ाने, कार चढ़ाने का प्रयास और शराब के नशे में चार लोगों के द्वारा एक को सर पर गंभीर प्रहार करने के बयान दिये, लेकिन पुलिस ने सिर्फ गाली-गलौज और सामान्य मारपीट का मामला दर्ज किया। शायद यह इसलिए भी किया गया कि जल्दी से औपचारिक गिरफ्तारी कर जमानत दे दी जाये, अन्यथा सर पर गंभीर चोट या एक्स-रे तथा अन्य साक्ष्य सामने आ जाने पर धाराएं बढ़ सकती थी और फिर औपचारिकता वाली व्यवस्था भंग हो सकती थी।
यह कहती है आईपीसी
संभवत: शहडोल सहित पूरे देश की आईपीसी एक ही तरह की होनी चाहिए, विधि विशेषज्ञों की माने तो आईपीसी की धारा 320 के अंतर्गत सर या चेहरे का विदरूपीकरण स्थाई होना चाहिए। यदि सर या चेहरे पर कोई स्थाई छोड़ दी गई है विदरूपीकरण का तात्पर्य किसी मनुष्य के सर या चेहरे पर ऐसी भारी क्षति कारित करना है जो उसके आकार को हानि पहुंचाती है। धारा 320 के अंतर्गत खंड इस प्रकरण पर प्रयोज्य होता है।


तो क्या हत्या का था इरादा
आईपीसी की धारा 307 यह बताती है कि यदि शराब के नशे में या बिना नशे के जानबूझकर किसी व्यक्ति के ऊपर कार चढ़ाकर मारने का प्रयास किया जा रहा है, जिसमें उसे चोटे भी आई हैं, इन परिस्थितियों में यह भी संभव है कि पीडि़त के ऊपर कार चढ़ जाती, जिससे उसकी मौत भी हो सकती थी, जिन लोगों के द्वारा यह प्रयास किया गया है, उनके द्वारा पीडि़त को मारने का इरादा था। यह स्पष्ट हो जाने से कि आरोपी पीडि़त को मारने की नीयत से कार उसके ऊपर चढ़ा रहा था, जिससे महज ठोकर ही लगी, उसकी जान बच गई, इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि उसकी जान कार चढऩे से नहीं जा सकती थी।
यह कहती है धारा 326
भारतीय दंड संहिता की धारा 326 स्वेच्छा से हथियारों से लैस होकर गंभीर चोट पहुंचाने के संबंध में उल्लेख कर रही है। आयुध हो या साधनों के माध्यम से गंभीर प्रकार की चोट पहुंचाई जाती है तो दंड सहिंता की धारा 326 के अंतर्गत आजीवन कारावास तक के दंड का प्रावधान किया गया है। इस प्रकार का दंड 10 वर्षों तक भी हो सकता है साथ में जुर्माना भी लगाया जा सकता है। धारा 326 के अंतर्गत कार्य शमन योग्य नहीं है क्योंकि दंड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 320 के अंतर्गत शमनीय अपराध की सूची में सम्मिलित नहीं किया गया है।

पहले मारा,फिर कार से दिया धक्का और अंत मे फोड़ा सर @ धनकुबेर पुत्रों ने की भाईगिरी https://halehulchal.com/first-hit-then-pushed-by-car-and-finally-boil-sir-dhankuber-sons-did-bhaigiri/

*तो क्या गुस्से में हत्या कर देते नवाबजादे*

*सर पर आई गंभीर चोटें @ मामूली धाराओं में मामला निपटाने के हो रहा प्रयास*

*सुनिये…पीड़ित की जुबानी…पूरा घटनाक्रम*

*इधर शुरू हो गया भाजपा का डैमेज कंट्रोल @ पीड़ित पर डाला जा रहा समझौते का दबाव*

*www.halehulchal.com*

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