पत्रकारिता की आड़/RTI से दुकानदारी,आखिर क्या है महिला से 6 लाख की ब्लैकमेलिंग की दास्तां #वॉयरल ऑडियो

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भोपाल। सूचना का अधिकार अधिनियम 2005, इस अधिनियम की जब परिकल्पना की गई थी और जब भारत सरकार ने इस अधिनियम को लागू किया उसे समय अधिनियम को लागू करने के पीछे की सोच पारदर्शिता सहित, लोगों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करना और उनके अधिकारों को उन्हें मुहैया कराना जैसे तमाम कारण रहे। बीते दो दशकों के दौरान सूचना का अधिकार अधिनियम को दूसरे तरीके से भी उपयोग किए जाने लगा, यह स्थिति आज के दौर में पत्रकारिता की भी देखने को मिल रही है, केंद्र सरकार के अस्पष्ट रवैये के कारण पत्रकारिता का ग्राफ कोरोना काल से नीचे गिरा तो फिर लगातार रुपए की तरह इसे भी कहीं ठौर नहीं मिल रहा है।
सोशल मीडिया ने चौथा स्तंभ कहे जाने वाले पत्रकारिता को और गर्त में ले जाने का काम किया, पहले इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और प्रिंट मीडिया चौथे स्तंभ के आधारभूत माने जाते थे, लेकिन सोशल मीडिया ने इन दोनों ही संसाधनों को काफी पीछे छोड़ दिया है और हालत यह है कि पत्रकारिता भी अब मिशन नहीं बल्कि पेट भरने का जरिया बन चुकी है।


बहरहाल सोशल मीडिया में वायरल एक ऑडियो इन दिनों काफी चर्चाएं बटोर रहा है, इस ऑडियो में सूचना के अधिकार से एकत्रित की गई किसी महिला अधिकारी जो मध्य प्रदेश के सिंगरौली जिले में बड़े पद पर कार्यरत है, उसकी जानकारी एकत्र की जाती है और फिर उस महिला से कार्यवाही का भय दिखा कर ₹600000 की अवैध वसूली की चर्चा हो रही है यह ऑडियो सोशल मीडिया में कैसे वायरल हो गया यह तो खबर नहीं लेकिन इस ऑडियो से इस बात की पुष्टि जरूर होती है कि वर्तमान में आरटीआई और पत्रकारिता की आड़ लेकर जो कुछ भी हो रहा है वह ठीक नहीं है ऑडियो को ध्यान से सुनने में इस बात की भी पुष्टि होती है कि एक गिरोह है जो यही भोपाल से संचालित है जिसमें बड़े-बड़े अधिकारी शामिल है पहले वह खुद अपने दलाल नुमा लोगों को जानकारी मौखिक तौर पर उपलब्ध कराते हैं फिर उसमें सूचना का अधिकार लगाकर जानकारी को आधिकारिक तौर पर पुष्ट किया जाता है बाद में शिकायत और अन्य संसाधनों का उपयोग करके संबंधित कर्मचारियों अधिकारियों पर दबाव डालकर अवैध वसूली की जाती है ऑडियो इस बात की भी पुष्टि खुद करता है कि ऐसा एक या दो बार नहीं बल्कि एक संगठित गिरोह संचालित कर इस तरह का काम बात और सिंडिकेट के माध्यम से किया जा रहा है जिसमें हर दिन नए ग्राहक की तलाश होती है और फिर सूचना का अधिकार के तहत जानकारी एकत्र करना फिर शिकायत और फिर पत्रकारिता की धौंस और अंत में अधिकारियों का गठजोड़ निचले स्तर पर जिले में बैठे, ब्लॉक में बैठे अधिकारी और कर्मचारियों को कार्यवाही कब है दिखाकर उन्हें निचोड़ जाता है।

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