…तो जिंप से टूटेगा सरकार के जीरो टॉलरेंस का दावा

पंचायतों के अधिकारों पर डाका, केन्द्रीयकृत
खरीदी की तैयारी
शहडोल। जिला पंचायत के माध्यम से आधा करोड़ से अधिक की रिक्शा खरीदी करने के पंचायतों के अधिकार सीज होने की स्थिति में है, ऑफ रिकार्ड दबाव डालकर एक ही फर्म से खरीदी कराने के आरोप जिंप के जिम्मेदारों पर लग रहे हैं, जिम्मेदार इनका खण्डन भी कर रहे हैं, लेकिन वर्षाे पहले कैमरे से लेकर एलईडी, अन्य कई मामलो में इस तरह एक ही फर्म तीन-तीन कोटेशन लेकर फिर जिंप के इशारे पर घूमती नजर आ रही है। एक तरफ प्रदेश के मुखिया सहित संभाग व कलेक्टर के प्रशासनिक अधिकारी जीरो टॉलरेंस पर चलने की बातें कह चुके हैं, वहीं इस तरह के आरोप कहीं न कहीं शासन की मंशा पर सवाल तो खड़े करते ही हैं।
यह है मामला
समग्र स्वच्छता अभियान के तहत पांच ब्लाकों के 156 ग्राम पंचायतों में कचरा रिक्शा खरीदी का मामला सामने आया है। जानकारों के मुताबिक जैम पोर्टल पर आईडी बनाकर पंचायतों को सीधे रिक्शा खरीदी का अधिकार है। 35 हजार रुपये प्रति रिक्शा के हिसाब से पंचायतों को यह खरीदी करना है, लेकिन कमीशन बाज़ो की नजऱ इसमें भी पड़ गई और कुर्सी का नाज़ायज फायदा उठाकर जिला पंचायत के अफसर इसमें भी खेल खेलने से बाज नहीं आये और महात्मा गांधी का त्रिस्तरीय पंचायती राज का सपना एक ही झटके में अफसरों की डेहरी पर टिक गया।
…तो ऑफ रिकार्ड हो चुकी है खरीदी
जिला पंचायत में जिन-जिन ब्लाकों की ग्राम पंचायतों में कचरा रिक्शा खरीदी की बात सामने आई थी, चर्चा है कि उन-उन पंचायतों के सचिवों को बुलाकर जैम पोर्टल एवं आईडी पासवर्ड बनाकर स्वयं ही जिला पंचायत ने रिक्शे का आर्डर दे दिया है। खबर है कि तीन ऐसे सप्लायर जिला पंचायत के इर्द-गिर्द नाच रहे हैं, जो कमीशन की थैली लेकर अफसरों को प्रभावित करने में जुटे हुये हैं। सूत्रों का तो यह भी कहना है कि जैम पोर्टल से सरकारी खरीदी की जाती है, इस बात की जानकारी अधिकांश ग्राम पंचायतों को है ही नहीं और अफसरों ने तो यह कहा कि उन्हें ट्रेनिंग दी जा रही है, जबकि अंदरुनी सूत्रों का यह मानना है कि रिक्शा सप्लायरों को कुछ आर्डर दिये भी जा चुके हैं। पंचायतों को केवल जिला पंचायत के उन अफसरों का फोन जायेगा, जिन्होंने रिक्शा सप्लाई में सौदे का खेल खेला है और पंचायतों को मज़बूरी में रिक्शा सप्लायरों को भुगतान करना भी पड़ेगा।
चक्कर काट रहे सप्लायर
156 ग्राम पंचायतों में लगभग 55 लाख का कचरा रिक्सा खरीदा जाना है। समग्र स्वच्छता अभियान में जिस जैम पोर्टल के माध्यम से कचरा रिक्सा खरीदने का काम किया जा रहा है। अगर हर पंचायतो ंकी आईडी से इस मामले की जांच की गई तो सारा मामला दूध का दूध और पानी का पानी हो , क्योंकि जिन सप्लायारों को रिक्सा सप्लाई का जिम्मा सौंपा गया है। वह पिछले कुछ दिनों से अधिकारियों के चक्कर भी काट रहे हैं।
40 प्रतिशत कमीशन का हुआ खेल
सवाल यह उठता है कि रिक्शा किस कंपनी का खरीदा गया, कहीं वह नकली सामान तो नहीं है, कचरे के लिये जिस चद्दर का उपयोग किया जायेगा वह किस क्वालिटी का है, रिंग, टायर, सीट, ट्यिूब, फ्रेम किस क्वालिटी का लगाया गया है। वैसे इन दिनों कई कंपनी ई-रिक्शा बनाने का काम कर रहा है, लेकिन यह रिक्शा किस क्वालिटी का होगा कहा नहीं जा सकता। चर्चा तो यह भी है कि इस रिक्शा खरीदी में 40 प्रतिशत तक का कमीशन बांटने की बात आई है। अगर 40 प्रतिशत कमीशन बंट रहा है तो रिक्शा किस क्वालिटी का होगा। कुल मिलाकर पहले तो पंचायतों का अधिकार छीना और अब लंबे कमीशन की फेहरिस्त में जिला पंचायत उलझ गया है।