रमेश सिंह बने प्रत्याशी, कांग्रेस के दो गुटो में मायूसी

रमेश सिंह बने प्रत्याशी, कांग्रेस के दो गुटो में मायूसी
…तो क्या गुटबाजी का एक बार फिर मिलेगा बिसाहूलाल को फायदा
कांग्रेस पदाधिकारी विश्वनाथ को मनायेंगे या फिर राजीव को समझायेंगे
नवरात्रि के पहले दिन कांग्रेस पार्टी ने प्रत्याशियों की सूची जारी करते हुए अनूपपुर विधानसभा से जिला कांगे्रस कमेटी के अध्यक्ष रमेश सिंह को उम्मीदवार चुन लिया है, सूची आते ही दो गुटो में बंटी कांग्रेसियों में मायूसी देखी गई। समय रहते कांग्रेस आलाकमान ने अगर गुटबाजी समाप्त नही की तो इसका फायदा भाजपा प्रत्याशी बिसाहूलाल को उपचुनाव की तरह इस चुनाव में मिल सकता है।
अनूपपुर। मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव को लेकर सरगर्मी तेज है, कांग्रेस ने 144 प्रत्याशियों की सूची जारी कर दी है, अनूपपुर व पुष्पराजगढ विधानसभा में भी प्रत्याशियों की घोषणा हो चुकी है। रमेश सिंह तथा फुंदेलाल सिंह मार्को का नाम लिस्ट में शामिल है। जहां रमेश ङ्क्षसह कुछ वर्ष पूर्व एसडीएम पद से इस्तीफा देने के बाद कांग्रेस पार्टी में शामिल हुए है वही फुंदेलाल सिंह मार्को दो बार के पुष्पराजगढ विधानसभा से विधायक है। कोतमा विधानसभा से कांग्रेस के सुनील सराफ विधायक रहे, लेकिन अभी तक लिस्ट में नाम न होने से पेच फसा हुआ है, उनकी छवि को लेकर आलाकमान के सामने चुनौति बना हुआ है, जब तक प्रत्याशी सूची में नाम नही आ जाता तब तक संशय बना हुआ है।
विश्वनाथ और राजीव नाराज
जमीनी कार्यकर्ता पूर्व सरपंच, पूर्व जनपद सदस्य व पूर्व विधानसभा उपचुनाव प्रत्याशी विश्वनाथ ङ्क्षसह मजबूती के साथ उभरे हुए थे, इस बार उनकी मेहनत व लगन को देखकर उनका टिकट तय माना जाता था, लेकिन टिकट न मिलने के बाद उनके कार्यकर्ता मायूस हो गये और बगावत के तेवर साफ दिखाई दिया। वही जनपद अध्यक्ष व युवा प्रत्याशी के दौड में शामिल राजीव ङ्क्षसह तो सोशल मीडिया के माध्यम से अपनी नाराजगी दिखाते रहे। अब आलाकमान इनके किस तरह समझायेंगी यह तो समय ही बतायेगा।
भाजपा को मिल सकता है फायदा
कांग्रेस के कद्दावर नेता रहे बिसाहूलाल ङ्क्षसह को आज भी विकास पुरूष के नाम से जाना जाता है। लेकिन उनके भाजपा में शामिल होने तथा खाद्य मंत्री बनने के बाद उनका कद और बढ गया था, एक बार पुन: भाजपा ने अनूपपुर से प्रत्याशी घोषित कर दिया है, उपचुनाव के दौरान कांग्रेस से विश्वनाथ तथा भाजपा से बिसाहूलाल सिंह सामने थे, जहां लगभग 35 हजार वोटो से जीत हासिल की थी। अगर इसी तरह कांग्रेस की गुटबाजी रही तो एक बार फिर भाजपा को फायदा मिल सकता है।
नही कर पाये गुटबाजी को समाप्त
एसडीएम पद से इस्तीफा देकर कांग्रेस में शामिल हुए रमेश ङ्क्षसह का कद और नाम तो ऊंचा हुआ है, इसकी बदौलत उनकी पत्नी श्रीमती प्रीति ङ्क्षसह को जिला पंचायत अध्यक्ष बनाया गया तथा रमेश ङ्क्षसह को जिला कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष का दायित्व दिया गया। इसके बावजूद भी कांग्रेस पार्टी की गुटबाजी समाप्त नही कर सके, अब प्रत्याशी बनने के बाद कैसे गुटबाजी समाप्त करेंगे उनके लिए बडी चुनौती दिखाई दे रही है।
रमेश के सामने भी है चुनौती
सत्ता परिवर्तन के बाद कांग्रेस का एक मात्र चेहरा विश्वनाथ ङ्क्षसह को उपचुनाव का प्रत्याशी बनाया गया था, लेकिन कांग्रेस का कद्दावर नेता बिसाहूलाल सिंह के भाजपा से प्रत्याशी होने का नतीजा यह रहा कि कांग्रेस को हार का सामना करना पडा था, एक बार पुन: विश्वनाथ ने जब अपनी तैयारी पूर्ण कर ली तो पार्टी ने प्रत्याशी ही नही बनाया, चेहरा बदलते हुए रमेश ङ्क्षसह को पार्टी ने प्रत्याशी घोषित कर दिया, लेकिन रमेश के सामने विश्वनाथ की तरह की गुटबाजी और अंत:कलह का सामना करना पड सकता है।