गांधीवादी पहुँचे गुजरात की जमीन पर, सेवाग्राम साबरमती संदेश यात्रा का चौथा दिन
शहडोल। सेवाग्राम से साबरमती संदेश यात्रा का आयोजन गांधी शांति प्रतिष्ठान, गांधी स्मारक निधि, सर्व सेवा संघ, राष्ट्रीय युवा संगठन, सेवाग्राम आश्रम व अन्य संस्थाओं द्वारा 17 अक्टूबर सेवाग्राम से यात्रा निकाली गई जो चौथे दिन गुजरात की जमीन व्यार में पहुँची, जो 23 तारीख को शाम अहमदाबाद पहुंचेगी और 24 तारीख को सभा व प्रार्थना का आयोजन कर के सरकार को सद्बुद्धि के लिए सेवाग्राम आश्रम में प्रार्थना करेंगे। यह संदेश यात्रा सरकार द्वारा महात्मा गांधी के साबरमती आश्रम में विस्टा प्रोजेक्ट में 1200 करोड़ खर्च करके बनाना चाहती है जिसका वरोध करने गाँधीजन निकले है, इस यात्रा में 10 राज्य के 50 यात्री शामिल है। इस यात्री में शहडोल से राष्ट्रीय युवा संगठन के राष्ट्रीय संयोजक अजमत उल्ला खान, राष्ट्रीय युवा संगठन के संचालन समिति के सदस्य एवं वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता भूपेश भूषण, प्रदेश संयोज न समिति के सदस्य शिवकांत त्रिपाठी भी इस यात्रा में शामिल हुए है।
चौथे दिन यात्रा की शुुरुआत सर्वप्रथम बाबा साहब अम्बेडकर के मूर्ति के माल्यार्पण किया गया, धुले में जहां विनोबा जी को जिस जेल में रखा गया था, उसको देखते हुए गांधी प्रतिमा में पहुँच कर माल्यार्पण कर यात्रा दोंडाईचा पहुची, जहां स्थानीय साथियों ने यात्रा का स्वागत किया व नास्ता कराया, जिसके बाद व्यारा के लिए यात्रा रवाना हुई। नंदूरबार पहुँच कर यात्रा का स्वागत मदर टरेसा कॉलेज में किया गया। स्वागत उपरांत सभा का आयोजन किया, जहां आबिदा ने अपनी बात रखते हुए कहा कि साबरमती आश्रम बापू ने तब बनाया, जब बापू भारत आये और अपने रहने के लिए जगह ढूंढ रहे तब साबरमती आश्रम का निर्माण हुआ, यह आश्रम किसी सरकार का नहीं है वो भारत का हृदय है जहां से हम प्रेरणा लेते है उसे सरकार बदलकर पर्यटर्न स्थल बनाना चाहती है, जो देश के लिए घातक है, उसे हमे बनने नहीँ देना है इसलिए इस गौरभ को हम बचाने निकले है आप भो साथ आइये और हमारे साथ कंधे से कंधे मिलाकर चलना है।
डॉ. बिस्वजीत ने कहा कि गांधी जी ने हमे जैसे आज़ादी दिलाई, गांधी जो अंतिम आदमी के लिए हमेशा आवाज उठा रहे थे, वो उनके कुटिया को पर्यटन स्थल बनाने में सरकार लगी हुई है लेकिन देश अब भुखमरी में जा रहा है, गांधी अगर अभी होते तो यही सोचते कि अब घर सबसे कम में कैसे बनाया जा सके, तो उनकी झोपड़ी को 1200 करोड़ रुपये खर्च कर पर्यटन स्थल बनाना गांधी का काम नहीं है, उन्होंने कहा कि जब यह आश्रम को देखने बचाने की बात हुई तब यह बात हुई के जनता के पैसे से इसका देख रेख होगा और काम चलेगा, तो आज भी हम यही कहते है कि सरकार का पैसा नहीं चाहिए जनता के पैसे से हम इसे देखेंगे और बनाएंगे भी।
जल पुरुष राजेन्द्र सिंह ने कहा कि दुनिया के लोग बापू के आश्रम को वैसे ही देखना चाहते है, तब इस सरकार को इतना पैसा लगा कर आश्रम को बदलने की क्या जरूरत है। सत्ता सत्य से डर रही है इसलिए वो झूठ की दुनिया खड़ा करना चाहती है। कुमार प्रशांत ने कहा कि सरकार सभी जगह नई-नई बिल्डिंग का निर्माण कर रही है लेकिन इस कोरोना में जो लोग सांस की कमी से मरे वो उनकी प्राथमिकता में नही है, अब तो यह भी कहते है कि जो चाहेंगे वो करेंगे तो यह तो लोकतंत्र की बात नही है और यह देश राजतंत्र का नही है, ऐसा ही काम अब वो गांधी के साबरमती आश्रम में करने जा रहे है वहां इतना पैसा लगा रहे है जितना गांधी कभी देखें भी यह मैं नही जानता, इसलिए इतना पैसा लगाने से आश्रम की गरिमा खत्म होगी, इसलिए मैं इस सरकार से कहता हूं आप सरकार में है, इससे हमें दिक्कत नही है पर गलत करेंगे तो हम गाँधीवाले तो कम से कम आपके साथ नही आएंगे यह जान लीजिए। हम उनकी सद्बुद्धि के लिए 24 तारीख को प्रार्थना करेंगे आप सब भी आइये साथ जुडिय़े तो अपने आप भी आप सत्य के सिपाही बन जायेंगे।