…तो क्या महिला अध्यक्ष को नहीं है महिलाओं की चिंता

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नपा क्षेत्र में महिला पेशाब घर का आभाव

पुरूष पेशाब घरों में गंदगी का अंबार, चल रहा है स्वच्छ सर्वेक्षण 2021

शहडोल। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के दिन भी नगर पालिका परिषद को यह दिखाई नहीं दिया कि संभागीय एवं जिला मुख्यालय में महिलाओं के लिए पेशाब घरों की सुविधा उपलब्ध कराई जाये। महिला पेशाब घरों के आभाव में चौपाटी, सब्जी मण्डी, बुढ़ार चौक, गांधी चौक, जैन मंदिर, शेर चौराहा, सूरज मार्केट एर्व सर्वाेदय मार्के ट आने वाली महिलाओं को परेशानी होती है। शहर दिनों दिन बढ़ रहा है, परन्तु सुविधा के नाम पर कुछ नहीं है।

बजट में भी प्रावधान नहीं

नगर पालिका परिषद की अध्यक्ष स्वयं महिला है, परन्तु महिला होते हुए भी वे महिलाओं की परेशानी को समझने की कोशिश नहीं कर रही है, दो दिन पहले नगर पालिका का बजट प्रस्तुत किया गया है, किन्तु महिला पेशाब घरों के इंतजाम के लिए नगर पालिका के जिम्मेदार अध्यक्ष एवं मुख्य नगर पालिका अधिकारी ने कोई प्रावधान नहीं किया।

पुरूष पेशाब घरों में गंदगी

नगर पालिका के सामने रेस्ट हाउस के समीप, सब्जी मंडी तथा एमएलबी स्कूल के सामने स्थित पेशाब घरों सहित अन्य नपा के जिम्मेदारों को जहां लगता है कि हमने यहां पेशाब घर रखवाया है, उसकी हालत व व्याप्त गंदगी देख ले, उनकी कार्य कुशलता और सर्वेक्षण में आने वाले अंक वहीं नजर आने लगेंगे। नियमित साफ-सफाई के आभाव में इन पेशाब घरों में भरी गंदगी व दुर्गन्ध व्याप्त है। सवाल उठता है कि नगर पालिका द्वारा पूरे शहर में सैकड़ों बड़े-बड़े होर्डिग्स लगाकर स्वच्छ सर्वेक्षण 2021 का प्रचार-प्रसार किया गया है, साथ ही स्वच्छ सर्वेक्षण की दिल्ली से टीम आकर सर्वेक्षण कर रही है, फिर भी शहर के पेशाब घरों की सफाई नहीं हो रही है।

कागजों में कंटेनर की संख्या

नगर पालिका के कागजों में पेशाब घर कंटेनरों की संख्या तो बहुत है, किन्तु जमीन पर बहुत कम दिखाई देते हैं, इसी तरह चलने-फिरने वाले मोबाइल कंटेनर के कहीं कोई दर्शन नहीं होते, सफाई निरीक्षक मोती लाल सिंह का कहना है कि 65 पेशाब घर कंटेनरों के प्रस्ताव शासन को भेजा गया है, किन्तु सवाल उठता है कि नगर पालिका परिषद का कार्यकाल तीन वर्ष बीत गया है, तब कंटेनरों के प्रस्ताव शासन को भेजे जा रहे हैं, इससे पहले यह प्रस्ताव क्यों नहीं भेजे गए।

जगह-जगह कचरे के ढेर

शहर के अंदर जगह-जगह लगे कचरे के ढेर एवं गंदगी को देखकर ऐसा प्रतीत नहीं होता कि नगर पालिका के जिम्मेदार स्वच्छ सर्वेक्षण 2021 के लिए तैयार हैं। कचरा संग्रहण करने वाली गाडिय़ा भी लापरवाही के साथ कचरा संग्रहण करने निकलती हैं। घर-घर के सामने रूककर या दुकानों के सामने रूककर कचरा संग्रहण करना चाहिए, किन्तु गाना बजाते हुए ये गाडिय़ा भ्रमण तो करती है, परन्तु कहीं रूकती नहीं, जिसके कारण यदि घर यादुकान के अंदर से कोई कचरा गाडिय़ों में डालना चाहे तो नहीं डाल पाता है।
बीमारी से भी ग्रस्ति होती है महिलाएं
शहर में किसी काम के लिए आने वाली महिलाएं जिन्हें शौचालय की सुविधा नहीं मिलती वे उसके अभाव और साफ-सफाई की खराब व्यवस्था के कारण यूटीआई से पीडि़त होती हैं। शहर और मुख्यालय के बाहर से आईं महिलाएं गन्दे सार्वजनिक शौचालयों के कारण इस समस्या से ग्रस्त हो रही हैं, लेकिन नगर पालिका में महिला अध्यक्ष होने के बावजूद चुनाव जीतने के बाद आज तक महिलाओं का दर्द शायद समझ नहीं पा रही है या समझना ही नहीं चाहती।

इनका कहना है…

नये गांधी चौक से परमठ तक एवं रघुराज स्कूल से इंदिरा चौक तक न तो महिला पेशाब घर है और न ही पुरूष पेशाब घर, चौपाटी में भी कोई इंतजाम नहीं है। सबसे ज्यादा मार्केटिंग महिलाएं करती है, इसलिए महिलाओं के लिए यह सुविधा सबसे ज्यादा जरूरी है, नगर पालिका के बजट में भी कोई प्रावधान नहीं किया गया है। शहर में जो पुरूष पेशाब घर बने हैं, वहां व्यापक गंदगी व्याप्त है, जिसके कारण लोग सुविधा का लाभ नहीं ले पाते।
कुलदीप निगम
उपाध्यक्ष
नगर पालिका शहडोल
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मैं महिला हँू और महिलाओं को दर्द समझती हूं, लेकिन नपा के पास बाजार सहित जहां शौचालय या पेशाब घर बनवाना है, वहां नपा की भूमि नहीं है, कोई अपनी दुकान के सामने निर्माण होने नहीं देता, इसलिए समस्या खड़ी है।
श्रीमती उर्मिला कटारे
अध्यक्ष
नगर पालिका, शहडोल

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