भाषण नहीं भोजन चाहिए, बसों को डीजल चाहिए
मुख्यमंत्री के कार्यक्रम में लगी सरकारी मशीनरी हुई फेल
मुखिया के जाने के बाद कमिश्नरी के सामने चक्काजाम
पुलिस अधीक्षक को घेर ग्रामीणों ने बताई समस्या
कप्तान की पहल के बाद मौके पर पहुंचे एसडीएम
अकेले पुलिस अधीक्षक देर तक समझाते रहे ग्रामीणों को
अरसे बाद सूबे के मुखिया शहडोल आये, उनके आने और जाने तक तो, सब ठीक रहा, लेकिन उनके जाने के बाद कमिश्नर कार्यालय के सामने गांव-गांव से सरकारी खर्च पर आये ग्रामीणों ने मोर्चा खोल दिया, भाषण नहीं, भोजन चाहिए, पीने को पानी चाहिए और सड़क पर खड़ी दर्जनों बसों को घर तक पहुंचाने के लिए डीजल चाहिए, लाने वाले पंचायत सचिव लापता हो गये, मौके पर कप्तान पहुंचे, करीब 1 घंटे की कश्मकश के बाद मामला शांत हुआ।
(शुभम तिवारी)

शहडोल। शुक्रवार को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के शहडोल दौरे के लिए जिस सरकारी मशीनरी को लगाया गया था, वह पूरी तरह फेल हो गई, जिले के विभिन्न जनपदों अंतर्गत पंचायतों से बसों में ढो-ढो कर लाये गये, ग्रामीणों ने जब सर्किट हाऊस के सामने के रास्ते को जाम कर दिया तो, मामला अचानक सुर्खियों में आ गया, मौके से गुजर रहे पुलिस अधीक्षक अवधेश कुमार गोस्वामी ग्रामीणों की समस्या देखने के लिए रूके तो, उन्हें समस्या बताने वालों की भीड़ सैकड़ों में बदल गई, दोनों तरफ वाहनों की कतारे लग गई, लगभग आधे घंटे तक पुलिस अधीक्षक एक तरफ ग्रामीणों को समझाईश देते रहे तो, दूसरी तरफ फोन पर जिला प्रशासन के अधिकारियों को मामले से अवगत कराते रहे। किसी ने गुमराह कर कार्यक्रम में लाने की बात कही, किसी ने खाना मांगा, किसी को पानी तक नहीं मिला और अंत में जब जाने के लिए बस के करीब आये तो, डीजल न होने के कारण बसें आगे नहीं बढ़ी।




खुल गई ढोल की पोल
कोरोना के लंबे काल के बाद मुख्यमंत्री ने शायद चौथी बार पदभार सम्हालने के उपरांत जिले में पहली बड़ी आमसभा की, 617 करोड़ के कार्याे का लोकार्पण व भूमि पूजन मुख्यमंत्री ने किया, पूरे संभाग के भाजपाई, विधायक, सांसद, मंत्री मंच पर सुशोभित रहे, विकास के बड़े-बड़े दावे किये गये, लेकिन जब सड़क पर लोगों ने पोल खोलना शुरू किया तो, यह बात सामने आई कि कार्यक्रम में भीड़ खुद नहीं बल्कि सरकारी मशीनरी का दुरूपयोग कर इकट्ठा की गई थी। यह मशीनरी भी अंत में धोखा दे गई और भूखे पेटो में जिंदाबाद के नारे दम तोड़ गये।
दर्जनों ने बताई व्यथा



शाम करीब 6 बजे के आस-पास पुलिस अधीक्षक को रास्ते में रोककर दर्जनों ने अपनी समस्या बताई, ग्राम पंचायत हर्री से आये राम गोपाल ने कहा कि बस खड़ी है, उसमें डीजल नहीं है, जो सचिव लेकर आया था, अब उसे ढूंढ रहे हैं, घर के भी दर्जनों काम थे, सब चौपट हो गये। इसी तरह, इसी ग्राम के प्रेमलाल कहते हैं कि 12 बजे सचिव बस में बैठाकर लाये थे, भाषण तो सुना, लेकिन भोजन नहीं मिला, इन दिनों गांव में काम भी नहीं मिलता, सोचा था, आज का जुगाड़ हो गया, लेकिन यहां आने के बाद से, लाने वालों को ढूंढ रहा हँू, शाम हो गई है, खाना नसीब नहीं हुआ।
सड़ा खाना दिया सचिव ने



ग्राम पंचायत मोहनी से आई संगीता साहू ने बताया कि आधों को तो खाना नहीं दिया, हमें खाना तो मिला, लेकिन सब्जी से गंध आ रही थी, कुछ रूपये पास में रखे थे, जिससे मैनें खा लिया, इसी तरह कौआसरई से आई महिला स्वसहायता समूह की सदस्य गुडिय़ा कहती हैं कि हम सड़क से नहीं हटेंगे, चाहे जो हो जाये, पहले खाना दें और बस में डीजल भरवायें, ग्राम अंतोली-वनचाचर से आये राजकुमार कहते हैं कि पानी तक नहीं मिला, मामा का भाषण तो सुना, लेकिन उससे पेट थोड़ी न भरता है, इसी क्रम में ग्राम सेमरा, करकी से आये राम मनोहर पाण्डेय कहते हैं कि कार्यक्रम के नाम पर लाखों खा गये, हमको खाना तक नहीं दिया, सुबह 7 बजे से तैयार होकर घर से निकले हैं, शाम को 6 बज गये हैं, बाकी हिसाब कल सचिव से करेंगे।
…तो कार्यक्रम के नाम पर लाखों का भ्रष्टाचार
मुख्यमंत्री के कार्यक्रम में इस तरह की लापरवाही शायद पहली बार नजर आई है, जो ग्रामीण शिवराज जिंदाबाद करते हुए कार्यक्रम में शामिल हुए थे, सुबह से लेकर शाम तक भूखे रहने के बाद उनके भूखे पेट से क्या नारे निकले होंगे, यह सहज ही समझा जा सकता है, खबर तो यह भी है कि कार्यक्रम के नाम पर पंचायतों से लेकर चंद जिम्मेदार विभागों ने कोरोना काल के दौरान छाई मंदी मिटाने का जुगाड़ फर्जी बिल लगा कर मिटाने के फेर में हैं, जनपदों से लेकर पंचायतों तक जिन जिम्मेदारों के कारण जिले की किरकिरी हुई, आने वाले दिनों में कलेक्टर इस संदर्भ में क्या कदम उठाती हैं, यह भी विचारणीय है।
कप्तान ने दिखाई सूझबूझ
मुख्यमंत्री के शहडोल से जाने के बाद स्थानीय सर्किट हाऊस में प्रभारी मंत्री रामखेलवान पटेल, सुश्री मीना सिंह व अन्य भाजपा नेता, विधायक के साथ अधिकारियों की बैठक होनी थी, संभवत: इसी में शामिल होने के लिए कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक सर्किट हाऊस पहुंच रहे थे, लेकिन कलेक्टर के वाहन जाने के बाद भूखे ग्रामीण पुलिस अधीक्षक के वाहन के सामने आ गये, एसपी अवधेश कुमार गोस्वामी ने इस मामले में सूझबूझ दिखाई और वाहन से उतरकर ग्रामीणों की समस्याएं सुनी, लगभग आधे घंटे तक सड़क पूरी तरह जाम रही और कप्तान अकेले ग्रामीणों को समझाते रहे, जिसके बाद एसडीएम नरेन्द्र सिंह धुर्वे मौके पर पहुंचे और वाहनों में डीजल भराने के आदेश दिये। दोनों अधिकारियों के जाने के बाद सोहागपुर थाना प्रभारी, डीएसपी अखिलेश तिवारी व अन्य कप्तान के अकेले फंसे होने की खबर पाकर दौड़े-दौड़े यहां पहुंचे, लेकिन तब तक मामला कप्तान ने शांत कर दिया था।
इनका कहना है…
हमने बसों में डीजल की व्यवस्था करा दी है, उसके बाद कोई समस्या नहीं है।
नरेन्द्र सिंह धुर्वे
एसडीएम सोहागपुर
भोजन का कोई इशु नहीं था, जो लोग सामने आये थे, दरअसल उन्हें जिन बसों में जाना था, कम्यूनिकेशन गैप के कारण वो लगभग 8-10 बसे 175 बसों से अलग हो गई थी और सही व्यक्ति से न मिल पाने के कारण आधे घंटे परेशानी हुई, बाद में सब ठीक हो गया।
श्रीमती वंदना वैद्य
कलेक्टर, शहडोल