जागा प्रबंधन तो, मशीन लगाकर उठवाया बायो मेडिकल वेस्ट

खुद को बचाने के फेर में, रचा अज्ञात ने लगाई आग का स्वांग
शहडोल। कुशाभाऊ ठाकरे अस्पताल किसी न किसी कारण बीते 6 माहों से चर्चाओं में बना ही रहता है, भले ही सिविल सर्जन या अन्य स्टॉफ की जान बूझकर की गई लापरवाही न भी हो, लेकिन न सिर्फ तथाकथित सुर्खियों का केन्द्र बिन्दु बन जाते हैं, बीते दिनों प्रबंधन और अधीनस्थ कर्मचारियों की लापरवाही के कारण कई सप्ताहों से बायो मेडिकल वेस्ट भवन के पिछले हिस्से में खुले में फेंकने का मामला समाचार पत्रों की सुर्खी बना, प्रबंधन कलेक्टर व पीसीबी के हस्ताक्षेप के बाद जागा तो जरूर, लेकिन खुद को पाक-साफ साबित करने के फेर में रचे गये स्वांग में फिर जिम्मेदार उलझते नजर आये। बहरहाल सिविल सर्जन के द्वारा करवाई गई सफाई के फोटो ग्राफ से यह बात तो साफ हो गई कि हरिभूमि की खबर ने हमेशा की तरह एक बार फिर खबरों की सच्चाई और प्रमाणिकता से सोये हुए प्रबंधन को नींद से तो जगा ही दिया।
यह था मामला
जिला चिकित्सालय के विभिन्न वार्डाे से प्रतिदिन निकलने वाला बायो मेडिकल वेस्ट जिसका निदान राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के दिशा-निर्देशों के अनुरूप न कर रूपयों के जुगाड़ में जिम्मेदारों ने परिसर के अंदर खाली जगह पर फेकवा दिया था, सिरिंज, ब्लड के पाउच, पट्टियां, उपचार के दौरान निकले मेडिकल वेस्ट आदि से होने वाले नुकसान की खबर जब प्रशासन तक पहुंची तो, चोरी छुपे उसमे आग लगा दी गई, निदान करने की जगह आग लगाने के मामले ने और तूल पकड़ा तो, अंतत: बचने के रास्ते ढूंढे जाने लगे।
यह लगाया आरोप
बायो मेडिकल वेस्ट के उठाव के लिए वर्षाे से बनी व्यवस्था में पहले वार्ड से सफाई कर्मचारी उसे उठाकर निर्धारित कक्ष में अलग-अलग डब्बों में रखते हैं, जिसके बाद इटौर की तथाकथित कंपनी के कारिंदे उसे यहां से उठाकर बाहर ले जाते और निर्धारित मापदण्डों के अनुरूप उसका निदान करते, लेकिन जब यह सब न करके, उसे खुले में फेंका गया और आग लगा दी गई, जिसके बाद बचने के फेर में यह बताया गया कि कोई महिला अस्पताल के उस कक्ष में रोज चोरी-छुपे घुसती है और मेडिकल वेस्ट बाहर लाकर फेंक देती है, जिसे फिर कोई अज्ञात व्यक्ति आकर आग लगा देता है। सफाई कर्मियों और गार्डाे की लंबी चौड़ी फौज के बाद अस्पताल में चोरी वह भी कचरे की, खुद में हस्यास्पद सा नजर आता है, बहरहाल खण्डनवीरों की स्क्रिप्ट जब आम हुई तो, वे भी खास से आम नजर आने लगे।
अंतत: पहुंची टीम, हुई सफाई
कलेक्टर श्रीमती वंदना वैद्य और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी संजीव मेहरा द्वारा इस मामले में जिला चिकित्सालय को तत्काल समस्या के निदान के लिए मौखिक और लिखित नोटिस दिये गये थे, जिसके बाद बुधवार को सोशल मीडिया में सिविल सर्जन डॉ. जी.एस. परिहार ने खुद इटौर की तथाकथित फर्म के द्वारा उक्त स्थल से पूरी तरह बायो मेडिकल वेस्ट सफा करवाने के बाद के फोटो और वीडियो शेयर किये, लेकिन सिविल सर्जन ने खुद व अधीनस्थ कर्मचारियों की मनमानी को छुपाने के लिए एक वीडियो भी शेयर किया, जिसमें सफाईकर्मी के द्वारा एक छोटे से कोने में रखे कचरे में लगी आग के लिए किसी व्यक्ति को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। सर्वविदित है कि जिस वृहद क्षेत्र में फैले बायो मेडिकल वेस्ट में बीते दिनों आग लगी थी, उस मामले का पटाक्षेप कम से कम तथाकथित कृत्रिम वीडियो से नहीं किया जा सकता।