हरीशचंद्र की जनपद में भ्रष्टाचार की फर्म

जनपद में बैठ बाबू, रिश्तेदारों के बिल लगवा रहा पंचायतों में
जांच से खुल सकते हैं पंचायत में लगे फर्जी बिलों के राज
शहडोल। गांवों के सर्वांगीण विकास के लिए पंचायती राज का गठन किया गया था, जिससे समस्या को गांव के लोगों ने आपस में मिलकर सुलझा सके और गांवो की छोटी-मोटी समस्या को पंचायत के सरपंच-सचिव, ग्रामवासी मिलकर दूर कर सके। इसके लिए ग्राम पंचायत में मूलभूत चौदहवें, पंद्रहवें वित्त व पंचायत को टैक्स वसूली की योजनाओं से पंचायत के खाते में राशि आती है, जिसे पंचायत की आवश्यकता अनुसार खर्च किया जाता है, लेकिन जयसिंहनगर जनपद की ग्राम पंचायत जमुनिहा में योजना का पैसा विकास के बजाए अन्य मदों में सांठ-गांठ कर रिश्तेदारों के माध्यम से पंचायत के बिल लगाये जा रहे हैं, लेकिन जनपद में बैठे जिम्मेदार पूरे मामले में अनभिज्ञ बने हुए हैं।
रिश्तेदारों के नाम पर लग रहे बिल
नवंबर 2015 से पहले पंच-परमेश्वर एवं मनरेगा योजना के तहत ग्राम पंचायत क्षेत्र में किए जाने वाले निर्माण कार्य का भुगतान सरपंच-सचिव चैक के माध्यम से सप्लायर फर्म को किया करते थे, सरपंच-सचिव ने इस प्रावधान का लाभ उठाते हुए अपने पुत्र, पुत्री व अन्य संबंधियों के नाम फर्में बनाकर सरकारी भुगतान हड़पना शुरू कर दिया, लेकिन यह मामला संज्ञान में आते ही राज्य शासन ने प्रावधान में बदलाव कर दिया। जिसके तहत जनपद में बैठे कर्मचारी, सरपंच-सचिव एवं रोजगार सहायक के रिश्तेदार व पुत्र, पुत्री के नाम की सप्लायर फर्म को मनरेगा व पंचपरमेश्वर योजना के तहत भुगतान नहीं हो सकता है। इस पर लगाम करने के लिए लिए राज्य शासन ने प्रदेश के प्रत्येक जनपद सीईओ को निर्देश भी जारी किए, लेकिन जयसिंहनगर क्षेत्र में शासन के नियमों को ताक पर रखकर सरपंच-सचिव व रोजगार सहायकों के परिजन के नाम सप्लायर फर्म को शासन की योजनाओं का भुगतान किया गया है।
इसलिए बनाई जा रही फर्में
संबंधी के नाम फर्म बनाने से जनपद के लिपिक, सरपंच-सचिव उपयंत्री से सांठ-गांठ कर मनरेगा एवं पंच-परमेश्वर के तहत कराए गए निर्माण कार्य में हुई सप्लाई का न केवल भुगतान करा लेते हैं, बल्कि जरूरत के मुताबिक सामग्री भी क्रय नहीं करते। संबंधियों द्वारा फर्जी बिल तैयार कराकर शासन को चूना लगाया जा रहा है। ऐसा ही मामला जयसिंहनगर जनपद की ग्राम पंचायत जमुनिहा में सामने आया है, सूत्रों की माने तो जहां चतुर्वेदी ट्रेडर्स नामक फर्म के संचालक आशीष चतुर्वेदी द्वारा अपने चाचा बेनीमाधव चतुर्वेदी एवं एक अन्य चाचा के सचिव होने का फायदा उठाते हुए कई ग्रामों पंचायतों में बिल लगाये गये और राशि खाते में ली गई, ऐसा नहीं है कि इसकी जानकारी जनपद में बैठे जिम्मेदारों को नहीं है, लेकिन आज तक किसी प्रकार की कार्यवाही न होने से जिम्मेदार कठघरे में नजर आ रहे हैं। पूरे मामले में अगर निष्पक्ष जांच की जाये तो, जनपद में पदस्थ सहायक ग्रेड-3 बेनीमाधव चतुर्वेदी सहित कई सचिव नपते नजर आयेंगे।
सप्लायर को अब इस तरह किया जाएगा भुगतान
नए प्रावधानों के तहत मनरेगा योजना के तहत फर्म का भुगतान तब किया जाएगा, जब सप्लाई के बाद निर्माण कार्य पूरा हो जाता है। भुगतान से पहले सरपंच-सचिव व उपयंत्री को निर्माण कार्य वेरीफिकेशन कर जनपद के नरेगा सेक्शन में देना होता है। इसके बाद सप्लायर फर्म के खाते में राशि पहुंच जाती है। पंच-परमेश्वर योजना के तहत फर्म का भुगतान सामग्री सप्लाई के बाद निर्माण पूरा होने पर होता है, लेकिन इससे पहले निर्धारित फार्म पर जानकारी देनी होती है। इसके बाद बैंक के माध्यम से आरटीजीएस (राइट टाइम ग्रोस सेटलमेंट) सिस्टम के जरिए सप्लायर फर्म के एकाउंट में पहुंच जाता है।
इनका कहना है…
अगर जमुनिहा पंचायत में गलत तरीके से बिल लगाये गये हैं, तो सचिव के खिलाफ सख्त कार्यवाही की जायेगी।
हरीशचंद्र द्विवेदी
मुख्य कार्यपालन अधिकारी
जनपद पंचायत जयसिंहनगर