…नकली तेल मे रमेश का नहीं कोई सानी!

तो क्या रमेश तेल मिल बाजार में परोस रहा बीमारी ?
(Anil Tiwari+7000362359)
शहडोल। व्यापारी असली सरसों के तेल की तरह से ही एक दम पीले और चमकीले रंग का यह मिलावटी तेल बाकायदा ब्रांड्रेड कंपनी की बोतल और डब्बों में रैपर लगाकर उपलब्ध करा रहे है। तेल माफिया सरसों के तेल में मिलावट करके जहां लाखों में खेल रहे हैं, वहीं जनता की जेब पर डाका और स्वास्थ्य से सरेआम खिलवाड़ किया रहा है। अफसरों की हीलाहवाली के चलते माफियाओं के हौंसले बुलंद हैं। नकली तेल का यह खेल मुरैना-सतना के व्यापारियों के संरक्षण मे चल रहा हैं। नगर में इस समय खाद्य तेल का काला कारोबार जोरो से हो रहा है।
खतरनाक कैमिकल का उपयोग
नगर से लेकर गांव-देहात में सरसों के तेल में राइसब्रान तेल मिलाकर सरसों के दामों पर बेचा जा रहा है। शुद्ध सरसों के तेल से आधी कीमत पर ही पॉमआयल व राइस ब्रान (चावल के छिलके से तैयार तेल) मिलाकर कई गुना अधिक तक कमाई की जा रही है। शुद्ध सरसों के पीले रंग के लिए खतरनाक केमिकल का प्रयोग कर माफिया जनता के स्वास्थ्य से खिलवाड़ कर रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि जिले में रमेश तेल मिल के संचालक रमेश जगवानी द्वारा गुपचुप तरीके से भारी मात्रा में पॉम ऑयल व राइसब्रान तेल बाहर से मंगाया जा रहा है। इसकी जानकारी स्थानीय खाद्य अधिकारियों को है, लेकिन कार्रवाई नहीं की जा रही है।
एक टीन पर 600 तक का मुनाफा
मार्केट में असली सरसों का तेल 140 से 145 रुपए लीटर तक बिक रहा है। सरसों के तेल में मिलावट के बाद इसे बाजार में असली तेलों के भाव में ही बेचा जा रहा है। बाकायदा ब्रांडेड कंपनियों के रैपर लगाकर टीन व बोतल धड़ल्ले से बिक रही है। मिलावट खोर प्रति टीन पर 600 रुपए तक का मुनाफा कमा रहे हैं। प्रतिदिन 500 से अधिक टीन की बिक्री होती है। स्थानीय लोगों ने जिला प्रशासन से मांग की है कि रमेश तेल पर छापा मार कार्यवाही करते हुए शुद्धता की जांच अपने निगरानी में कराई जाये।
डोरी के तेल से ब्रांडेड तेल
तात्कालीन एसडीएम लोकेश जांगीड़ के अनुसार रमेश तेल में डोरी के तेल से ब्रांडेड सरसों का तेल तैयार किया जा रहा था, दो अलग-अलग तरह से तेल पैक किया जा रहा था, एक लोकल तेल में मिलावट की जा रही थी तो, वहीं दूसरी ओर कई ब्रांडेड तेल की पैकिंग को खोलकर पुराना खराब और डोरी का तेल मिलावट किया जा रहा था, अलग-अलग तरह के तेल पैक होने के बाद बड़ी दुकानों में बिक्री के लिए सप्लाई कर दिया जाता था, लेकिन उक्त मामले में एसडीएम के जाने के बाद पूरे मामले को संभवत: तिलक लगाकर निपटा दिया गया, अगर एक फिर मुखिया इस मील द्वारा सप्लाई की जा रही तेल की जांच की जाये तो, पूरे मामले का खुलासा हो सकता है।