नौरोजाबाद स्थित झोलाछाप बंगाली के क्लीनिक में सीएचएमओ ने की कार्यवाही

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अखिरकार कब बंद होगी ये झोलाछाप की फर्जी क्लीनिक
कई अंग्रेजी दवाईयां किया जप्त होगी नोटिस जारी- सीएचएमओ
(संदीप तिवारी)
 नौरोजाबाद। पांच नंबर कॉलोनी में झोलाछाप  डॉक्टर समीर अधिकारी के क्लीनिक में सीएचएमओ डॉ आर.के.मेहरा के द्वारा अपनी टीम के साथ छापामार की बड़ी कार्यवाही की गई है इस कार्यवाही पर समीर अधिकारी की क्लीनिक से कई अंग्रेजी दवाई भी बरामद किया गया है जिसे सीएचएमओ ने जप्त किया है और साथ में नोटिस भी दिया जाने को कहा गया है सीएचएमओ आरके मेहरा के दौरान बताया गया कि हमारे द्वारा लगातार ऐसे फर्जी क्लीनिक और डॉक्टरों के ऊपर कार्यवाही की जा रही है धीरे-धीरे पूरे जिले में ऐसे फर्जी चल रहे क्लीनिक और चला रहे डॉक्टरों के ऊपर कार्यवाही के साथ-साथ क्लीनिक को बंद किया जाएगा अभी यह शुरुआत किया गया है अब देखना यह है कि सीएचएमओ डॉक्टर आर.के.मेहरा के द्वारा जो नौरोजाबाद पांच नंबर कॉलोनी में झोलाछाप डॉक्टर बंगाली के क्लीनिक में अंग्रेजी दवाइयों मिल है उस पर क्या कार्यवाही की जाती है साथ-साथ नोटिस मैं क्या कारवाही किया जाता है और क्या इनकी फर्जी क्लीनिक पूर्ण रूप से बंद की जाती है कि नहीं आखिर कब तक ऐसे झोलाछाप डॉक्टरों की दुकान हमेशा के लिए बंद होगी कई वर्षों से इनके द्वारा फर्जी तरीके से इलाज करके भोली भाली जनता को इलाज के नाम से लूट के कई लाखों रुपए की संपत्ति जुड़े हुए हैं आखिर  इसमें कब तक उचित कार्रवाई होगी अब देखना यही है सीएचएमओ डॉक्टर आर.के.मेहरा के द्वारा क्या कार्यवाही की जाती है
पूर्व में कई बार हो चुकी है एस.के.अधिकारी की क्लीनिक सील
नौरोजाबाद में एस.के.अधिकारी बंगाली की क्लीनिक में कई बार छापे मार कार्यवाही हों चुकी है साथ-साथ भारी मात्रा में अंग्रेजी दवाई भी बरामद की जा चुकी है और साथ साथ उनकी दुकान को भी सील करने की भी कार्यवाही कि गई है प्रशासनिक विभाग के साथ-साथ स्वास्थ्य विभाग में भी कई कार्यवाही इनके क्लीनिक में कर चुकी है  लेकिन कुछ दिनों के बाद सांठगांठ करके इनकी क्लीनिक खोल दी जाती है फिर यह अपने मन मुताबिक क्लीनिक चलाने लगते हैं आखिर किसके सह में यह क्लीनिक कई जवानों से संचालित हो रही है आम जनों की सुविधा बता कर और कम पैसे का लेता है का पहाड़ा पढ़कर लोगों की जान के साथ छुट्टा खिलवाड़ किया जा रहा है और जिम्मेदार इससे पल्ला झाड़ते हुए नजर आ रहे हैं
सोच समझ के करवाए इलाज झोलाछाप के ना रहने पर नौकर चलाते हैं क्लीनिक
सोच समझ के करवाए इलाज जा सकती है आपकी जान सुनकर आप सुनकर हैरान हो जाएंगे जब झोलाछाप एस.के अधिकारी बंगाली अपने गांव बंगाल चले जाते हैं या कहीं बाहर चले जाते है तो उनकी क्लीनिक और कोई नहीं उनके क्लीनिक में उपस्थित नौकर ही चलाते हैं या फिर बगल वाले मेडिकल स्टोर संचालकों के द्वारा मिलकर करते हैं इलाज और महंगी दवाई खुद लिख कर खूब पैसा लूटने का काम करते हैं और जब बीमारी समझ में नहीं आता है तो फोन में झोलाछाप डॉक्टर से सलाह लेकर और दवाई और गोली नौकर के द्वारा दिया जाता है आखिर इतने बड़ी लापरवाही जिम्मेदारों को नहीं दिख रहा है क्या, क्यो कुछ पैसों के चाहे पर लोगों की जनों को जोखिम में डाला जा रहा है जब एक झोलाछाप 10 से 15 दिन के लिए अपने क्लीनिक में उपस्थित नहीं रहता तो उसकी क्लीनिक कौन चलाता है नौकर चलाता है उसके बाद भी क्लीनिक में ताला नहीं लगता है बराबर क्लीनिक में इलाज होता है और नौकरों के द्वारा सुई लगते है और दवाई भी देते हैं आखिर जिम्मेदारों द्वारा क्यो इस पर कार्यवाही नही कि जाती हैं ऐसे नही है कि इलाज करने पर मरीज की हालत नहीं बिगड़ती हालत तो छोड़िए मरीज मरने तक की नौबत में आ जाता है ऐसी स्थिति में डॉक्टर के द्वारा बड़ी हॉस्पिटल में भेज दिया जाता है जहां पर उसका इलाज होता है और वह सही हो जाता है सूत्रों की माने तो अभी कुछ दिन पूर्व यही नौकरों के द्वारा इलाज के दौरान एक मरीज की हालत खराब हो गई थी इन्हीं नौकरों के इलाज के चलते तभी डॉक्टर बंगाली के द्वारा उस मरीज को श्री राम हॉस्पिटल शहडोल भेजा गया और उसका इलाज का पूरा खर्चा इसी फर्जी डॉक्टर के द्वारा उठाया गया था श्री राम हॉस्पिटल से अच्छी सांठगांठ है यह फर्जी अधिकारी का कई लोगों को वहां भेजता है जब इसके हाथ से केस बिगाड़ जाता है तो और मरीज़ कि कंडीशन खराब हो जाती हैं तो मरीजों को श्री राम हॉस्पिटल भेजा जाता है जहा से इनको मोटी रकम कमाया जाता है
आठवीं फेल भी बने आरएमपी
मजे की बात तो यह है कि कुछ ऐसे ही झोलाछाप है जो आठवीं 10वीं या 12वीं फेल है फिर भी यह झोलाछाप डॉक्टर अपने नाम के आगे आरएमपी लिखते हैं मुख्यालय में बैठे अधिकारियों की सांठगांठ के चलते बेखौफ फर्जी  दुकाने चल रही है ऐसे में लोग को खुद ही सावधान रहना होगा कल्पना की जा सकती है कि जब इंसान की सहज ऐसे नहीं हकीमो के सेहत ऐसे नीम हकीमो के हाथों में हो तो उसका क्या हाल होगा यह झोलाछाप डॉक्टर अनाधिकृत रूप से बिना किसी मान्य डिग्री के ग्रामीण अंचलों में अपनी डिस्पेंसरी या क्लीनिक चला रहे हैं जब कोई केस बिगड़ जाता है तो उसे उन्हीं झोलाछाप डॉक्टरों के द्वारा शहर के किसी निजी अस्पताल में छोड़ आते हैं जहां उन्हें मोटी कमीशन मिलती है
मेडिकल स्टोर संचालकों कब बल्ले बल्ले इन्हीं के हिसाब से लिखता है डॉक्टर पर्ची
क्षेत्रीय लोगों के द्वारा बताया गया है कि कई वर्षों से संचालित है अवैध क्लीनिक पर गंभीर से गंभीर बीमारियों का इलाज झोलाछाप डॉक्टर के द्वारा किया जाता है और मामला बिगड़ जाने पर शहर के बड़े डॉक्टर के यहां कमीशन पर भेज दिया जाता है इस मामले पर नाम ना बताने के साथ पर कई लोगों ने बताया कि अधिकारी के क्लीनिक और उसके अगल-बगल में संचालित होने वाली पैथोलॉजी लैब और मेडिकल स्टोर से  सांठगांठ करके मोटी रकम कमाई जाती है साथ ही फर्जी डॉक्टर अधिकारी द्वारा चिन्हित दवाइयों का पर्चा लिखा जाता जो केवल बगल वाले मेडिकल स्टोर में ही मिलता है और उसके बदले फर्जी डॉक्टर को मेडिकल द्वारा मोटी कमीशन भी दिया जाता है उसी तरह फर्जी पैथोलॉजी लैब में बिना पैथोलॉजी डॉक्टर के बैठे हुए पैथोलॉजी संचालक द्वारा मनमानी रकम लेते हुए सैंपल लिया जाता है आदिवासी आदिवासी  इलाके में डॉक्टरों की कमी का लाभ उठाते हुए सुनियोजित तरीके से मिलीभगत करके लाभ का धंधा बना रखे हैं जिसमें जिम्मेदार नजरअंदाज करते हुए मोटी रकम ले रहे हैं
तो बंद कर दे शहडोल जैसे मेडिकल कॉलेज
जब झोलाछाप चिकित्सक बंगाल के जादू इतना चल रहा है तो मेडिकल जैसे हॉस्पिटल में ताला लटका देना चाहिए जब आम लोगों की कई बड़ी से छोटी बीमारियों इसका इलाज यह बंगाल से आए बंगाली कर सकते है और ठीक कर सकते है तो जो बड़े-बड़े हॉस्पिटलों में और सरकारी डॉक्टर नहीं कर पाते ऐसे इलाज यह झोलाछाप डॉक्टर करते रहते हैं तो सरकारी डॉक्टरों की क्या जरूरत लाखों रुपए खर्च करके और पेमेंट देकर सरकार उन्हें बैठा कर रखी है जब या झोलाछाप ही सब कुछ कर लेंगे तो सरकारी हॉस्पिटल डॉक्टरों की क्या जरूरत जब यह फर्जी डॉक्टर के द्वारा इलाज करते हुए मामला बिगड़ जाता है तो यह झोलाछाप बंगाली बड़ी हॉस्पिटल की तरफ मरीजों का रुख मोड़ देते हैं अगर ऐसे झोलाछाप डॉक्टर आम लोगों का इलाज कर सकते हैं तो देश और प्रदेश में स्थित शहडोल जैसे शासकीय चिकित्सा महाविद्यालयों को शायद बंद करने का समय आ गया है शासन को इस ओर ध्यान देना चाहिए कि जब बंगाल के जादू से आम लोगों का इलाज किया जा सकता है तो अरबों रुपये खर्च कर भवन बनवाने और उस पर हर महीने करोड़ों रुपए खर्च करने की आवश्यकता ही क्या है शहडोल मेडिकल कॉलेज सहित पूरे देश के चिकित्सा महाविद्यालयों में अध्ययन कर रहे छात्रों को भी इस मामले से सबक लेना चाहिए और एमबीबीएस की डिग्री मैं पैसे बर्बाद ना कर ऐसे झोलाछाप समीर अधिकारी की तरह बंगाल का जादू सीखकर कहीं पर क्लीनिक खोलकर संचारित कर लेना चाहिए।

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