खतरनाक बीमारी को पनपा रही है क्रेशर …

0

मानक के विपरित क्रेशर चलाने से पर्यावरण को खतरा

खनिज विभाग ने मूंद रखी हैं आंख, संभागायुक्त से कार्यवाही की दरकार 

(संतोष टंडन)
शहडोल। जिले में सोहागपुर जनपद की ग्राम पंचायत खोह के ग्राम सोनहा में खसरा नंबर 175/1-175/2, रकवा 3.036 हेक्टयर राजेश खेडिया को क्रेशर एवं पत्थर खदान आवंटित की गई है, संचालक द्वारा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के नियम कायदों को ताक पर रखकर काले पत्थर का कारोबार करने का मामला सामने आया है। जिसमें नियमानुसार परिसर में वृक्षारोपण तो कराना दूर अब तक इन्होंने धूल उडऩे से रोकने के लिए न तो मशीनों की स्क्रीन पर एमएस सीट लगाई है और न ही वाटर स्प्रिंकलर, ऐसे में रोजाना बड़ी तादात में क्रेशर से निकलने वाली धूल हवा में घुलकर मजदूरों सहित गांव में रहने वाले लोगों की सेहत को खतरा बन रही है।
पर्यावरण मापदण्डों की भी अनदेखी 
पर्यावरण मापदंडों के मुताबिक क्रेशर मालिक को पत्थर तोड़ते समय पानी का छिड़काव करना आवश्यक है साथ ही क्रेशर मशीन स्थापित क्षेत्र के आस-पास फलदार वृक्ष लगाने का प्रावधान है। बावजूद इसके सोनहा क्षेत्र में विंध्य मिनरल्स बगैर पानी के छिड़काव के चल रहा हैं और मानक के मुताबिक पेड़ पौधे भी नहीं लगाए गए हैं, जानकारों की माने तो उक्त क्रेशर को नियमों को ताक पर रखकर क्रेशर संचालन की अनुमति दी गई है।
यह भी कहते हैं कायदे 
वायु प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण अधिनियम 1981 के संदर्भ में केन्द्रीय प्रदूषण बोर्ड दिल्ली द्वारा जारी गाइड लाइन के अनुसार क्रेशर मशीन की स्क्रीन को एमएस शीट से ढककर उसमें संक्शन पाइप द्वारा धूल बाहर निकालकर अन्य चैम्बर में एकत्रित कर जल छिड़काव करना होता है। वहीं जीरो गिट्टी के अंतिम ड्रॉपिंग बिंदु पर टेलिस्कोविक शूट स्थापित करना होता है। इसके अलावा परिसर में वृक्षारोपण करना और परिसर में धूल जमा न हो इसलिए लगातार सफाई तथा डम्प को तारपोलीन से ढककर रखना जरूरी है। इतना ही नहीं क्रेशर संचालकों को नियमानुसार मजदूरों की सुरक्षा के लिए उन्हें मास्क उपलब्ध करना अनिवार्य है।
रात में होती है ब्लास्ंिटग 
क्रेशर के संचालन के लिए सरकारी प्रावधानों के अनुसार जो नियम बनाए गए हैं, उनमें से सोनहा में केवल कुछ का ही पालन हो रहा होगा, बाकी प्रावधान केवल कागजों तक ही सीमित हैं। क्रेशर से उडऩे वाली डस्ट लोगों को बीमार बना रही है, वहीं उपजाऊ जमीन बंजर भी कर रही है। रही-सही कसर क्रेशर से गिट्टी व डस्ट लादकर अंधी रफ्तार से दौडऩे वाले ट्रेक्टरों व डंपरों ने पूरी कर दी है। चर्चा है कि सोनहा पत्थर खदान में रात में ब्लास्ंिटग की जाती है, जिससे आस-पास के ग्रामीणों के घरों में भय का माहौल व्याप्त हो जाता है।
ये हैं क्रेशर संचालन के नियम
सोनहा में संचालित क्रेशर संचालक शासन नियमों का पालन नहीं कर रहा है। नियमानुसार डस्ट को बाहर जाने से रोकने के लिए डस्ट अरेस्टर होना चाहिए। जहां पर क्रेशर संचालित है उस क्षेत्र के तीन ओर बड़ी दीवार होना चाहिए। पर्यावरण सुरक्षा की दृष्टि से सघन पौधरोपण क्षेत्र में होना अनिवार्य है। नियम के तहत स्टोन क्रेशर में सुबह और शाम सिंचाई होना अनिवार्य है, जिससे डस्ट न उड़े। क्रेशर के पास घनी आबादी न हो इसके साथ ही नदी के किनारे क्रेशर संचालित करने की अनुमति नहीं है, मजे की बात तो यह है कि उक्त क्रेशर सिर्फ नदी के पास संचालित नहीं हो रहा है, बाकी नियमों की माने तो खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही है।
ब्लास्टिंग का समय निर्धारित नही
जानकारी के अनुसार पत्थर खदान संचालकों को खदानों में ब्लास्टिंग किया जाना होता है तो, उसका एक निर्धारित समय रहता है। ब्लास्टिंग के समय की जानकारी पंचायतों को दी जानी होती है, साथ ही मुनादी भी कराई जाती है। उसी निर्धारित समय पर खदानों में ब्लास्टिंग किया जाना चाहिए, लेकिन उक्त खदान संचालक द्वारा बगैर किसी के जानकारी के ही रात में पत्थर तोडऩे के लिए ब्लास्ंिटग करा दी जाती है, जिससे ग्रामीणों में दहशत व्याप्त है।
इनका कहना है…
मामला आपके द्वारा संज्ञान में लाया गया है, जल्द ही जांच की जायेगी, अगर नियम विरूद्ध कुछ हुआ है तो, कार्यवाही की जायेगी।
संजीव मेहरा
क्षेत्रीय अधिकारी
मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, शहडोल

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may have missed