कोरोना की मंदी ने बिगाड़ा बाजार, धनतेरस से बंधी उम्मीदे 

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शहडोल। चार दिन बाद दीवाली के रंगों में रंग जाने वाले बाजार अभी बेरौनक हैं। मिट्टी के लक्ष्मी-गणेश बेचने वाले अपने ठिए जमाने की तैयारी में लगे हैं तथा खेल-बताशे बेचने वाले हलवाई आस लगाए दिन रात काम कर रहे हैं। सूखे मेवे बेचने वाले व उपहार बेचने वाले भी अभी समय नजदीक आने का इंतजार कर रहे हैं। ग्राहकों के रुख का अभी तक अंदाजा दुकानदार नहीं लगा पा रहे हैं। विराट नगरी का बाजार किसानों पर आधारित है। किसान अभी खेतों में लगा हुआ है। उधर, बकाया भुगतान की बाट भी जोह रहा है। हर वस्तु पर इस बार महंगाई की मार दिखाई दे रही है। दुकानदार यह भी मान रहे हैं कि दीपावली की दुकानदारी समय पर ही शुरु होगी। किसान अभी व्यस्त है तथा समय पर ही बाजार में निकलेगा।
रेट जानकर हैरान हो जाते हैं ग्राहक
गांधी चौक, बस स्टैण्ड में सजावटी सामान बेचने वालों ने कहा कि वे सीजन और फेस्टिवल के हिसाब से बिजनेस करते हैं। इस बार बंदनवार, मोमबत्ती, चाइनीज कैंडल, शुभ दीपावली बैनर, फ्लोटिंग कैंडल, सेंटेड कैंडल, लक्ष्मीजी के चरण, दीवारों और छतों की लटकन, फैंसी पर्दे आदि बेच रहे हैं। दीपावली से महीनेभर पहले काम शुरू कर देते हैं। होलसेल और रिटेल दोनों सेक्टर में बिजनेस करते हैं। इस बार काम थोड़ा कमजोर लग रहा है। पिछले साल कोरोना का डर था, मार्केट में सिर्फ खरीदार आ रहे थे। इस बार कोविड-19 का खौफ निकल गया है। बाजार में भीड़ तो है, मगर उस हिसाब से सेल नहीं हैं। ऊपर से महंगाई ने कमर तोड़ दी है। लोगों के पास पैसों की कमी है। मार्केट में आने वाले ग्राहक रेट सुनकर हैरानी जता रहे हैं। जो मोमबत्ती 50 रुपये में 50 पीस बेचते थे। आज उसका रेट 70 रुपये में 30 पीस हो गया है। कस्टमर कैसे खरीद पाएगा? 4 पैकेट की जरूरत है, तो 2 ही पैकेट खरीद रहे हैं। हर आइटम पर 30 से 40 प्रतिशत का रेट बढ़ गया है।
इस बार डेकोरेशन में नया आइटम नहीं
संभागीय मुख्यालय सहित बुढ़ार व ब्यौहारी बाजार में इस समय दिवाली पर होल सेल के व्यापारी भी काफी निरास हैं, काम लगभग खत्म हो गया है। बीते वर्ष कोरोना की वजह से लॉकडाउन लगा रहा। लेबर अपने घरों की ओर चली गई, पिछले वर्षों में जो डिजाइन और आइटम बिकते थे, वही मार्केट में आए हैं। दूसरा महंगाई ने भी हालात खराब कर रखे हैं। अब लोग दीपावली पर अपने घरों को सजाएंगे या पेट पालेंगे। पहले एक परिवार घर सजाने के लिए जहां 1000 रुपये का माल ले जाता था, अब वह 200 से 300 रुपये का ही माल ले जा रहा है। बाकी, पिछले साल घर में बचा सामान लगा लेगा। प्लास्टिक दाने का रेट काफी ऊंचाई पर चला गया है, सजावटी सामान में प्लास्टिक का अहम रोल है।
ऑनलाईन खरीदी से बेरौनक हुआ खुदरा मार्केट 
आधुनिकता के इस दौर में व्यापार के बदलते आनलाइन शापिंग के ट्रेंड ने बाजार की चाल बिगाड़ दी है। पहले मेट्रो शहरों, फिर महानगरों और अब ग्रामीण इलाकों में आनलाइन शापिंग का क्रेज बढ़ गया है। ग्राहकों का उधर झुकाव बढऩे से खुदरा दुकानदारों की कमर टूट रही है। लाखों रुपये की पूंजी लगाकर भी दुकानदार ग्राहकों के इंतजार में बैठे रहते हैं। दुकान का किराया व स्टाफ का खर्च निकाल पाना मुश्किल हो गया है। आनलाइन मार्केट में दिए जा रहे विभिन्न प्रकार के आफर से उपभोक्ता प्रभावित हो रहे हैं। उपभोक्ताओं के मन में एक धारणा सी बैठ गई है कि बाजार में मिलने वाले सामान की अपेक्षा आनलाइन मिलने वाले सामान का मूल्य कम है। 50 से 70 प्रतिशत तक छूट मिलने से ग्राहक फटाफट आनलाइन खरीददारी कर रहे हैं।

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