मेडिकल कॉलेज में प्राइवेट एम्बुलेंस का डेरा

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प्रबंधन की कार्यशैली के ढोल की पोल खोलते निजी एम्बुलेंस संचालक

(शुभम तिवारी/अनिल तिवारी)

शहडोल। संभाग में मेडिकल कॉलेज संचालित होने के बाद जिला चिकित्सालय में मरीजों की आवक कम हो गई है, अनूपपुर, उमरिया सहित छत्तीसगढ़ के बार्डर लगे क्षेत्रों से पेसेंट इस समय मेडिकल कॉलेज शहडोल रेफर हो रहे हैं, लोगों को स्वास्थ्य लाभ जिला चिकित्सालय से ज्यादा बेहतर मेडिकल कॉलेज में मिल रहा है, लेकिन अभी भी मेडिकल कॉलेज में सुविधाओं व संसाधन के आभाव में कुछ बीमारी या दुर्घटनाओं होने पर मरीजों को जबलपुर या बिलासपुर रेफर कर दिया जाता है, खबर है कि मेडिकल कॉलेज में संभवत: एक ही एम्बुलेंस है, जिसका लाभ किसी एक मरीज को एक समय में मिल पाता है, जिसका फायदा इन दिनों निजी एम्बुलेंस संचालक उठा रहे हैं।
मेडिकल कॉलेज में निजी एम्बुलेंस का डेरा
मेडिकल कॉलेज संचालित न होने के पहले जिला चिकित्सालय में निजी एम्बुलेंसों का डेरा लगा रहता था, चर्चा है कि राकेश नामक तथाकथित जिला चिकित्सालय के कर्मचारी के संरक्षण में निजी एम्बुलेंसों का डेरा इन दिनों मेडिकल कॉलेज में रहता है, चिकित्सक मरीजों की स्थिति को देखकर उन्हें शहडोल से रेफर कर देते हैं, निजी एम्बुलेंस संचालकों का पूर्व से ही प्राइवेट अस्पताल में कमीशन लेकर मरीजों को पहुंचाने की सेटिंग है, जिससे कमीशन के फेर में यहां से रेफर हुए मरीजों को निजी चिकित्सालय पहुंचा दिया जा रहा है।
लुट रहे मरीज
प्राइवेट अस्पताल में मरीज पहुंचने के बाद चालक को जो राशि प्रदान की जाती है, उसका कमीशन राकेश नामक व्यक्ति को दी जाती है, यदि चालक उक्त राशि नहीं देता है तो उसके साथ वाद-विवाद हो जाता हैं और उसके बाद से एंबुलेंस चालक को मरीज नहीं देते हैं। मेडिकल कॉलेज से मरीजों को कितना लाभ हुआ यह किसी से छुपा नहीं है, लेकिन अगर मरीज शहडोल मेडिकल कॉलेज से रेफर हुआ तो, मरीज पूरी तरह से लुट जाता है। इस समय मेडिकल कॉलेज से रेफर होने वाले मरीजों के लिए एम्बुलेंस संचालकों ने मेडिकल कॉलेज परिसर के अंदर ही एम्बुलेंस की दुकान सजा ली है।
…परिसर के अंदर किसकी अनुमति
मेडिकल कॉलेज प्रबंधन द्वारा अपनी कार्यशैली के ढोल पीटने में कोई कसर नहीं छोड़ता है, इन दिनों मेडिकल कॉलेज परिसर में निजी एम्बुलेंसो का डेरा लगा हुआ है, ऐसा नहीं है कि इसकी जानकारी यहां पदस्थ जिम्मेदारों को नहीं है, प्रतिदिन उसी गेट से जिम्मेदारों का आना-जाना होता है और मेडिकल कॉलेज की चहू ओर निगरानी के लिए सीसीटीवी कैमरे भी प्रबंधन ने लगा रखे है, गार्डाे की तैनाती भी भारी तादात में की गई है, बावजूद इसके निजी एम्बुलेंस संचालक परिसर के अंदर वाहन खड़ा कर रहे है, संभवत: जिम्मेदारों को भी कहीं कुछ अंश तो नहीं पहुंच रहा, आखिर किसकी शह पर मेडिकल कॉलेज परिसर के अंदर निजी एम्बुलेंस संचालक पूर्व में जिला चिकित्सालय की भांति एम्बुलेंस को परिसर के अंदर खड़ा कर रहे हैं।

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