जंगल में जुआ..सबको दिखता है, मगर पुलिस को नहीं दिखता

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शहडोल। संभागीय मुख्यालय से सटे उमरिया जिले के अंतिम छोर में बसे घुनघुटी चौकी क्षेत्र अंतर्गत जंगल में 52 परी नाच रही है, बताया जा रहा है कि एक शख्स यहां बड़ा जुआं का संचालन करा रहा है।  संभागीय मुख्यालय से यहां बड़ी संख्या में जुआरी दांव लगाने पहुंचते हैं। यहां लाखों का जुआं चलता है। लोग कार, महंगी बाइक में दांव लगाने पहुंचते हैं। बताया जाता है कि जुआ अड्डे में बाकायदा इनके खान पान की व्यवस्था रहती है। इतना ही नहीं मौके पर साहूकार की भी व्यवस्था रहती है। जहां में हारने वाले को मुंहमांगी कीमत में ब्याज में यहां रकम भी उपलब्ध कराया जाता है, पूर्व के वर्षाे में इसी क्षेत्र में पुलिस ने बड़ी कार्यवाही की थी।
जुआं भी ऐसा जहां दारु, मुर्गा और बकरा भात का पूरा इंतजाम होता है, बकायदा जंगल के मुख्य मार्ग में जुआरियों को फड़ तक पहुंचाने के लिए आदमी तैनात रहते हैं, फड़ में बकायदा टेंट लगाकर धूम्रपान की समुचित व्यवस्था जुआ गैंग द्वारा की जाती है, लोगों की मानें तो सांई मंदिर के पास वन विभाग का पत्तागोदाम के पास जुआरियों की महफिल सजती है, सूत्रों की माने तो, संभागीय मुख्यालय से बड़े-बड़े सेठ और युवा दांव लगाने पहुंच रहे हैं, लेकिन शहडोल जिले से बाहर और उमरिया जिले के अंतिम छोर में बसे होने के चलते पुलिस सक्रिय नहीं रह पाती, चर्चा है कि घुनघुटी चौकी में कथित ठीहे का संचालन कराने वाला हिसाब कर रहा है।
जंगल में जुआरियों और सूदखोरों का धंधा जोर पकड़ चुका है, इस जुआ के अवैध खेल में कई पंचायतों के युवाओं को इसकी लत लग चुकी है और वह इसके आदि हो चुके हैं और तो और सूदखोरों की गिद्ध दृष्टि उन युवकों और जुआरियों पर बनी रहती है। घात लगाये सूदखोर मौका मिलते ही जुआं में हारे युवकों को फिर से जुआं खेलने के लिए उक्त युवक का दो पहिया, चार पहिया वाहन, मोबाइल, जेवर और आभूषण जैसे सामना गिरवी रखकर ब्याज के शर्त पर रकम देते है। इस तरह सूदखोरों का अवैध धंधा बहुत ही आसानी और बिना किसी डर के चलता रहता है। दूसरी तरफ जुआं में हारा व्यक्ति कर्ज के बोझ से दबता चला जाता है और अवसादग्रस्त होकर अप्रिय घटना को अंजाम देने की ओर कदम बढ़ाता है।

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