श्रीमद् भागवत कोई पुस्तक नहीं अपितु साक्षात भगवान श्रीकृष्ण का स्वरूप है:- आचार्यश्री भागवत कथा छठे दिवस श्रीकृष्ण रुक्मणी विवाह व सातवें दिन सुदामा चरित्र, शिशुपाल वध कथा हुई

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श्रीमद् भागवत कोई पुस्तक नहीं अपितु साक्षात भगवान श्रीकृष्ण का स्वरूप है:- आचार्यश्री
भागवत कथा छठे दिवस श्रीकृष्ण रुक्मणी विवाह व सातवें दिन सुदामा चरित्र, शिशुपाल वध कथा हुई

कटनी।। श्रीराम जानकी हनुमान वार्ड में संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा महापुराण सप्ताह ज्ञान यज्ञ के छठे दिवस कथा वाचक परम श्रद्धेय आचार्य डॉ राधिका प्रसाद मिश्र, पूर्व अध्यक्ष संस्कृत विभाग एवं डीन, रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय जबलपुर ने भागवत कथा के सातवें दिन आचार्य श्री ने श्रीकृष्ण सुदामा मिलन कथा, शिशुपाल वध कथा के साथ ही बताया कि श्रीकृष्ण ने भालू(जामवंत) की बेटी जामवंती के साथ विवाह रचाया। भगवान श्रीकृष्ण के 16 हजार 108 विवाह हुए। सभी रानियों के 10-10 पुत्र व एक एक पुत्रियां हुईं। भगवान अपने पूरे परिवार के साथ रहते थे। भगवान ने अपने परिवार को समझाया कि कभी भी आप अपने रूप, अपने धन व अपनी प्रतिष्ठा का अभिमान न करते हुए संतों का सम्मान करना चाहिए।‌ लेकिन बाद में भगवान के पुत्रों ने संतों का अपमान किया, उनका मजाक उड़ाया संतों के श्राप के बाद भगवान के बच्चों ने मदिरा पान करने लगे और धीरे-धीरे भगवान का परिवार समाप्त हो गया। भगवान अपनी लीला करके अपने धाम चले गए और श्रीमद् भागवत में समाहित हो गये। आचार्य श्री ने बताया कि श्रीमद् भागवत कोई पुस्तक नहीं अपितु साक्षात भगवान श्रीकृष्ण का स्वरूप है। कथा आयोजन में वेद, नवग्रह, चौंसठ योगिनी, क्षेत्रपाल, नगर शांति पाठ आदि में राहुल मिश्रा (भेड़ा) भोले चौबे (पहाड़ी), पं. आनंद उपाध्याय का विशेष सहयोग मिला। भगवात कथा सम्पूर्ण पश्चात हवन पूजन उपरांत कन्या भोज व भंडारा आयोजित किया गया। यजमान शशि-श्यामजी उपाध्याय व डॉ संजय उपाध्याय ने सभी कथा प्रेमियों व वार्ड वासियों के प्रति आभार व्यक्त किया है।

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