…तो उमरिया-अनूपपुर प्रशासन ने किया गाइड लाईन का उल्लंघन

कोरोना हीं मन सका हिन्दुओं का दशहरा महोत्सव
अनूपपुर और उमरिया से जुदा है शहडोल का कोरोना वॉयरसकी आड़ में न
शहडोल। कोरोना संक्रमण से भय तथा उसकी रोकथाम के लिए बीते दिनों प्रदेश सरकार के निर्देश पर लगभग जिलों में गाइड लाईन तय कर आपदा प्रबंधन की बैठकों के आदेश दिये गये थे, बैठक में तय बिन्दुओं को पिं्रट और सोशल मीडिया में प्रसारित किया गया। जिसमें शहडोल में कोरोना के मद्देनजर दशहरा महोत्सव और रावण दहन पर रोक लगाई गई, यही नहीं मातारानी के विसर्जन जुलूस में डीजे पर प्रतिबंध व उससे अधिक ध्वनि प्रदूषण करने वाले बड़े-बड़े चोंगो व ढोल-नगाड़ों की बजाने की छूट थी। अचरज तो इस बात का भी रहा कि शहडोल जिले में रावण दहन व दशहरा महोत्सव पर प्रतिबंध था, जबकि उससे सटे संभाग के ही अनूपपुर और उमरिया सहित प्रदेश के अन्य जिलो में हिन्दुओं का यह पर्व पराम्पारिक हर्षाेउल्लास के साथ, कोरोना गाइड लाईन को ध्यान में रखकर मनाया गया।
…तो क्या अनूपपुर-उमरिया में उल्लंघन
दशहरे जैसे हिन्दुओं की आस्था से जुड़े ऐतिहासिक पर्व पर शहडोल में रोक लगाने के पीछे कोरोना गाइड लाईन और जिला आपदा प्रबंधन समिति की 8 अक्टूबर को हुई बैठक का हवाला दिया गया, बैठक के बाद यह बात सामने आई कि दशहरा महोत्सव नहीं मनाया जायेगा, जबकि संभाग के ही उमरिया और अनूपपुर जिले में हुई बैठकों के बाद आयोजन को हरी झण्डी दे दी गई। दोनों ही जिलों में बैठे प्रशासनिक अधिकारियों और आपदा प्रबंधन समिति के सदस्यों ने या तो कोरोना गाइड लाइन का उल्लंघन किया, या फिर उन्हें शासन के दिशा निर्देशों की जानकारी ही नहीं थी।

यह पहला मौका नहीं है जब शहडोल में आपदा प्रबंधन समिति की बैठक के बाद आये निर्णय कटघरे में नजर आये हों, मार्च 2020 में कोरोना की आहट और लाकडॉउन लगने के उपरांत दर्जनों बार समिति की बैठक हुई और जो निर्णय छनकर बाहर आये, उसमें जिले के सैकड़ों लोगों ने सवाल खड़े किये, यह पहले भी हुआ है, जब व्यापारी संघों के संदर्भ में निर्णय लिये गये और जिले के 95 प्रतिशत व्यापारियों की सहमति व समर्थन नहीं रहा। हाई प्रोफाइल नेताओं और जनप्रतिनिधियों ने लगातार आमजनों की समस्याओं और हितों को अनदेखा कर विवादित निर्णय जनता पर थोपे हैं।
भाजपा प्रवक्ता ने खड़े किये सवाल!