हवा में ऑपरेशन शंखनाद , 5 माह से अधिक को तरसे मृतक के परिजन @ सूदखोरों के मैनेजमेंट के सामने सब फेल
मामला भालूमाड़ा थाना अंतर्गत जमुना निवासी कॉलरी कर्मचारी का
29 जून की दोपहर सुनील कोरी नामक व्यक्ति ने सूदखोरों से तंग आकर आत्महत्या कर ली थी, नये कप्तान के आने के बाद पड़ोसी जिले के तर्ज पर सूदखोरों के खिलाफ अभियान चला, लेकिन यह मामला या तो जांच में नहीं आया या फिर खादी के संरक्षण पर किनारे कर दिया गया, कारण जो भी हो, लेकिन मृतक के परिजन आज भी न्याय को तरस रहे हैं।
अनूपपुर। जिले के भालूमाड़ा थाना अंतर्गत जमुना कॉलरी कालोनी में रहने वाले सुनील कोरी उम्र 51 वर्ष पिता पूरन सिंह ने हरद रेलवे स्टेशन के समीप फांसी के फंदे पर झूलकर आत्महत्या कर ली, 29 जून की दोपहर 12 बजे आस-पास हुई इस घटना की जांच तत्कालीन पुलिस अधिकारियों ने शुरू तो की, लेकिन तब भी और बाद में भी यह जांच बेनतीजा ही रही। मृतक जमुना-कोतमा एरिया की आमाडांड माईंस में डम्फर ऑपरेटर के पद पर पदस्थ था, वह अपने पीछे पत्नी के अलावा 3 बच्चियां और एक 14 वर्षीय बालक को छोडक़र गया है, मौत के अगले दिन से लेकर बीते दिनों तक मृतक के परिजनों ने पुलिस अधिकारियों से लेकर जनप्रतिनिधियों और इसी क्षेत्र में रहने वाले प्रदेश सरकार के कैबिनेट मंत्री से न्याय की गुहार लगाई, लेकिन पूरा मामला सिफर ही रहा।
टूट रही कप्तान की भी आस
अनूपपुर में नये कप्तान के आने के बाद उनके द्वारा जिस तर्ज पर कोयलांचल में सूदखोरों के खिलाफ अभियान चलाया गया था, जनप्रतिनिधियों की सिफारिशों को दरकिनार कर, हुई कार्यवाहियों ने इस मामले में न्याय की आस जगा दी थी, लेकिन अर्सा बीतने के बाद भी न्याय न मिलना समझ से परे है। इधर सूबे के मुखिया के द्वारा एक बार फिर भ्रष्टाचार व माफिया मुक्त प्रदेश की घोषणा के बाद पेशो जैसे नये कानून के तहत भी कार्यवाही की आस जगी है, लेकिन इस मामले में कोई भी सुगबुगाहट न होने के कारण आस टूटती नजर आ रही है।
क्या है 15 लाख के लोन का मामला
मृतक की पत्नी और बच्चों ने घटना के बाद स्थानीय थाने के प्रभारी और जांच अधिकारियों को मृतक के खाते में उसके जीवित रहने के दौरान लिए गये 15 लाख के लोन की जानकारी दी, यह भी बात सामने आई कि लोन की राशि न तो मृतक घर लाया था और न ही कहीं इतनी बड़ी राशि कहीं खर्च की गई थी। बैंक से जुड़े सूत्रों ने मृतक के परिजनों को यह भी बताया कि यह राशि उमेश नामक किसी भाजपा नेता व कालरी कर्मचारी और उसकी पत्नी के खाते में मृतक के खाते से हस्तांतरित हुई थी, जिस भाजपा नेता का नाम इस मामले में उछला था, वह इस क्षेत्र का नामी-गिरामी सूदखोर हैं, उसके खाते में राशि हस्तांतरित हुई या नहीं, यह तो पुलिस जांच ही स्पष्ट कर सकती है, घटना से पहले मृतक और तथाकथित सूदखोर बनाम नेता के बीच क्या लेन-देन था, यह भी जांच का मामला है।
पुलिस मैनेजमेंट या राजनैतिक दबाव
29 जून को जब यह घटना कारित हुई थी, उस समय भालूमाड़ा में एसआई हरिशंकर शुक्ला प्रभारी थाना प्रभारी थे, वर्तमान में श्री शुक्ला उमरिया जिले में है, भालूमाड़ा से पहले फुनगा और चचाई थाने में पदस्थापना के दौरान उन पर क्या-क्या आरोप लगे थे, उनकी कार्यशैली क्या थी, यह भी किसी से छुपा नहीं है, इस मामले में भी प्रभारी और मातहतों के मैनेजमेंट होने के बाद मामले पर पर्दा डालने की चर्चाएं थी, यह बात भी सामने आई थी कि भाजपा नेता के रसूख और उसके राजनैतिक आकाओं के चलते ही बाद में भी यह मामला पूरी तरह से जांच में न आकर दबा दिया गया।
(पार्ट…01)