जल प्रदूषण की रोकथाम के लिये ओपीएम ने लगाया भारत का पहला कलर रिमूवल प्लांट

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अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त संस्था ईफ्फा इंन्फ्रा एंड रिसर्च के द्वारा बनाया गया

संयंत्र

पीसीबी और ओपीएम की पहल से हमेशा के लिये सुरक्षित हुई सोन नदी

शहडोल। जिले में वर्ष 1965 से स्थापित ओरियंट पेपर मिल के द्वारा 4.50 करोड़ रूपए की लागत से कलर रिमूवल प्लांट की स्थापना की गई है। इस कलर रिमूवल प्लांट का निर्माण कार्य 2020 में शुरू हुआ था एवं मई 2021 में पूर्ण हो गया है। यह उद्योग पूर्णता एकीकृत पल्प-एवं पेपर विनिर्माण इकाई है कंपनी द्वारा विभिन्न प्रकार के लेखन एवं मुद्रण तथा टिशू पेपर का उत्पादन किया जाता है उद्योग की कुल इकाई की कीमत लगभग 1478 करोड़ आंकी गई है, एवं उद्योग की उत्पादन क्षमता 100000 टन प्रति वर्ष पेपर उत्पादन की है, इसमें 55000 टन प्रतिवर्ष टिशू पेपर बनाए जाते हैं, तथा 45000 टन प्रतिवर्ष लेखन एवं मुद्रण पेपर का निर्माण किया जाता है। औद्योगिक प्रक्रिया से 1 टन पेपर निर्माण में लगभग 50 घन मीटर पानी का उपयोग होता है एवं इससे लगभग 40 घन मीटर प्रति टन दूषित जल उत्पादन होता है। यह कलर रिमूवल प्लांट के लग जाने से सोन नदी के पानी में कलर से होने वाले नुकसान को स्थाई रूप से रोका जा सकता है। हालांकि सोन नदी में ओरियंट पेपर मिल के प्रदूषित जल को 2014 में प्रदूषण विभाग के द्वारा रोक लगा दी गई थी। लेकिन काले व भूरे रंग के डस्ट फ्लाई एस की समस्या और उनके कलर से पर्यावरण को होने वाले नुक़सान से रोकने के लिए बोर्ड के मुख्यालय भोपाल के द्वारा मैसर्स ओरियंट पेपर मिल को इस संबंध में बंद करने के लिए जल प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण अधिनियम 1974 की धारा 33 (अ)लीगल नोटिस जारी किया गया था एवं उद्योग की 3600000 की बैंक गारंटी भी जप्त की गई थी। इसके उपरांत उद्योग द्वारा पर्यावरण संरक्षण के लिए सकारात्मक पहल कर उक्त कार्य संपन्न किया गया है। इस कलर रिमूवल प्लांट की स्थापना से क्षेत्र के पर्यावरण प्रेमियों में काफी हर्ष व्याप्त है।
2020 में हुई थी शुरूआत
ओरियंट पेपर मिल के द्वारा 4.50 करोड़ रुपए की लागत से कलर रिमूवल प्लांट निर्माण कार्य सितंबर 2020 में शुरू हुआ था एवं मई 2021 में पूर्ण हो गया इसके उपरांत इसका ट्रायल रन लेकर हाल ही में जुलाई में प्रारंभ किया गया था। ओरियंट पेपर मिल के प्रबंधन ने जल्द से जल्द इस निर्माण कार्य को पूरा करके पर्यावरण को कलर से होने वाले नुकसान से स्थाई समाधान प्रदान भी कर दिया है। यह कंपनी भारतवर्ष के किसी भी 20 उद्योगों में पहला उद्योग होगा जिसने कलर रिमूवल की व्यवस्था की है।
जल से हटेंगे कार्बनिक पदार्थ
कलर रिमूवल प्लांट मुंबई की अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त संस्था ईफ्फा इंन्फ्रा एंड रिसर्च प्राइवेट लिमिटेड के द्वारा निर्मित किया गया है उद्योग द्वारा लगभग 20 एमएलडी पानी का उपयोग उद्योग प्रक्रिया में किया जाता है। इसमें से नि:स्त्राव की अधिकांश भाग का उपयोग तैयारी करके फैलाना तथा उसे डिस्पोज के कलेक्शन सेंटर में कार्य होता है। पेपर मिल के नि:स्त्राव में कलर होने के कारण लैग्निन एवं क्रोमोफोरिक के डेरिवेटिव होते हैं ब्लीचिंग की प्रक्रिया में क्रोमोफोरिक एवं लैग्निन इनके डेरिवेटिव के कारण औद्योगिक नि:स्त्राव में रंग उपस्थित होता है प्रदूषित जल में रंग के कारक जटिल कार्बनिक पदार्थों को हटाने के लिए नान फेरिक एलम और फ्लाई एस का जमाव एवं उसके उपचार प्रक्रिया में इस्तेमाल किया जाता है।
फ्लाईएस का दोबारा हो सकेगा उपयोग
ओरियंट पेपर मिल के द्वारा 55 मेगावाट विद्युत मेगावाट विद्युत उत्पादन क्षमता का कैप्टिव पावर प्लांट स्वयं की विद्युत आवश्यकता की पूर्ति हेतु संचालित किया जा रहा है। इस उद्योग से उत्पन्न होने वाले फ्लाय एस का रंग भंजक के रूप में इस्तेमाल किया जाता है कलर रिमूवल प्लांट में लगभग 8 इकाई निर्माण करते हुए रिमूवल प्लांट की स्थापना लगभग 4.50 करोड़ रुपये की लागत से बनाया गया है ओरियंट पेपर मिल के थर्मल पावर प्लांट से प्रतिदिन 285 मैट्रिक टन फ्लाई एस उत्पन्न होती है जिस का पुन: उपयोग के रूप में इस कलर रिमूवल प्लांट में किया जाता है इससे फ्लाई एस के डिस्पोजल की समस्या का भी समाधान होगा और फ्लाई एस को दोबारा उपयोग करते हुए कलर रिमूवल प्लांट में उपयोग किया जा सकता है। वेस्ट प्रबंधन के पुन: उपयोग पर आधारित इस कलर रिमूवल प्लांट द्वारा कांप्लेक्स ऑर्गेनिक मैटेरियल को हटाने के लिए नान फेरिक एलम और फ्लाई एस का उपयोग किया जाता है कलर रिमूवल के लिए इस प्रोसेस का उपयोग करने की वजह यह है कि उद्योग के पास पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है।
450 किमी कोबाल्ट स्केल
कलर रिमूवल प्लांट लगभग 108 एमएलडी दूषित जल के उपचार की क्षमता पर आधारित है एवं यह 24 घंटे कार्यरत रहता है इसका डिजाइन फ्लोर 450 किलोमीटर प्रति घंटा है कलर की इकाई प्लैटिनम कोबाल्ट स्केल है तथा यह कलर रिमूवल प्लांट कलर को 300 की मानक क्षमता से कम करते हुए 50 से भी कम मानक पर ले जाता है इस कलर रिमूवल प्लांट की स्थापना से सोन नदी के पानी में प्रदूषण की समस्या का हमेशा के लिए स्थाई रूप से समाधान हो गया है।
भारतवर्ष का पहला उद्योग
प्रदूषण की समस्या को निजात दिलाने में मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव अच्युतानंद मिश्रा की पहल एवं प्रयास से यह कार्य सुनिश्चित हो पाया है यह अत्यंत ही गर्व की बात भी है कि पूरे भारतवर्ष में 20 से अधिक पेपर एवं पल्प उद्योग कार्यरत हैं लेकिन यह पहला उद्योग है जिसके द्वारा औद्योगिक नि:स्त्राव के रंग दूर करने हेतु उपचार संयंत्र लगाया गया है, बोर्ड मुख्यालय भोपाल के द्वारा मैसर्स ओरियंट पेपर मिल को इस संबंध में क्यों ना कंपनी को बंद करने हेतु जल प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण अधिनियम 1974 की धारा 33(अ) लीगल नोटिस जारी किया गया था। उद्योग की 3600000 की बैंक गारंटी भी जप्त की गई थी इसके उपरांत उद्योग द्वारा पर्यावरण संरक्षण के लिए सकारात्मक पहल करते हुए उक्त कार्य को संपन्न किया गया है इस कलर रिमूवल प्लांट की स्थापना से पर्यावरण पर कलर से होने वाले नुकसान को बचाने के लिए स्थाई समाधान निकाला गया है इस कार्य के लिए निश्चित रूप से प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अच्युतानंद मिश्रा की पहल सराहनीय है।
इनकी रही उपस्थिति
कलर रिमूवल प्लांट के शुभारंभ अवसर पर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी संजीव मेहरा एवं ओरियंट पेपर मिल के वाइस प्रसिडेंट (एचआर/आईआर) अलोक श्रीवास्तव, सीनियर मैंनेजर वीरेन्द्र द्विवेदी, पर्यावरण क्षेत्र से डीजीएम, पॉवर प्लांट के जीएम एच.एम.गुप्ता, आर.के.पटेल, डीजीएम सिविल सी.पी.शर्मा, इलेक्ट्रॉनिक एंड इलेक्ट्रॉनिक्स जीएम, इलेक्ट्रिक्लस एजीएम रंजीत सिंह, सिक्यूरिटी मैंनेजर रवि शर्मा सहित अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।

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