कनिष्ठ, दंत चिकित्सक के सिविल सर्जन बनने के खिलाफ चिकित्सकों का इस्तीफा

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शहडोल। शनिवार को जिला चिकित्सालय में पदस्थ लगभग चिकित्सकों ने शासन द्वारा नियुक्त किये गये सिविल सर्जन डॉ. जी. एस. परिहार की नियुक्ति को लेकर सवाल खड़े कर दिये, लामबंद होकर चिकित्सकों ने स्वास्थ्य मंत्री को अपना इस्तीफा देने के साथ ही खुद को स्वास्थ्य सेवाओं से किनारे करने की बात कहीं। जिसके बाद संभागायुक्त नरेश पाल और कलेक्टर डॉ. सतेन्द्र सिंह जिला चिकित्सालय पहुंचे, उन्होंने इस संदर्भ में चिकित्सकों को समझाईश दी और कहा कि वरिष्ठ कार्यालय के निर्देशों का पालन करें, आपस में सामंजस्य बनाये, जिससे जिला चिकित्सालय की व्यवस्था सुचारू रूप से चल सके।
यह हैं चिकित्सकों का आरोप
स्वास्थ्य मंत्री सहित प्रदेश के प्रमुख सचिव को भेजे गये पत्र में जिला चिकित्सालय के समस्त चिकित्सकों ने यह उल्लेख किया कि 400 बिस्तरों के अस्पताल में जी.एस. परिहार जो दंत चिकित्सक हैं, उन्हें यहां का प्रमुख बनाया गया है, जो उचित प्रतीत नहीं होता। पत्र में यह भी उल्लेख किया गया कि सिविल सर्जन का पद नियमानुसार वरिष्ठ विशेषज्ञ का होता है, जिला चिकित्सालय में डॉ. परिहार से वरिष्ठ महिला चिकित्सक डॉ. सुधा नामदेव और डॉ. डी.के. सिंह, डॉ. विक्रम बारिया के अलावा अभी पदस्थ हैं, जिन्हें उक्त पद दिया जा सकता था। यह भी बात सामने आई कि डॉ. परिहार न तो विशेषज्ञ है और न ही पीजी धारक हैं। नियमत: एमबीबीएस धारक को ही यह पद दिया जाना चाहिए। ऐसी परिस्थितियों में समस्त चिकित्सक खुद को असहज महसूस कर रहे हैं। जिस कारण उन्होंने सामूहिक रूप से स्वास्थ्य मंत्री को त्याग पत्र प्रेषित किया।
राजनीति का अड्डा बना जिला चिकित्सालय
जिला चिकित्सालय जैसा स्थान जहां रोजाना सैकड़ों की संख्या में मरीज दूसरा जीवन पाने की उम्मीद से यहां पहुंचते हैं। जहां चिकित्सकों को धरती के भगवान की संज्ञा दी जाती हो, वहां कुर्सी के लिए पर्दे के पीछे से चल रही राजनीति, मानव सेवा के इस मंदिर को राजनीति और कारोबार का अड्डा बनाती जा रही है। बहरहाल स्थानीय प्रशासन व सरकार को कम से कम इस पेशे को तो, राजनीति से बाहर रखना चाहिए।

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