दीपावली के पर्व से पूर्व प्रदूषण नियंत्रण ने आमजन को किया आगाह 

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वेबिनार में पर्यावरण जन -जागरूकता एवं जन जागरण का हुआ आयोजन 

पटाखों से होने वाले दुष्प्रभाव को रोकने पीसीबी की पहल 

शहडोल। क्षेत्रीय कार्यालय म.प्र. प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी  संजीव मेहरा के निर्देशन में पर्यावरण संबंधी जन – जागरण एवं जन जागरूकता के लिए दीपावली के अवसर पर पटाखों से होने वाले प्रदूषण  पर क्षेत्रीय कार्यालय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में वेबिनार का आयोजन किया गया, पर्यावरण जन -जागरूकता एवं जन जागरण के उद्देश्य से वेबिनार का आयोजन 21 अक्टूबर की दोपहर 12 बजे संगोष्ठी आयोजित की गई। गूगल मीट लिंक  से वीडियो के माध्यम से शहर के विभिन्न पर्यावरण विद जागरूक स्वयंसेवी संस्थानों से जुड़े व्यक्ति द्वारा भाग लिया गया एवं अपने अमूल्य विचार व्यक्त किये गये, यह वेबिनार अपरान्ह 12  से 1 बजे के बीच संपन्न हुआ। एम. के. भटनागर विभागाध्यक्ष रसायन शास्त्र द्वारा बताया गया कि वायु प्रदूषण पटाखों में मुख्यत: सल्फर के तत्व मौजूद होते हैं,लेकिन इसके अलावा भी उनमें कई प्रकार के बाइंडर्स, स्टेबलाइजर्स, ऑक्सीडाइजऱ,रिड्यूसिंग एजेंट और रंग मौजूद होते हैं। जोकि रंग-बिरंगी रोशनी पैदा करते हैं, यह एंटीमोनी सल्फाइड, बेरियम नाइट्रेट, एल्यूमीनियम, तांबा, लिथियम और स्ट्रॉटियम के मिश्रण से बने होते हैं।
पटाखे से मिलने वाला रसायन हानिकारक 
श्री भटनागर ने बताया कि जब यह पटाखे जलाये जाते हैं तो, इनमें से कई प्रकार के रसायन हवा में मिलते हैं और हवा के गुणवत्ता को काफी बिगाड़ देते हैं। क्योंकि दिवाली का त्योहार अक्टूबर या नवंबर में आता है जिस समय भारत के ज्यादातर शहरों में कोहरे का मौसम रहता है और यह पटाखों से निकलने वाले धुओं के साथ मिलकर प्रदूषण के स्तर को और भी ज्यादा बढ़ा देता है। बड़ो के अपेक्षा बच्चे इसके हानिकारक प्रभावों द्वारा सबसे ज्यादे प्रभावित होते हैं। लेकिन पटाखों से निकलने वाले रसायन सभी के लिए हानिकारक होते हैं और अल्जाइमर तथा फेफड़ो के कैंसर जैसी गंभीर बीमारियां का कारण बन सकते हैं। सबसे पसंदीदा पटाखों की धूम-धड़ाम हमारे कानों को क्षतिग्रस्त करने और ध्वनि प्रदूषण को बढ़ाने का कार्य करते हैं। मनुष्य के कान 5 डेसीबल के आवाज को बिना किसी के नुकसान के सह सकते हैं,  लेकिन पटाखों की औसत ध्वनि स्तर लगभग 125 डेसीबल होती है, जिसके कारण ऐसे कई सारी घटनाएं सामने आती है, जिनमें पटाखे फूटने के कई दिनों बाद तक लोगों के कानों में समस्या बनी रहती है।
स्वास्थ्य पर पड़ता है बुरा असर 
प्रोफेसर लाल सिंह बंजारा ने बताया गया कि फूटते हुए पटाखें काफी ज्यादा मात्रा में धुआं उत्पन्न करते हैं, जो समान्य वायु में मिश्रित हो जाती है और दिल्ली जैसे शहरों में जहां हवा पहले से ही अन्य कारणों द्वारा काफी प्रदूषित है। जब पटाखों का धुआं हवा के साथ मिलता है तो, वह वायु की गुणवत्ता को और भी ज्यादा खराब कर देता है, जिससे की स्वास्थ्य पर इस प्रदूषित वायु का प्रभाव और भी ज्यादे हानिकारक हो जाता है। आतिशबाजी द्वारा उत्पन्न यह छोटे-छोटे कण धुंध में मिल जाते हैं और हमारे फेफड़ो तक पहुंचकर कई सारे बीमारियों का कारण बनते हैं।
जावनरों पर पटाखों के होने वाले प्रभाव
दिवाली भले ही हम मनुष्यों के लिए एक हर्षोउल्लास का समय हो पर पशु-पक्षियों के लिए यह काफी कठिन समय होता है। जैसा की पालतू जानवरों के मालिक पहले से ही जानते होंगे की कुत्ते और बिल्ली अपने श्रवणशक्ति को लेकर काफी संवेदनशील होते हैं। यही कारण है कि तेज आवाजें सुनकर वह काफी डर जाते हैं और पटाखों द्वारा लगातार उत्पन्न होने वाली तेज आवाजों के कारण यह निरीह प्राणी काफी डरे सहमें रहते हैं। इस मामले में छुट्टे जानवरों की दशा सबसे दयनीय होती है, क्योंकि ऐसे माहौल में उनके पास छुपने की जगह नही होती है। कई सारे लोग मजे लेने के लिए इन जानवरों के पूछ में पटाखें बांधकर जला देते हैं। इसी तरह चिडिय़ा भी इस तरह की तेज आवाजों के कारण काफी बुरी तरीके से प्रभावित होती हैं, जोकि उन्हें डरा देता हैं। कार्यक्रम का संचालन प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के प्रयोगशाला प्रभारी डॉ. ए.के. दुबे द्वारा किया गया है । कार्यक्रम में महाविद्यालय के शिक्षा शास्त्री , विद्यार्थियों एवं अशासकीय संगठन के प्रतिनिधियों तथा उद्योगों के पदाधिकारियों , पत्रकार बंधुओं द्वारा सक्रियता पूर्वक भाग लेकर अपने विचार रखे गये ।
वेबीनार में यह हुए शामिल 
दीपावली के अवसर पर पटाखों से होने वाले प्रदूषण के संबंध में जन जागरण तथा जन-जागृति वेबिनार कार्यक्रम में एम . के . भटनागर ( प्रोफेसर एस . एन . एस , विश्वविद्यालय, लाल सिंह बंजारा प्रोफेसर डी . जी.सी., श्रीमती स्मिता वर्मा प्रोफेसर सांइस कॉलेज भोपाल, श्रीमती हेमलता प्रोफेसर साइस कॉलेज भोपाल, अभिमन्यु सिंह रिलायंस इंडस्ट्रीज शहडोल, अविनाश मरकाम सी.एम.ओ. पसान,  सी.एम.ओ. नौरोजाबाद, सीएमओ उमरिया, डॉ.ए.के. दुबे वैज्ञानिक प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, बी.एम. पटेल कनिष्ट वैज्ञानिक प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड शहडोल, सौरभ मिश्रा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड शहडोल, राम मनोहर कुशवाहा, प्रगति सोनी,  शुभम सिंह सम्मिलित हुए।

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